बलूचिस्तान के बाद अब पख्तूनख्वा में उबाल, पाक के एक फैसले से मचा बवाल
- पाकिस्तान सरकार के एक फैसले ने खैबर पख्तूनख्वा में बवाल मचा दिया है। बलूचिस्तान के बाद अब पख्तूनख्वा में भी सरकार के खिलाफ असंतोष तेज हो गया है।

बलूचिस्तान को अलग करने की मांग ने पहले ही पाकिस्तान सरकार को परेशान कर रखा है, अब खैबर पख्तूनख्वा ने भी बगावती तेवर दिखाने शुरू कर दिए हैं। स्थानीय सरकार के एक फैसले से प्रांत में जबरदस्त गुस्सा है। सरकार पख्तूनख्वा में माइनिंग एंड मिनरल्स बिल लाना चाहती है। इसे लेकर सियासत गर्म है। जमीयत उलेमा-ए-इस्लाम के प्रमुख मौलाना फजलुर रहमान ने इस विधेयक को सिरे से खारिज करते हुए सरकार को धमकी दी है। उन्होंने सरकार पर देश के प्राकृतिक संसाधनों को कब्जा करने आरोप लगाते हुए सड़क पर जनसैलाब उतारने की चेतावनी दी है।
पेशावर में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए मौलाना फजल ने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार और अंतरराष्ट्रीय ताकतें पाकिस्तान के प्राकृतिक संसाधनों पर कब्जा जमाना चाहती हैं। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि समझदारी नहीं दिखाई गई तो JUI-F सड़कों पर उतरने से पीछे नहीं हटेगी। मौलाना ने कहा, “यह कानून संविधान के 18वें संशोधन की भावना के खिलाफ है। हम न केंद्र को और न ही किसी विदेशी ताकत को अपने संसाधनों पर दावा करने देंगे।”
बिल के बचाव में सरकार
उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि केंद्र सरकार संविधान को दरकिनार करने के लिए वैकल्पिक कानूनी रास्तों की तलाश कर रही है ताकि प्रांतों पर दबाव बनाकर नई माइनिंग अथॉरिटीज बनवाई जा सकें। वहीं, खैबर पख्तूनख्वा सरकार ने बिल का बचाव करते हुए कहा है कि इसका मकसद अवैध खनन को रोकना, विदेशी निवेश आकर्षित करना और खनिज क्षेत्र में पारदर्शिता लाना है।
इस मुद्दे पर पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (PTI) के भीतर भी मतभेद सामने आए हैं। रिपोर्ट्स के मुताबिक, इमरान खान, जो फिलहाल अडियाला जेल में हैं, उन्होंने पार्टी नेताओं को बिना उनके परामर्श के इस बिल को पास न करने की हिदायत दी है। मौलाना फज़ल ने सुरक्षा हालात और अफगान शरणार्थियों की वापसी को लेकर भी सरकार से ठोस नीति की मांग की है।
बलूचिस्तान की भी पाक सरकार से यही शिकायत
बलूचिस्तान पाकिस्तान का सबसे बड़ा और संसाधन संपन्न प्रांत है, जो लंबे समय से पाकिस्तान सरकार के खिलाफ असंतोष और अलगाववाद की भावना का केंद्र रहा है। बलूच अलगाववादी संगठनों की मांग है कि उन्हें एक स्वतंत्र बलूचिस्तान मिले, क्योंकि उसने सरकार पर प्रांत के प्राकृतिक संसाधनों के शोषण का आरोप लगाया है। बलूचिस्तान गैस, खनिज और समुद्री संसाधनों से समृद्ध है। स्थानीय लोगों का आरोप है कि उन्हें इनका लाभ नहीं मिल रहा, जबकि अन्य प्रांतों को इसका फायदा होता है। इसके अलावा स्थानीय नेताओं और संगठनों का कहना है कि उन्हें पाकिस्तान की मुख्यधारा की राजनीति में बराबरी का दर्जा नहीं दिया जाता।
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