इजरायल की आबादी पहली बार 1 करोड़ के पार, कई देशों से अकेले लड़ता है यहूदी देश
अब भी यहूदियों की आबादी 80 लाख भी नहीं पहुंची है। इजरायल का संघर्ष पड़ोस के फिलिस्तीन, लेबनान, मिस्र जैसे देशों से लंबे समय से रहा है। 1948 में देश की स्थापना के बाद से ही यह संघर्ष चलता रहा है। ऐसे में यहूदियों और पूरे इजरायल की ही आबादी एक करोड़ से कम होना चर्चा का विषय रहा है।

इजरायल की आबादी पहली बार 1 करोड़ के पार हुई है। 1948 के बाद से यह पहला मौका है, जब इजरायल की संख्या 10.1 मिलियन हुई है। देश की स्थापना के बाद से अब तक यहूदी मुल्क की आबादी में 12 गुना तक इजाफा हो चुका है। इजरायल के जनसांख्यिकी विभाग के अनुसार बीते साल की तुलना में इजरायल की आबादी में 1 लाख 35 हजार यानी 1.4 फीसदी का इजाफा हुआ है। दिलचस्प बात है कि अब भी यहूदियों की आबादी 80 लाख भी नहीं पहुंची है। इजरायल का संघर्ष पड़ोस के फिलिस्तीन, लेबनान, मिस्र जैसे देशों से लंबे समय से रहा है। 1948 में देश की स्थापना के बाद से ही यह संघर्ष चलता रहा है। ऐसे में यहूदियों और पूरे इजरायल की ही आबादी एक करोड़ से कम होना चर्चा का विषय रहा है।
अब इजरायल की आबादी तो एक करोड़ के आंकड़े तक पहुंच गई है, लेकिन यहूदियों की संख्या अब भी 80 लाख से नीचे है। आंकड़े के अनुसार इजरायल की आबादी में यहूदियों की संख्या फिलहाल 77.6 फीसदी ही है। देश में 2.1 मिलियन यानी करीब 20 फीसदी मुसलमान, ईसाई और अरब हैं। इसके अलावा ढाई लाख लोग यानी 2.5 फीसदी ऐसे भी हैं, जो किसी भी कैटिगरी में नहीं आते। इनमें विदेशी छात्र, मजदूर और अवैध रूप से वहां पहुंचे प्रवासी शामिल हैं। आंकड़ा बताता है कि इजरायल में बीते एक साल में 1 लाख 74 हजार बच्चों का जन्म हुआ। इसके अलावा 28 हजार लोग दूसरे देशों से आकर वहां बस गए और 50 हजार इजरायलियों की मौत हो गई।
यहूदी मुल्क के लिए राहत की बात यह है कि वहां युवा आबादी का प्रतिशत अच्छा है। 27 फीसदी इजरायली 18 साल से कम आयु के हैं। इसके अलावा 13 फीसदी वे लोग हैं, जिनकी आयु 65 साल से ज्यादा हो चुकी है। इजरायल की आबादी बहुत अधिक नहीं है, लेकिन उसकी ग्रोथ से यहूदी देश को राहत मिली है। इजरायल छोड़कर दूसरे देशों में रहने वाले लोगों की संख्या में भी गिरावट आई है। अब तक के आंकड़े के अनुसार 56 हजार इजरायली ही दूसरे मुल्कों में हैं। कुछ सालों में दूसरे देशों में बसने वाले इजरायलियों में भी तेजी से कमी आई है यानी वे कमाई के लिए भी दूसरे देशों में जाना पसंद नहीं करते। आंकड़े के अनुसार 1948 में देश की स्थापना हुई थी और तब से अब तक वहां बाहर से आकर 35 लाख लोग बस चुके हैं। इनमें भी 1990 के बाद आधे से ज्यादा आए हैं, जब सोवियत संघ के बिखराव के बाद वहां के यहूदियों को इजरायल आने की अनुमति दी गई।
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