आंध्र प्रदेश की तर्ज पर झारखंड में भी होगा मछली उत्पादन
झारखंड सरकार ने मछली उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए नए कदम उठाए हैं। आंध्र प्रदेश की तर्ज पर मॉडल तालाबों का निर्माण किया जाएगा और अगले पांच वर्षों में प्रति हेक्टेयर 10 मीट्रिक टन मछली उत्पादन का...

आंध्र प्रदेश की तर्ज पर अब झारखंड में भी मछली उत्पादन किया जाएगा। झारखंड सरकार ने मत्स्य पालन को नई ऊंचाई देने की दिशा में ठोस कदम उठाते हुए आंध्र प्रदेश को पछाड़ने का लक्ष्य निर्धारित किया है। इसके लिए हर प्रखंड और पंचायतों में मॉडल तालाब का निर्माण किया जाएगा। वहीं, राज्य के सभी डैमों में केज कल्चर पद्धति से मत्स्य पालन को बढ़ावा देने की तैयारी है। अगले पांच वर्षों में प्रति हेक्टेयर 10 मीट्रिक टन मछली उत्पादन का लक्ष्य है, जबकि वर्तमान में यह मात्र 3 मीट्रिक टन है। राज्य की 75 मत्स्यजीवी सहयोग समितियों को 2-2 लाख रुपये की अनुदान राशि भी दी जाएगी।
तालाबों की संख्या बढ़ाने और विलुप्त हो रहे तालाबों को पुनर्जीवित करने कि लिए सभी उपायुक्तों को पत्र भेजा गया है। जिलों के उपायुक्तों को सूची देने का निर्देश दिया गया है। इसके साथ ही मछली पालन में रुचि रखने वाले किसानों की सूची भी मांगी गई है। कोल्हान से लगभग 70 किसानों की सूची मांगी गई हैं, जिन्हें मछली पालन का प्रशिक्षण दिलाने के लिए हैदराबाद भेजा जाएगा। राज्यभर से 350 किसानों को हैदराबाद भेजने की तैयारी है। मछली बीज उत्पादन केंद्र विकसित होगा कोल्हान में 20 फिश फॉर्म हैं, जिन्हें मछली बीज उत्पादन केंद्र के रूप में विकसित किया जा सकता है। इनका संचालन पीपीपी मोड पर भी किया जा सकता है। ब्लॉक चेन तकनीक की शुरुआत कर दी गई है, जिससे बीज वितरण से लेकर उत्पादन तक की जानकारी पारदर्शी और सुलभ हो सकेगी। इस तकनीक से विभाग लाभुकों को आसानी से ट्रैक भी कर पाएगा। मछली पालन करने वाले किसानों का बीमा कराया जाएगा। मुआवजा प्रक्रिया को भी सरल बनाने और बीमा के प्रति जागरूकता पर बल दिया जाएगा। - शिल्पा नेहा तिर्की, सहकारिता मंत्री, झारखंड सरकार
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