न ATC न कोई SOP, सब भगवान भरोसे! सिस्टम की लापरवाही बन रही हेली हादसों की वजह
उत्तराखंड में एक के बाद एक कई हेलीकॉप्टर हादसे हो रहे हैं। इन हादसों के पीछे की बड़ी वजह सिस्टम की लापरवाही भी है।

राज्य में एक के बाद एक हेलीकॉप्टर क्रैश के पीछे सरकारी सिस्टम की वह लापरवाही भी जिम्मेदार है, जिसमें चिंता केवल हेली कंपनियों को ठेका देने तक रहती है। उसके बाद हेली ऑपरेटर क्या कर रहे हैं और कैसे हेली सेवाओं का संचालन कर रहे हैं और यात्री कितनी मुश्किलें झेल रहे हैं, उससे सिस्टम को कोई सरोकार नहीं है। इस साल आठ मई से 15 जून तक चार बार हेलीकॉप्टर हवा में ही खराब हो गए। दो हादसों में एक मासूम बच्ची समेत 13 लोगों को जान गवांनी पड़ी है। आपके अपने अखबार ‘हिन्दुस्तान’ ने राज्य की हेली सेवाओं और व्यवस्थाओं की पड़ताल की तो कुछ चौंकाने वाले पहलू सामने आए।
बिना एटीसी के चल रही हेली सेवाएं
केदारनाथ धाम के लिए बीते 22 सालों से हेली सेवाएं बिना एयर ट्रैफिक कंट्रोल (एटीसी) के भरोसे संचालित हो रही हैं। हालांकि कई हेली के जानकारों का कहना है कि पहाड़ों में एटीसी की जरूरत नहीं है किंतु सुरक्षा के दृष्टिकोण से हेली और यात्रियों की सुरक्षा निश्चित करने में एयर ट्रैफिक कंट्रोल सिस्टम ही सबसे ज्यादा मददगार होता है। यहां तक कि इस अवधि में अब तक डबल इंजन का हेलीकॉप्टर भी मौजूद नहीं है, जिससे महज पायलट इंटर कम्युनिकेशन कॉल के जरिए ही उड़ान भरते रहते हैं।
वर्ष 2003 में पहली बार अगस्त्यमुनि से केदारनाथ धाम के लिए पवनहंस हेलीकाप्टर सेवा शुरू हुई। जबकि इसके बाद वर्ष 2006 से फाटा से प्रभातम की हेली सेवा शुरू हुई। हेली सेवाओं का बढ़ता प्रचलन देखते हुए केदारघाटी में वर्तमान में 9 हेलीकॉप्टर सेवाएं संचालित हो रही हैं। हेली सेवाओं के 22 सालों के इतिहास में अभी तक केदारघाटी में हेलीकॉप्टरों के टकराव से बचने, खराब मौसम की सटीक जानकारी मिलने और खासकर विजिविलिटी को लेकर पायलटों में उड़ान भरने या न भरने को लेकर बना संशय दूर करने के लिए एयर ट्रैफिक कंट्रोल को लेकर कोई नीति नहीं बनी है। जानकार बताते हैं कि पहाड़ों में एटीसी की अत्यंत आवश्यकता है।
दो और हेलीकॉप्टर आ रहे थे पीछे, विजिबिलिटी थी शून्य
आर्यन का जो हेली क्रैश हुआ, उसके पीछे दो हेलीकॉप्टर और आ रहे थे। आर्यन के हेलीकॉप्टर पायलट को गौरीकुंड खर्क में आते ही विजिबिलिटी शून्य मिली। आशंका जताई जा रही है कि पायलट ने हेली को इमरजेंसी लैंडिग के लिए लैंड करने का प्रयास किया होगा किंतु इसी बीच हेली क्रैश हो गया। अब, सवाल यह उठ रहा है कि आखिर क्या हेली दुर्घटनाओं को देखते हुए केदारघाटी में एयर ट्रैफिक कंट्रोल और डबल इंजन के हेलीकॉप्टरों के संचालन पर निर्णय लिया जा सकेगा या फिर इसी तरह हेली सेवाएं भगवान भरोसे संचालित होती रहेंगी।
एयर ट्रैफिक कंट्रोल के हैं कई फायदे
एटीसी हेलीकॉप्टरों की आपस में दूरी बनाने में मददगार ही नहीं होती है बल्कि टकराव से बचने, खराब मौसम की सही जानकारी मिलने में सबसे ज्यादा फायदेमंद होती है। हवाई यातायात के लिए कौन से क्षेत्र आरक्षित हो सकते हैं यह सब कुछ एटीसी ही तय करता है। इस घटना को सूत्रों से मिली जानकारी से भी यही पता चला है कि पायलट का आपस में इंटर कम्युनिकेशन कॉल के जरिए सम्पर्क हो रहा था।
हादसा होने पर डीजीसीए से पूछिए
हेली सेवाओं के संचालन के लिए राज्य में नागरिक उड्डयन विभाग, यूकाडा के रूप में एजेंसी काम कर रही है। लेकिन इनका काम हेली इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार करना और यात्रा के दौरान हेली आपरेटर का चयन करना भर है। हादसे होने पर विभाग और युकाड़ा पूछा जाता है तो जवाब होता है कि हेली सेवाओं की मॉनिटरिंग और हादसे की जांच आदि की जिम्मेदार डीजीसीए की है।
हेलीपैड की कोई एसओपी ही नहीं
24 अप्रैल को राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण की निगरानी में प्रदेश भर में चारधाम यात्रा की तैयारियों की मॉकड्रिल की गई थी। हेली सेवाओं को लेकर उस दिन भी सवाल उठे थे। हेलीकाप्टर के क्रैश होने की आपदा से निपटने का अभ्यास करना था। प्राधिकरण के प्रमुख सलाहकार सलाहकार ने यूकाडा प्रतिनिधि को बुलाकर सुरक्षा को एसओपी बनाने के निर्देश दिए थे।
चारधाम यात्रा में सिंगल इंजन हेलीकॉप्टर क्यों
चारधाम यात्रा मार्ग पर ज्यादातर सिंगल इंजन वाले हेलीकॉप्टर ही संचालित किए जा रहे हैं। एक हेलीकॉप्टर की जिम्मेदारी एक ही पायलट पर होती है। युकाडा के अधिकरियों के अनुसार को-पायलट की व्यवस्था केवल डबल इंजन वाले हेलीकॉप्टर में होती है। यहां सवाल यह है कि सिंगल इंजन के हेलीकॉप्टर के संचालन को अनुमति दी ही क्यों जा रही है?
पायलटों के अनुभव पर भी उठे सवाल
चारधाम यात्रा में हेली सेवाओं का संचालन करने वाली कंपनियों और उनके पायलट के लिए उच्च हिमालयी क्षेत्रों में उड़ान के अनुभव पर भी सवाल उठते रहे हैं। आरोप है कि हिमालयी क्षेत्रों का अनुभव न होना भी समस्या की वजह बन रहा है। आज यह पहलू जानकारी में आने के बाद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने भी सख्त रुख अपनाया है।
लेटेस्ट Hindi News , बॉलीवुड न्यूज, बिजनेस न्यूज, टेक , ऑटो, करियर , और राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।