मस्जिदों से पढ़ा जाएगा वक्फ ऐक्ट के खिलाफ तैयार प्रस्ताव, मीरवाइज का आरोप- बैठक नहीं करने दी
- उन्होंने कहा कि नए वक्फ कानून के खिलाफ एक संयुक्त प्रस्ताव तैयार किया गया है, जिसे शुक्रवार को मस्जिदों और धार्मिक कार्यक्रमों में पढ़ा जाएगा।

जम्मू-कश्मीर में संशोधित वक्फ कानून को लेकर धार्मिक प्रतिनिधियों द्वारा बुलाई गई बैठक को रोके जाने पर ऑल पार्टी हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के वरिष्ठ नेता और मुत्तहिदा मजलिस-ए-उलमा (MMU) के प्रमुख मीरवाइज उमर फारूक ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। उन्होंने बुधवार को कहा कि श्रीनगर स्थित उनके निवास पर प्रस्तावित बैठक को पुलिस ने अनुमति नहीं दी है। मीरवाइज ने इसे धार्मिक प्रतिनिधियों के शांतिपूर्ण विचार-विमर्श के अधिकार का हनन बताया।
उन्होंने कहा कि नए वक्फ कानून के खिलाफ एक संयुक्त प्रस्ताव तैयार किया गया है, जिसे शुक्रवार को मस्जिदों और धार्मिक कार्यक्रमों में पढ़ा जाएगा। उनकी पार्टी ने इस मुद्दे पर ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के रुख को भी अपना समर्थन दिया है।
एमएणयू घाटी के विभिन्न धार्मिक संगठनों का एक संयुक्त मंच है। इसने बुधवार को इस नए कानूनों के प्रभावों पर चर्चा के लिए बैठक बुलाई थी। बैठक मीरवाइज के निवास पर होनी थी, लेकिन प्रशासन ने वहां पुलिस बल तैनात कर दिया।
मीरवाइज ने एक्स पर लिखा, "वक्फ संशोधन अधिनियम को लेकर आज मेरे निवास पर एक महत्वपूर्ण बैठक होनी थी, लेकिन उसे प्रशासन ने अनुमति नहीं दी। जम्मू, करगिल, लद्दाख सहित कश्मीर के विभिन्न हिस्सों से धार्मिक प्रतिनिधि इसमें भाग लेने पहुंचे थे।"
उन्होंने आगे कहा, "यह अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है कि एक मुस्लिम बहुल क्षेत्र में मुस्लिम विद्वानों और धार्मिक संस्थाओं को एक गंभीर मुद्दे पर शांतिपूर्वक चर्चा करने और प्रतिक्रिया देने से रोका जा रहा है। जब भारत की संसद में सभी राजनीतिक दल इस पर खुलकर विचार रख सकते हैं, तो जम्मू-कश्मीर के धार्मिक और राजनीतिक प्रतिनिधियों को भी यह अधिकार मिलना चाहिए।"
शुक्रवार को होगा विरोध प्रदर्शन
मीरवाइज ने बताया कि MMU की ओर से तैयार किया गया संयुक्त प्रस्ताव शुक्रवार को मस्जिदों और धार्मिक स्थलों में पढ़ा जाएगा। यह फैसला सभी सदस्यों की सहमति से लिया गया है। इससे पहले सोमवार को मीरवाइज ने जम्मू-कश्मीर विधानसभा अध्यक्ष अब्दुल रहीम द्वारा वक्फ कानून पर चर्चा के लिए लाए गए स्थगन प्रस्ताव को अस्वीकार करने के निर्णय की आलोचना की थी।
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