Inspiring Journey of Karma Uraan A Retired Teacher s Dedication to Education in Latehar शिक्षक ने पांच बच्चों को बनाया इंजीनियर-डॉक्टर , Latehar Hindi News - Hindustan
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शिक्षक ने पांच बच्चों को बनाया इंजीनियर-डॉक्टर

लातेहार के सेवानिवृत शिक्षक करमा उरांव ने अपने पांच पुत्रों को शिक्षा देकर उन्हें सफल बनाया। उनकी मेहनत और संघर्ष ने सभी बच्चों को सरकारी सेवाओं में पहुंचाया, जिनमें से दो विदेश में हैं। करमा उरांव की...

Newswrap हिन्दुस्तान, लातेहारSun, 15 June 2025 01:15 AM
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शिक्षक ने पांच बच्चों को बनाया इंजीनियर-डॉक्टर

मनीष उपाध्याय लातेहार। इस प्रतिस्पर्धा समाज में जहां समाज के नीतियों को निभाना मध्यवर्गीय परिवार को भारी पड़ता है। वही लातेहार निवासी सेवानिवृत शिक्षक करमा उरांव अपने पांच पुत्रों को शिक्षा दीक्षा ही नहीं बल्कि उन्हें एक मुकाम तक भी पहुंचाया है। फादर्स डे पर उनसे बेहतर उदाहरण मौजूदा समय में जिले में शायद ही कोई होगा। सदर प्रखंड के सबानो गांव निवासी करमा उरांव प्राइमरी शिक्षक है। उनके पांच पुत्र और दो पुत्री हैं। शिक्षक रहते उन्होंने अपने बच्चों को ऐसी शिक्षा दी की उनके पांचो पुत्र आज लातेहार के लिए उदाहरण है। सभी सर्विस में है। दो विदेश में है और तीन पुत्र झारखंड में अफसर है।

अपनी संघर्ष गाथा बताते करमा उरांव ने बताया कि वह बचपन से ही एक आंख से दिव्यांग थे। उनका जीवन काफी संघर्ष पूर्ण रहा है। जिस समय शिक्षक थे। उसे समय वेतन भी बहुत कम मिलता था,फिर भी अपने पांच पुत्र और दो पुत्री को पढ़ाने में कोई कसर नहीं छोड़ा। मेरी पत्नी भी मेरा साथ दी। वह भी इधर-उधर कुछ काम करती थी। खासकर खेती बाड़ी। दोनों ने मिलकर बच्चों को अच्छी परवरिश ही नहीं दी बल्कि उच्च शिक्षा के लिए बाहर भी भेज दिया। उन्होंने कहा कि उनका बड़ा पुत्र राजेंद्र भगत मैरीन इंजीनियर है,जो विदेश में है। दूसरा बालेश्वर भगत शिक्षक है और लातेहार में पोस्टिंग है। तीसरा पुत्र डॉ रविंद्र उरांव रिनपास कांके रांची में डॉक्टर है। चौथा रामनाथ भगत इंजीनियर है और साउथ कोरिया में सर्विस करता है। पांचवा पुत्र देवेंद्र भगत कार्यपालक अभियंता पथ निर्माण विभाग रांची में पोस्टेड है। उन्होंने कहा कि उनकी दो पुत्री है। जिनमें एक की मौत हो गई है। दूसरी ग्रेजुएट है और गृहणी है। उन्होंने बताया कि बड़ा पुत्र राजेंद्र भगत की बेटी मैनेजमेंट कर सर्विस कर रही है और उसका छोटा भाई बीटेक कर वह भी नौकरी कर रहा है। करवा उरांव का तीसरा पुत्र डॉ रविंद्र उरांव ने पिता को भगवान मानते हुए बताया कि सभी भाई बहन सरकारी स्कूल और आवासीय विद्यालय में पढ़ाई किया है। इस दौरान उनकी मां पिताजी की माली स्थिति काफी खराब रहती थी। मां काम करती थी। इसके अलावा खेती-बाड़ी भी वही देखती थी। पिताजी स्कूल जाते थे और स्कूल से आने के बाद वह भी खेती-बाड़ी में हाथ बंटाते थे। सरकारी सुविधा मिलने के कारण उन्हें पढ़ाई के दौरान खाने-पीने की समस्या नहीं हुई। छात्रवृत्ति मिलता था और पिताजी खर्च के लिए पैसे देते थे। उन्होंने कहा कि पर्व त्यौहार में बड़ा भाई को छोड़कर सभी लोग मिलते हैं।

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