प्रगतिशील लेखक संघ की कहानी गोष्ठी संपन्न
जमशेदपुर में प्रगतिशील लेखक संघ की गोष्ठी में राकेश मिश्र ने 'यह भी एक जगह है' कहानी पढ़ी। यह दलित लडके की संघर्ष और भेदभाव पर आधारित है। चर्चा में कहानी के प्रवाह, पात्रों की नैतिकता और शीर्षक पर...
जमशेदपुर। प्रगतिशील लेखक संघ की कहानी गोष्ठी साकची में संपन्न हुई।जिसमें वर्धा हिंदी अंतरास्ट्रीय विश्वविद्यालय के अध्यापक देश के जाने माने कथाकार राकेश मिश्र ने अपनी कहानी "यह भी एक जगह है " पढ़ी| दलित विमर्श पर आधारित कहानी समाज में एक दलित लडके की स्कूल से लेकर कृषि वैज्ञानिक बनने एवं ऑफिस में होने वाली तिरस्कार एवं भेदभाव पर जूते के माध्यम से बखूबी चित्रित था| कहानी पर चर्चा करते हुए कंचन ने कहनी के प्रवाह एवं तारतम्यता की सराहना की| क्षितिज ने उदयप्रकाश की कहानी " मोहन दास" का जिक्र करते हुए सवाल उठाया कि क्या कहानी का नायक बिना नशे का भी विद्रोह कर पता | विनय कुमार ने कहानी के दूसरे पात्र का नैतिक पतन एवं अवसरवादिता का उल्लेख किया कृपाशंकर ने कहानी के शीर्षक को बदलने की सलाह दी| शैलेंद्र अस्थाना ने जूते सांकेतिक रूप से इस्तेमाल की प्रशंसा की| द्वारिका पांडेय ने लेखक को अपने उद्देश्यों में सफल बताया | शशि कुमार ने कहानी में वर्णित प्रसंग से अपने संस्मंरण सुनाए| नियाज़ अख्तर ने ऑफिस में दलितों के विद्रोह की कुछ उदारण दिए| अख्तर आज़ाद ने कहानी को मुकम्मल बताते हुए शीर्षक से असंगतता का जिक्र किया. अहमद बद्र ने कहानी को अच्छी बताते हुये लेखक को पात्र की भाषा इस्तेमाल करने की सलाह दी| जयनंदन ने कहानी को दलित विमर्श की ठीक ठाक कहानी बताया और समाज में फैले जातिवाद का उल्लेख किया. कहानीकार राकेश मिश्र कहानी लिखने की परिस्थितियों का जिक्र किया| अंत में हाल में दिवंगत आदिवासी विचारक पुर्व विधायक कामरेड वास्ता सोरेन की याद में दो मिनट का मौन रखा गया एवं उनके जीवन पर प्रकाश डाला गया ।
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