Demand to Include Hindi Bhojpuri and Magahi in Teacher Eligibility Test by MLA Anant Pratap Dev मुख्यमंत्री से मिले विधायक अनंत, हिंदी, भोजपुरी और मगही को सूची में शामिल करने की मांग, Garhwa Hindi News - Hindustan
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मुख्यमंत्री से मिले विधायक अनंत, हिंदी, भोजपुरी और मगही को सूची में शामिल करने की मांग

गढ़वा विधायक अनंत प्रताप देव ने मुख्यमंत्री से मिलकर शिक्षक पात्रता परीक्षा में हिंदी, भोजपुरी और मगही को क्षेत्रीय भाषाओं की सूची में शामिल करने की मांग की है। उन्होंने कहा कि इन भाषाओं का सांस्कृतिक...

Newswrap हिन्दुस्तान, गढ़वाSun, 15 June 2025 12:51 AM
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मुख्यमंत्री से मिले विधायक अनंत, हिंदी, भोजपुरी और मगही को सूची में शामिल करने की मांग

गढ़वा, प्रतिनिधि। राज्य सरकार द्वारा जारी शिक्षक पात्रता परीक्षा (जेटेट) की क्षेत्रीय भाषाओं की सूची में हिंदी, भोजपुरी और मगही को शामिल करने की मांग को लेकर भवनाथपुर विधायक अनंत प्रताप देव ने मुख्यमंत्री से मिलकर मांग पत्र सौंपा है। विधायक ने मांग की है कि गढ़वा और पलामू जैसे जिलों की प्रमुख भाषाओं में हिंदी, भोजपुरी और मगही को क्षेत्रीय भाषा की सूची में शामिल किया जाए। मुख्यमंत्री को लिखे गए पत्र में विधायक ने स्पष्ट किया है कि पलामू प्रमंडल के गढ़वा, पलामू और लातेहार जिले के लिए कुड़ूख और नागपुरी भाषाओं का चयन किया गया है। उन्होंने कहा कि प्रमंडल के इन जिलों की भौगोलिक स्थिति ऐसी है कि यह सीधे बिहार, उत्तर प्रदेश और छत्तीसगढ़ से सटे हुए हैं।

वहां हिंदी, भोजपुरी और मगही भाषाओं का पारंपरिक और सांस्कृतिक प्रभाव बहुत गहरा है। विधायक ने पत्र में लिखा है कि इन जिलों की बड़ी आबादी आज भी संवाद, लेखन और पठन-पाठन के लिए हिंदी, भोजपुरी और मगही भाषाओं का प्रयोग करती है। विद्यालयों में भी इन भाषाओं का व्यापक इस्तेमाल होता है। ऐसे में जब राज्य सरकार नियुक्ति परीक्षाओं में इन भाषाओं को नजरअंदाज करती है तो यह न केवल स्थानीय युवाओं के साथ अन्याय है बल्कि उनकी सांस्कृतिक पहचान को भी ठेस पहुंचाने वाला निर्णय है। विधायक ने मुख्यमंत्री को अवगत कराया कि क्षेत्र में पहले से ही भाषाई उपेक्षा को लेकर असंतोष व्याप्त है। इस बार जब जेटेट की सूची में भी इन प्रमुख भाषाओं को शामिल नहीं किया गया तो छात्रों और युवाओं में निराशा बढ़ी है। इससे पहले भी स्थानीय भाषाओं को लेकर कई बार आंदोलनों की चिंगारी उठ चुकी है लेकिन अब जब यह मुद्दा सीधे रोजगार और नियुक्तियों से जुड़ गया है तो असंतोष और भी गहरा हो गया है। विधायक ने मांग की है कि राज्य सरकार जल्द से जल्द शिक्षक पात्रता परीक्षा सहित अन्य नियुक्ति परीक्षाओं में भाषा की सूची को संशोधित करे और हिंदी, भोजपुरी तथा मगही को उसमें शामिल करे। उससे क्षेत्र के हजारों युवाओं को प्रतियोगी परीक्षाओं में न केवल मानसिक सहूलियत मिलेगी बल्कि उन्हें अपने ही राज्य में भाषाई अधिकार मिलने का भरोसा भी होगा।

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