भारत में हिंसा फैलाने के लिए कनाडा का इस्तेमाल, कनाडाई रिपोर्ट में खालिस्तानी चरमपंथ को बताया जड़
यह रिपोर्ट ऐसे समय आई है जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कनाडा के नए प्रधानमंत्री मार्क कार्नी ने G7 शिखर सम्मेलन के दौरान मुलाकात कर द्विपक्षीय रिश्तों को सामान्य बनाने और फिर से मजबूत करने की बात कही थी।

कनाडा की खुफिया एजेंसी CSIS की एक नई सार्वजनिक रिपोर्ट ने भारत-कनाडा संबंधों में एक बार फिर तल्खी की संभावना जता दी है। यह रिपोर्ट ऐसे समय पर आई है जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कनाडा के नए प्रधानमंत्री मार्क कार्नी ने G7 शिखर सम्मेलन के दौरान आपसी संबंधों को पटरी पर लाने की बात कही थी। रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत की तरफ से कनाडा में हस्तक्षेप देखा गया है, हालांकि इसका मूल जड़ खालिस्तानी चरमपंथ है। खालिस्तानी भारत में हिसा फैलाने के लिए कनाडा की धरती का इस्तेमाल कर रहे हैं।
रिपोर्ट में पहली बार साफ तौर पर यह स्वीकार किया गया है कि कनाडा की धरती का इस्तेमाल कुछ खालिस्तानी चरमपंथी भारत में हिंसा फैलाने, धन जुटाने और योजनाएं बनाने के लिए कर रहे हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि 1980 के दशक से कनाडा में राजनीतिक रूप से प्रेरित हिंसक चरमपंथ का खतरा मुख्य रूप से कनाडा-स्थित खालिस्तानी चरमपंथियों के जरिए दिखता रहा है।
हालांकि, रिपोर्ट का एक हिस्सा यह भी कहता है कि भारत की तरफ से जो हस्तक्षेप देखा या महसूस किया गया है, वह कनाडा में पनप रहे खालिस्तानी उग्रवाद की प्रतिक्रिया में हो सकता है।
क्या कहती है रिपोर्ट?
खालिस्तान के पक्ष में शांतिपूर्ण अभियान को चरमपंथ नहीं माना गया है, लेकिन एक छोटा समूह ऐसा है जो कनाडा को आधार बनाकर भारत में हिंसा को अंजाम देने की कोशिश कर रहा है। इन गतिविधियों से कनाडा की आंतरिक सुरक्षा और विदेशी नीति प्रभावित हो रही है।
यह रिपोर्ट भारत को सीधा दोषी नहीं ठहराती, बल्कि बताती है कि कनाडा में सक्रिय खालिस्तानी गतिविधियों की वजह से भारत की प्रतिक्रिया को ‘हस्तक्षेप’ माना जा रहा है। वहीं, यह भी स्वीकार किया गया है कि कुछ चरमपंथी तत्व कनाडा की धरती का इस्तेमाल भारत में हिंसा फैलाने के लिए कर रहे हैं।
पुराना विवाद फिर उभरा
गौरतलब है कि 2023 में कनाडा के पूर्व पीएम जस्टिन ट्रूडो ने भारत पर सिख अलगाववादी नेता हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में शामिल होने का आरोप लगाया था। भारत ने इन आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया था और इसके बाद दोनों देशों ने अपने शीर्ष राजनयिकों को हटा लिया था।
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