इंदल कुमार महतो खुद नहीं बन सके अधिकारी दोनों बच्चों को बना दिया प्राध्यापक
पंडवा, सच्चिदानंद मेहता। पलामू जिले में पाटन प्रखंड के बैदा गांव निवासी इंदल कुमार महतो प्रगतिशील किसान, सामाजिक कार्यकर्ता और ग्रामीण चिकित्सक के रूप

इंदल खुद नहीं बन सके अधिकारी दोनों बच्चों को बना दिया प्राध्यापक पंडवा। पलामू जिले में पाटन प्रखंड के बैदा गांव निवासी इंदल कुमार महतो प्रगतिशील किसान, सामाजिक कार्यकर्ता और ग्रामीण चिकित्सक के रूप में खुद को कड़ी मेहनत से स्थापित किया है। एकीकृत बिहार में बीपीएससी की परीक्षा का भी मुख्य परीक्षा तक सफल हो चुके इंदल कुमार महतो को प्रशासनिक पदाधिकारी बनने का सपना अधूरा रह गया था परंतु उन्होंने हार नहीं मानी और अंतत: अपने दोनों पुत्रों को प्राध्यापक बनाकर बिहार व झारखंड के विद्यार्थियों के सपने को पर देने में योगदान दे रहे हैं। वे बताते हैं कि उनकी आर्थिक स्थिति बहुत अच्छी नहीं थी।
परंतु उन्होंने चुनौतियों से जूझना सिखा है। अपने प्रथम पुत्र की प्रारंभिक शिक्षा गांव के प्राथमिक विद्यालय में जबकि छठी से आठवीं तक की पढ़ाई पड़ोस के गांव लामीपतरा के मिडिल स्कूल में करवाया। इसके बाद 10 तक की पढ़ाई मेदिनीनगर के ज्ञान निकेतन में करवाया। प्रथम पुत्र धर्मेंद्र ने विद्यालय में टॉप किया। बाद में उसने रांची के संत जेवियर कॉलेज में इंटरमीडियट और रांची के गौसनर कॉलेज से ग्रेजुएशन की पढ़ाई की। धर्मेंद्र कुमार मेहता को 2008 में भारत सरकार की सूचना एवं प्रसारण मंत्री सुषमा स्वराज ने लेखन प्रतियोगिता में अव्व्ल रहने पर पुरस्कृत किया था। एमए और बीएड करने के बाद वह पहले झारखंड में प्लस-2 के लिए चयनित हुआ और वर्तमान में बिहार के छपरा कॉलेज में हिंदी विषयक का सहायक प्राध्यापक है। इंदल कुमार महतो ने अपने दूसरे पुत्र जितेंद्र कुमार भी प्रारंभिक शिक्षा भी गांव और मेदिनीनगर में कराने के सेंट जेवियर्स कॉलेज से ग्रैजुएशन किया। स्नात्तकोत्तर व बीएड करने के बाद झारखंड के प्लस टू हाई स्कूल के लिए वह चयनित होकर फिलवक्त मेदिनीनगर के गिरिवर प्लस-2 विद्यालय में कार्यरत है। इंदल कुमार महतो ने कहा कि बच्चों की परवरिश में पत्नी प्रतिमा देवी का हमेशा भरपूर सहयोग मिला। आज वह उताकी पंचायत की मुखिया हैं। उन्हे कड़ी मेहतन का भरपूर इनाम ईश्वर और समाज ने दिया है।
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