सिद्धक्षेत्र सम्मेदशिखर जी में साधु साध्वी का जुटान शुरू
पीरटांड़ में जैन धर्म के तीर्थंकरों की निर्वाणभूमि सिद्धक्षेत्र सम्मेदशिखर जी में साधु साध्वी का जुटान शुरू हो गया है। इस वर्ष मधुबन में भारी संख्या में साधु साध्वी वर्षाकालीन चातुर्मास मनाने आए हैं।...

पीरटांड़, प्रतिनिधि। जैन धर्म के चौबीस में से बीस तीर्थंकरों की निर्वाणभूमि सिद्धक्षेत्र सम्मेदशिखर जी मे साधु साध्वी का जुटान शुरू हो गया है। इस वर्ष भारी संख्या में साधु साध्वी मधुबन में वर्षाकालीन चातुर्मास मनाएंगे। सम्मेदशिखर पारसनाथ की धरती मधुबन में वर्षाकालीन चातुर्मास के लिए लगातार साधु साध्वी का प्रवेश हो रहा है। चातुर्मास अर्थात चार महीने तक जैन संत एक ही स्थान में रहकर साधना आराधना करते हैं। बताया जाता है कि शाश्वत तीर्थ सम्मेदशिखर जी में जैन धर्म के चौबीस में से बीस तीर्थंकरों के अलावा अनगिनत साधु संत साधना आराधना कर मोक्ष को प्राप्त किया है। देश भर में शांति व अहिंसा का संदेश देनेवाला मोक्षभूमि पारसनाथ में वर्षाकालीन चातुर्मास का विशेष महत्व है।
यूं तो जैन संत देशभर में विचरण कर व साधना आराधना कर शांति अहिंसा का संदेश देते हैं पर सम्मेदशिखर जी की यात्रा व चातुर्मास मनाने का अलग अहमियत है। यही वजह है कि वर्षाकालीन चातुर्मास को लेकर मधुबन में साधु संतों का जुटान शुरू हो गया है। मधुबम में संचालित श्वेताम्बर व दिगम्बर संस्थाओं में लगातार साधु साध्वियों का प्रवेश हो रहा है। गुणायतन संस्था में आचार्य विद्यासागर जी महाराज के परम प्रभावक शिष्य आचार्य समय सागर जी महाराज के आज्ञानुवर्ती मुनि समता सागर जी महाराज, मुनि पवित्र सागर जी महाराज, मुनि अतुल सागर जी महाराज, मुनि पूज्य सागर जी महाराज समेत साध्वी गुरमति माता जी दृढ़मती माता जी 52 साध्वियों के संग विराजमान हैं। बीसपंथी कोठी सूरतमती माता जी शुभमती माता जी ससंघ साधनारत हैं। वहीं त्रियोग आश्रम में आचार्य सम्भव सागर जी महाराज व साधु साध्वी साधनारत है। तन्मय साधना केंद्र में आचार्य तन्मय सागर जी महाराज के द्वारा चातुर्मास मनाया जायेगा।
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