ओल चिकी लिपि को स्थापित करने को लेकर ग्रामीणों ने की मोड़े मंझी की बैठक
झारखंड के रांगा गांव में ओल चिकी लिपि को स्थापित करने के लिए एक बैठक आयोजित की गई। ग्रामीणों ने सरकार से मांग की कि संताली भाषा को राज्य भाषा घोषित किया जाए और सरकारी स्कूलों में ओल चिकी लिपि से...

मसलिया, प्रतिनिधि। प्रखंड क्षेत्र के रांगा गांव में ग्राम प्रधान लखींद्र मरांडी की अध्यक्षता में गुरुवार को रांगा हटिया डंगाल प्रांगण में ओल चिकी लिपि को स्थापित करने को लेकर मोड़े मंझी बैठक का आयोजन किया गया। बैठक में कई गांव के माझी बाबा, योगमंझी, नायकी, गुड़ित प्राणिक सहित अच्छे खासे आदिवासी समाज के लोग उपस्थित थे। मौके पर कई वक्ताओं ने कहा कि झारखंड राज्य का गठन मुख्य रूप से आदिवासी समुदायों के सामाजिक, सांस्कृतिक, धार्मिक, शैक्षणिक और आर्थिक विकास को ध्यान में रखते हुए किया गया था। परंतु झारखंड राज्य बनने के 25 वर्षों के बाद भी आदिवासी समुदायों का संपूर्ण सामाजिक, सांस्कृतिक, धार्मिक, शैक्षणिक और आर्थिक विकास अपेक्षित स्तर तक नहीं हुआ। जिसका मुख्य कारण संताल आदिवासी का शैक्षणिक स्तर निम्न होना है।
कहा इनके शैक्षणिक स्तर और जीवन स्तर को सुधारा जा सकता है, जब उनके ही भाषा संताली और उसके स्वंय के ओल चिकी लिपि से सभी सरकारी शिक्षण संस्थानों में पठन-पाठन शुरू किया जाय और प्रोत्साहित किया जाय। संताल समुदाय की सांस्कृतिक पहचान सुरक्षित रहे और नई पीढ़ी अपनी ही भाषा, लिपि और परंपराओं से जुड़े रहे, उसके लिए जरुरी है कि इनके भाषा और ओल चिकि लिपि को और बढ़ावा मिले। ओल चिकि लिपि संताल समाज के लिए स्वदेशी और स्वंय अपना लिपि है। कहा संताली भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में वर्ष 2003 में ही शामिल किया गया और झारखंड गठन हुए पच्चीस वर्ष बीतने के बाद भी संताली को राज्य भाषा घोषित नहीं होना दुखद है।
मोड़े मंझी का बैठक के माध्यम से संताल आदिवासियों के हित में ग्रामीणों ने सरकार से कई मांग रखा है, जिनमें झारखंड में ओल चिकी लिपि से सभी विषयों के पाठ्यक्रम छपवाने और पठन-पाठन शुरू करने, सरकारी विद्यालयों, महाविद्यालय, विश्वविद्यालय में संताली के ओल चिकी शिक्षकों की नियुक्ति करने, झारखंड में संताली भाषा को प्रथम राज्य भाषा घोषित करने, संताल बाहुल्य क्षेत्रों में दुमका के साथ अन्य जिलों के कई छुटे हुए सरकारी कार्यालयों के नामपट्ट में संताली के ओल चिकी लिपि से नाम अंकित करने आदि मांग रखा।
बैठक में ग्रामीणों ने यह भी निर्णय लिया कि बहुत जल्द मुख्यमंत्री और विधायकों के नाम मांग पत्र समर्पित किया जाएगा। इस मौके में रूपेश सोरेन, अम्बिका मुर्मू, सुनील किस्कु, मंत्री सोरेन, बालकिशोर हेम्ब्रम, लुखिन हेम्ब्रम, जयदेव मुर्मू, सुशील मरांडी, गोसाई सोरेन, वकील मरांडी, मोटा मरांडी, हीरामनि टुडू, किरण मुर्मू, राजेश हेम्ब्रम, शरबेश्वर हांसदा, सुमेश्वर मरांडी, पोरमे मुर्मू, राजेश टुडू, राजेन्द्र हेम्ब्रम, अजयलाल टुडू, शुरू मुर्मू के साथ कई गांव के ग्रामीण उपस्थित थे।
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