what is yazidi religion who survives in muslim countries match with hindu traditions कौन हैं मुस्लिमों के बीच रहने वाले यजीदी? हिंदुओं से मेल खाती हैं कई मान्यताएं, International Hindi News - Hindustan
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कौन हैं मुस्लिमों के बीच रहने वाले यजीदी? हिंदुओं से मेल खाती हैं कई मान्यताएं

इराक, सीरिया और तुर्की में रहने वाले यजीदी समूह के रूप में एकांत इलाकों में रहते हैं। उनकी पूर्वजन्म, उपासना पद्धिति और मोक्ष जैसी कई मान्यताएं हिंदुओं से मिलती-जुलती हैं।

Ankit Ojha लाइव हिन्दुस्तानThu, 29 May 2025 09:25 AM
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कौन हैं मुस्लिमों के बीच रहने वाले यजीदी? हिंदुओं से मेल खाती हैं कई मान्यताएं

कट्टरपंथी ताकतों ने दुनिया में कई अल्पसंख्यक समुदायों का जीना मुहाल कर रखा है। इनमें से ही एक समूह यजीदियों का भी है। ISIS के डर से यजीदी समुदाय इराक के उत्तरी-पश्चिमी हिस्से के पहाड़ी इलाकों में रहता है। बीते साल भी यजीदी समुदाय के नेता ने भारत से मदद की गुहार लगाई थी। उनका कहना था कि संयुक्त राष्ट्र में उनके मुद्दों को भारत उठा सकता है।

30 लाख के करीब कुल आबादी

इराक के अलावा यजीदी जर्मनी, रूस, आर्मेनिया, जॉर्जिया, यूक्रेन, अमेरिका, कनाडा, सीरिया और तुर्की जैसे देशों में रहते हैं। हालांकि इनकी संख्या इतनी कम है कि इनके मुद्दे अनदेखे ही रह जाते हैं दुनियाभर में यजीदियों की आबादी 20 से 30 लाख के बीच है। उनका धर्म इस्लाम, हिंदू और ईसाई सबसे अलग है। हालांकि उनकी कई मान्यताएं ईसाई और हिंदू धर्म से मिलती जुलती हैं। यह धर्म एक तरह से गुमनाम और रहस्यमय कहा जा सकता है।

यजीदियों की मान्यताओं और उनकी उपासना की पद्धति की वजह से इस्लामिक देशों में उन्हें कई बार 'शैतान के उपासक' भी कहा जाता है। हालांकि यजीदी काफी शांतिप्रिय माने जाते हैं। इनकी ज्यादा संख्या इराक, सीरिया और दक्षिण-पूर्वी तुर्की में है। ये छोटे समुदायों के रूप में रहते हैं। अकसर ये मुख्य दुनिया से कटे ही रहते हैं। आईएसआईएस जैसी कट्टरपंथी ताकतों से सताए जाने की वजह से उनकी संख्या में तेजी से गिरावट आई है।

धर्मपरिवर्तन के खिलाफ

यजीदियों की एक खास बात है कि कोई भी धर्म परिवर्तन करके यजीदी नहीं बन सकता है। यजीदी वही हो सकता है जो यजीदी के ही घर पैदा हुआ हो। यह भी एक वजह है कि यजीदियों की संख्या सीमित होती जा रही है। एक तरफ जहां इस्लाम विस्तारवाद और धर्मपरिवर्तन के लिए मशहूर हो गया है। वहीं यजीदी इसके ठीक विपरीत हैं।

क्यों नफरत करते हैं कट्टरपंथी

फारसी भाषा में 'इजीद' का मतलब देवता या फरिश्ता होता है। माना जाता है कि इसी वजह से इस धर्म का नाम यजीदी रखा गया है। हालांकि कट्टरपंथी समूहोंका मानना है कि इनका ताल्लुक उमैयद राजवंश के दूसरे खलीफा यज़ीद इब्न मुआविया से है। कट्टरपंथी यजीद को बहुद बुरा शासक मानते थे। इसी वजह से वे यजीदियों से नफरत करने लगे। हालांकि जानकारों का कहना है कि इस धर्म का यजीद से कोई भी लेना-देना नहीं है।

यजीदियों की बहुत सारी मान्यताएं मुस्लिमों, ईसाइयों और हिंदुओं से मिलती जुलती हैं। वैसे तो ये बाइबल और कुरान दोनों को मानते हैं लेकिन इनकी ज्यादातर पद्धतियां पारंपरिक रूप से चली आ रही हैं जो कि इस्लाम और ईसाइयों से अलग हैं। उनकी कई मान्यताएं ऐसी हैं जो कि हिंदू धर्म से मेल खाती हैं।

लाल जोड़ा पहनकर होती है शादी

हिंदुओं की तरह यजीदी महिलाएं भी लाल जोड़ा पहनकर शादी करती हैं। हालांकि इस दौरान वे चर्च में जाती हैं। मुसलमानों की तरह वे जानवरों की कुर्बीनी देते हैं और खतना भी करते हैं। वहीं इस्लाम से विपरीत वे सूर्य और मोर की उपासना करते हैं। यजीदी ईश्वर को इस श्रृष्टि का रचयिता मानते हैं। उनका मानना है कि परमात्मा ने श्रृष्टि के संचालन का कार्य अपने अवतारों को सौंप रखा है। उनमें ईश्वर के सात अवतारों की मान्यता है जिसमें सबसे प्रमुख मोर का अवतार है जिसे मलक ताउस कहा जाता है। यजीदी मयूर की उपासना करते हैं।

कहा जाता है कि ईसाई धर्म की शुरुआत में भी मोर को काफी तवज्जो दी जाती थी। मलक ताउस को शायतन भी कहा जाता है। इसी वजह से उनको शैतानी उपासना के साथ जोड़ दिया गया। यजीदी मोरपंख की भी पूजा करते हैं। ऐसे में उन्हें भगवान कृष्ण और दक्षिण भारत के देवता मुरुगन से भी जोड़कर देखा जाता है।

हिंदुओं की तरह पुनर्जन्म को मानने वाले

हिंदू धर्म की तरह ही यजीदी मानते हैं कि आत्मा अमर होता है और वह शरीर बदलता रहता है। वे पुनर्जन्म और मोक्ष दोनों में यकीन रखते हैं। यजीदी अपने धर्म को लेकर काफी मजबूत होते हैं। वे इतनी जल्दी अपना धर्म नहीं छोड़ते। इसीलिए उनका अस्तित्व बचा हुआ है। यजीदियों की मान्यता है कि अगर कोई धर्म को छोड़ता है या फिर धर्म से निकाल दिया जाता है तो उसके मोक्ष के दरवाजे बंद हो जाते हैं।

यजीदियों के पवित्र स्थल लालिश की एक दीवार पर तस्वीर बनी हुई है जिसमें देखा जा सकता है कि महिला दीपक जला रही है। महिला की वेशभूषा एकदम भारतीय महिला की तरह है। यजीदी सूर्यास्त और सूर्योदय के वक्त पश्चिम और पूर्व में मुंह करके उपासना करते हैं और फिर दीपक जलाकर आरती भी सकते हैं। उनमें हिंदुओं की तरह व्रत और मुंडन जैसी भी परंपरा है। इस्लाम से एकदम विपरीत वे तस्वीरों के सामने उपासना करते हैं।यजीदी पृथ्वी, जल और अग्नि को बेहद पवित्र मानते हैं।

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