रंका अनुमंडल मुख्यालय में बस स्टैंड रहीं, हर दिन लगती है जाम
रंका अनुमंडल मुख्यालय में एनएच 343 पर एक सौ से अधिक बसें चलती हैं, लेकिन स्थायी बस पड़ाव नहीं होने से यातायात में भारी समस्या होती है। जाम और दुर्घटनाओं का खतरा बढ़ गया है। स्थानीय प्रशासन ने बस...

रंका, प्रतिनिधि। गढ़वा-अंबिकापुर एनएच 343 पर स्थित रंका अनुमंडल मुख्यालय में एनएच और कनेक्टिंग सडकों को मिलाकर एक सौ से अधिक बसें चलती हैं। उसके बाद भी अनुमंडल मुख्यालय में स्थायी बस पड़ाव नहीं बनाया गया। उससे काफी परेशानी होती है। जाम की समस्या के अलावा अक्सर दुर्घटना की संभावना बनी रहती है। छत्तीसगढ़ और बिहार, यूपी को जोड़ने वाली काफी व्यस्त यातायात वाली सड़क रंका मुख्यालय के बीचों बीच से निकलती है। आलम यह है कि दो चार मिनट के लिए भी कोई गाड़ी खडी रह गई तो बड़ी छोटी गाडियों का जाम लग जाता है। रंका 1957 में ब्लॉक और 2008 में अनुमंडल मुख्यालय बना है। ग्रामीण परिवेश होने के कारण लोगों में जागरूकता की कमी भी है। वहीं स्थानीय प्रशासन भी जैसे तैसे चलने के फार्मूला पर अमल करने के कारण समस्या बढ़ती जा रही है। मुख्यालय में हुए सरकारी मापी के अनुसार कई जगह सड़क की चौड़ाई मानक से कम है। मेन रोड पर ही कई स्कूल, दो बैंक, सब्जी बाजार हैं। उक्त कारण लोगों की आवाजाही अधिक होती है। लोगों की आवागमन अधिक होने के कारण अक्सर चाय पान की दुकान के आगे बाइक और ऑटो खड़ी कर दी जाती है। उससे भी जाम की समस्या होती है। स्थाची बस पड़ाव नहीं होने से अहले सुबह से देर रात तक चलने वाली बसें एनएच 343 पर ही खड़ी होती हैं। यहां से छत्तीसगढ के रायपुर, बिलासपुर, रायगढ़, कोरबा, अंबिकापुर के अलावा पटना, गया, सासाराम, बनारस, रांची, कोलकाता की बसें चलती हैं। अगर किसी यात्री के साथ ज्यादा लगेज हुआ तो उसे लेकर अधिक परेशानी होती है। बस चढ़ने में थोड़ी देरी के बाद पीछे से आ रही बस कर्मी से हर दिन एक दूसरे के साथ किचकिच होना आम बात होता है। उधर स्थानीय दुकानदार भी परेशानी खड़ी करते हैं। दुकानदार अपने दुकान के आगे पांच से दस फीट तक दुकान का सामान निकाल कर फैलाये रहते हैं। फलों के ठेले और सड़क किनारे सब्जी बिकने के कारण जाम की समस्या बढ़ जाती है।
रूद्र प्रताप, एसडीओ, रंका ने कहा कि बस स्टैंड के लिए जमीन की खोजबीन के लिए रंका सीओ को निर्देश दिया गया है। साथ ही अभी बसों के रूकने वाली जगह को अतिक्रमण मुक्त कराने को भी कहा गया है। बाजार के दिन जवानों की ड्यूटी लगाई जाती है। जमीन मिलते ही स्थानीय स्तर पर छानबीन कर बस स्टैंड के निर्माण की प्रक्रिया शुरू कर दी जायेगी।
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