जर्जर पुलिया से गुजरने को विवश हैं दर्जनाधिक गांवों के लोग
झारखंड के शाली नदी पर स्थित जर्जर पुलिया से दर्जनों गांवों के लोग गुजरने को मजबूर हैं। पुलिया का निर्माण 1980 के दशक में हुआ था, लेकिन अब यह धंसने लगी है। स्थानीय विधायक और सांसद से मरम्मत की मांग की...

झारखंडधाम, प्रतिनिधि। शाली नदी का जर्जर पुलिया खतरे को आमंत्रण दे रहा है। वैकल्पिक मार्ग के अभाव में शाली, कुसैया, हरीलवातरी, बलिडीह, मण्डीटांड़, जरसोती, पिंडरसोत, भोलापुर,नईटांड़ सहित दर्जनाधिक गांवों के लोग शाली नदी के जर्जर पुल से होकर गुजरने को विवश है। बता दें कि शाली नदी पर पुलिया का निर्माण कार्य 1980 के दशक में तत्कालीन विधायक बलदेव हाजरा के कार्य काल में लगभग ढाई लाख के लागत से हुआ था। इस पुलिया का सीलिंग धंसता जा रहा है। कहा जा रहा है कि नदी में मछली पकड़ने की कोशिश में कतिपय लोगों द्वारा पुलिया के पाए के नीचे से बालू हर साल हटाया जाता है। जिसके चलते पुलिया धंसने लगी है। पाया के समीप खुदाई करने से पुलिया कमजोर हो गया है, जिससे वह नीचे की और दबता गया। बहरहाल पुलिया से होकर चार पहिया वाहन खतरा मोल लेकर गुजरती है। ईंट बालू ढोने वाले ट्रैक्टर की आवाजाही रोक दी गई है। दो चक्का वाहन जैसे तैसे कर निकल रहे है। नतीजतन एक दूसरे गांवों का भी संपर्क टूटा हुआ है। उक्त पुलिये की मरम्मत होने से आसपास के दर्जनाधिक गांवों के लोगों को राजधनवार खोरीमहुआ जमुआ जाने में दूरी कम होगी। इसकी मरम्मत के लिए ग्रामीणों ने कई बार स्थानीय विधायक तथा सांसद का ध्यान आकृष्ट कराया, लेकिन कोई सकारात्मक पहल अभी तक नहीं हुई। कांग्रेस के प्रखंड अध्यक्ष सह स्थानीय मुखिया निजामउद्दीन अंसारी, भाजपा नेता वकील विश्वकर्मा, देवनन्दन विश्वकर्मा, भरत मोदी, देवी विश्वकर्मा, शमीद चिश्ती सोबराती मियां आदि ने पुलिया मरम्मती की मांग प्रशासन से की है। जिप सदस्य प्रभा वर्मा ने कहा कि उक्त पुलिया के नवनिर्माण की जरूरत है। जिला परिषद में प्राथमिकता सूची में उक्त पुलिया निर्माण की मांग कर चुकी है। उन्होंने कहा कि जल्द पुलिया निर्माण की स्वीकृति मिलने की संभावना है।
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