सूर्यप्रभा वाहन पर नगर भ्रमण के लिए निकले वेंकटेश्वर स्वामी बालाजी
बिष्टूपुर आंध्र भक्त श्री राम मंदिरम में 56वें ब्रह्मोत्सवम का दूसरा दिन भव्य अनुष्ठान के साथ मनाया गया। गरुड़ध्वज की ध्वजारोहण, भगवान वेंकटेश्वर का अभिषेकम और कलश स्थापना जैसे अनुष्ठान हुए। भक्तों ने...

बिष्टूपुर आंध्र भक्त श्री राम मंदिरम में चल रहे 56वें ब्रह्मोत्सवम के दूसरे दिन धार्मिक श्रद्धा और दक्षिण भारतीय वैदिक परंपरा के साथ भव्य अनुष्ठान संपन्न हुआ। इस अवसर पर सुबह 6 बजे पंडित कोंडामचारुलु, पंडित संतोष एवं अन्य विद्वान पंडितों के मंत्रोच्चार के बीच गरुड़ध्वज के साथ ध्वजारोहण किया गया, जो ब्रह्मोत्सव की औपचारिक शुरुआत का प्रतीक है। गरुड़ध्वज, भगवान विष्णु के वाहन गरुड़ का प्रतिनिधित्व करता है और इसे मंदिर के ध्वजस्तंभ पर फहराया गया। इस दौरान नादस्वरम की मधुर धुन मंदिर परिसर में गूंजती रही। ध्वजस्थंभ को पहले पवित्र जल एवं दूध से स्नान कराया गया, फिर गरुड़ध्वज को मंत्रोच्चार के साथ बांधा गया।
इसके बाद भगवान वेंकटेश्वर एवं गरुड़ की विशेष पूजा कर देवताओं को उत्सव में आमंत्रित किया गया। सैकड़ों भक्त ने इस दिव्य क्षण के दर्शन कर आध्यात्मिक ऊर्जा की अनुभूति की। सुबह 8 बजे भगवान वेंकटेश्वर की मूर्ति का अभिषेकम श्रद्धा और भक्ति भाव से किया गया। पंचामृत स्नान दूध, दही, घी, शहद और चीनी के बाद गंगाजल और अन्य पवित्र जल से अभिषेक किया गया। भगवान को चंदन, कुमकुम, नए वस्त्र एवं आभूषण से सजाया गया और पुष्प से अलंकृत किया गया। शाम 5 बजे कलश स्थापना का अनुष्ठान सम्पन्न हुआ। कलश को गंगाजल, तुलसी एवं औषधीय द्रव्य से भरकर आम पत्रों और नारियल से सुशोभित कर यज्ञशाला में स्थापित किया गया। इसके बाद चक्रभजमंडला पूजा की गई, जिसमें सुदर्शन चक्र के प्रतीक मंडल की स्थापना कर वैदिक मंत्रोच्चार के साथ हवन एवं पूजा की गई। इसके बाद भिरितातन्म बलि दिग्बंधन पूजा की गई, जिसमें सभी दिशाओं में बलि अर्पण कर नकारात्मक शक्तियों से सुरक्षा के लिए विशेष हवन किया गया। मंदिर परिसर की शुद्धता के लिए प्रार्थना की गई। शाम 7 बजे तिरुवीदी उत्सवम के अंतर्गत भगवान वेंकटेश्वर स्वामी को सूर्या प्रभा वाहन पर विराजित कर पालकी यात्रा के रूप में नगर भ्रमण कराया गया। यह पालकी यात्रा बीजी विलास कदमा, आंध्र एसोसिएशन एवं रांकिणी मंदिर कदमा होते हुए गुजरी। सैकड़ों श्रद्धालु भगवान के दिव्य स्वरूप के दर्शन कर अभिभूत हो गए। भक्तों ने पुष्प अर्पित कर आरती एवं पूजा कर आशीर्वाद प्राप्त किया। नगर भ्रमण के बाद भगवान को पुनः मंदिर में लाया गया, जहां पूजा कर भक्तों को प्रसाद वितरित किया गया।
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