बोले पलामू : गांव में काम नहीं, पलायन कर रहे हैं युवा
पलामू जिले के सिक्की कला पंचायत में सब्जी उत्पादक किसान रहते हैं, लेकिन गांव में शिक्षा, स्वास्थ्य, पेयजल और बिजली की स्थिति खराब है। इसके कारण युवा रोजगार के लिए पलायन कर रहे हैं। प्रशासन से सुधार की...
पलामू जिला मुख्यालय सिटी मेदिनीनगर से करीब आठ किमी दूरी पर पाटन प्रखंड में स्थित सिक्की कला पंचायत सब्जी उत्पाद किसानों के गांव के रूप में चर्चित है। ग्रामीणों की अपेक्षा है कि गांव में शिक्षा, स्वास्थ्य, पेयजल, बिजली आपूर्ति की स्थिति शहर की भांति हो, परंतु अबतक ऐसा नहीं हो पा रहा है। इस कारण रोजगार का अवसर गांव में सुलभ नहीं हो पा रहा है। गांव के नवयुवक रोजगार के लिए पलायन करने के लिए विवश हैं। युवाओं ने हिन्दुस्तान अखबार के बोले पलामू मुहिम में अपनी समस्याएं रखते हुए निदान की मांग की। मेदिनीनगर। पलामू जिले में पाटन खेती की दृष्टि से उपजाऊ जमीन वाला क्षेत्र माना जाता है। यहां के किसान फसल उत्पादन के लिए जी तोड़ मेहनत करते हैं। यही कारण है के मेदिनीनगर मुख्य बाजार में कन्नी राम चौक के पास प्रत्येक दिन सुबह में लगने वाला सब्जी बाजार में सिक्की कला पंचायत के सब्जी उत्पादकों की संख्या आधे से अधिक रहती है। हर मौसम में सिक्की व मेराल गांव की सब्जी और अन्य कृषि उत्पाद बाजार में भी छाया रहता है। आम ग्राहक भी सिक्की और मेराल की सब्जी होने की जानकारी मिलने के बाद बगैर मोलतोल के उसे खरीद लेते हैं। इसका मूल कारण है कि सिक्की और मेराल गांव मेदिनीनगर सदर प्रखंड के सटा हुआ गांव है, यहां किसान ताजी सब्जिजां लेकर उसे बेचने के लिए बाजार पहुंचते हैं। परंतु किसानों का दर्द है कि गांव में अबतक न तो सिंचाई की समुचित व्यवस्था की गई और न ही जीवन स्तर बेहतर बनाने की दिशा में कोई पहल की गई है।
किसानों और आम ग्रामीणों ने बताया कि गांव से मेदिनीनगर-पाटन स्टेट हाइवे गुजरने से मेदिनीनगर आना-जाना आसान हो गया है। परंतु गांव के स्कूल और स्वास्थ्य केंद्र की हालत को नहीं बदला गया। ऐसा भी नहीं कि स्कूल को बेहतर बनाने की दिशा में कोई पहल नहीं की गई। स्कूल को अपग्रेड कर अब 10वीं तक पढ़ाई की व्यवस्था गांव में ही उपलब्ध करा दिया गया है। परंतु बच्चों को गुणवत शिक्षा देने की दिशा में अबतक प्रयास सफल नहीं हुआ। स्कूल में भवन बनाए गए हैं परंतु शौचालय की बेहतर व्यवस्था नहीं है। इसके कारण शिक्षक व बच्चे खुले में शौच के लिए जाते हैं। इससे समय की भी बर्बादी होती है। स्कूल के शिक्षक व प्राध्यापकों के बीच खींचतान की स्थिति अब भी बनी हुई है। मुख्य सड़क के किनारे स्कूल है परंतु चहारदीवारी नहीं कराई गई है। इसके कारण दुर्घटना की आशंका हमेशा बनी रहती है।
जिला प्रशासन को चहारदीवारी और शौचालय की व्यवस्था दुरुस्त करने के साथ-साथ शिक्षकों पर भी पठन-पाठन बेहतर करने के लिए दबाव बनाना चाहिए। साथ ही पठन-पाठन में रूची नहीं लेने वाले शिक्षकों का तबादला किया जाना चाहिए। ग्रामीणों ने बताया कि स्वास्थ्य सुविधा के नाम पर सवास्थ्य उपकेंद्र उपलब्ध है। परंतु यहां पदस्थापित एएनएम को अन्य जगह का भी प्रभार दिया गया है। इसके कारण सिक्की पंचायत में वह समुचित ध्यान नहीं दे पाती है। स्वास्थ्य संबंधी जरूरतों के लिए लोगों को मेदिनीनगर नगर निगम के मेडिकल कॉलेज अस्पताल या निजी अस्पतालों की सुविधा लेने के लिए मजबूर होना पड़ता है। स्वास्थ्य उपकेंद्र का फायदा केवल स्वास्थ्य से जुड़ी योजनाओं की जानकारी मिलने तक ही सिमित है। सिक्की गांव समेत पूरे पंचायत बिजली की व्यवस्था में सुधार हुई है परंतु सिंचाई के लिए किसान बांस-बल्ली के सहारे बिजली तार, कुंआ, बोरिंग आदि तक ले जाने के लिए विवश है। तेज हवा चलने पर तार गिरने और करंट लगने की आशंका बढ़ जाती है। इसे लेकर हमेशा सावधानी बरतनी पड़ती है। सफाई आदि की कोई व्यवस्था सिक्की पंचायत में नहीं है। नाली का निर्माण भी गांव में समुचित रूप से नहीं हुआ है। इससे जलनिकासी की समस्या बरकरार है। पंचायत के टोले की सड़कों का भी समुचित रूप से निर्माण नहीं हुआ है।
नाली और सड़क नहीं है ठीक : मेदिनीनगर और पाटन के मुख्य सड़क के दोनों ओर फैला सिक्की गांव के अंदर में सड़कों की स्थिति बहुत खराब है। पक्की सड़क नहीं होने से बरसात में लोगों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है। वहीं नाली नहीं होने से गंदी पानी सड़को पर बहते रहता है। पानी निकासी के लिए कोई समुचित सुविधा नहीं है। वहीं गांवों के लोगों को इसके कारण आपस में हमेशा तनाव की स्थिति बनी रहती है।
प्राकृतिक जलस्रोत पर निर्भर हैं ग्रामीण
गांव के युवाओं ने बताया कि पंचायत में रोजगार की कोई सुविधा नहीं है। प्रत्येक घर से एक-दो लोग काम की तलाश में महानगरों में जाने के लिए विवश हैं। मनरेगा की योजनाओं में रोजगार प्राप्त करने में काफी परेशानी होती है और पैसा भी कम मिलता है। इसके कारण वे लोग महानगर में जाने के लिए विवश है। गांव में पाइप लाइन से जलापूर्ति भी चार-पांच सालों नहीं हो पा रही है। इसके कारण लोग कुंआ, चापानल या निजी बोरिंग के सहारे पानी की व्यवस्था करते हैं। स्कूल परिसर में एक मिनी जलमिनार भी लगाया गया है। इसका लाभ स्कूल और आसपास के परिवारों को मिलता है। ग्रामीणों ने कहा कि उपायुक्त स्तर से स्कूल में पठन-पाठन की जांच करने और स्थिति में सुधार करने की जरूरत है।
स्कूल में चहारदीवारी नहीं होने से दुर्घटना का भय
उत्कमित उच्च विद्यालय, मेदिनीनगर-पाटन मुख्य पथ के किनारे स्थित है। विद्यालय में चारदीवारी नहीं होने से स्कूल के बच्चे अक्सर सड़को के किनारे निकल जाते हैं। जो दुर्घटना का आमंत्रण करता है। विद्यालय परिसर में असामाजिक तत्वों की अड्डा भी बना रहता है। साथ हीं स्कूल समय में भी ग्रामीणों का विद्यालय परिसर से आते जाते रहते हैं इससे पढ़ाई में बाधा उत्पन्न होता है। चारदीवारी नहीं होने से विद्यालय की की संपति भी असुरक्षित है।
सिंचाई की सुविधा नहीं
सिक्की कला के ग्रामीण का जीवन खेती और मजदूरी पर निर्भर है। अधिकांश ग्रामीण खेती करते हैं। सब्जी की खेती पर्याप्त मात्रा में करते हैं। लेकिन किसानो को सिंचाई के लिए कोई सुविधा नहीं है। किसान खुद से कुआं खोदकर और बोर के करके खेतों की सिंचाई करते हैं। पर्याप्त पानी नहीं मिलने से फसल बर्बाद हो जाता है। पानी के कमी के कारण लातेदार सब्जियों और जेठुआ सब्जियों का उत्पादन नहीं कर पा रहे हैं। इससे आर्थिक संकट उत्पन हो जा रहा है।
बिजली की स्थिति भी दयनीय
सिक्की के ग्रामीणों को स्वच्छ पेयजल की सुविधा नहीं है। लोगो को कुआं और चपाकल के माध्यम से पानी पीना पड़ता है। जिसमें फ्लोराइड की मात्रा अधिक है। बिजली की स्थित भी बहुत खराब है। घरेलू बिजली उपभोक्ताओं को 14 से 16 घंटा ही बिजली मिलता है। किसानो को खेती करने के लिए बिजली की नहीं मिलती है। इससे किसानों को परेशानी होती है।
समस्याएं
1. सिक्की कला बगानी खेती का बड़ा केंद्र बन गया है परंतु सिंचाई की समुचित व्यवस्था नहीं है।
2. सिंचाई के लिए आम किसान बांस की बल्ली के सहारे तार खेतों तक ले गए हैं।
3. स्कूल को अपग्रेड कर हाईस्कूल स्तर का कर दिया गया है, परंतु चहारदीवारी नहीं है।
4. पाइपलाइन से जलापूर्ति करीब पांच वर्षो से ठप है, जिससे लोगों को परेशानी होती है।
5. गांव में नाली और टोले की सड़कों की स्थिति भी वर्षों से अच्छी नहीं है।
सुझाव
1. किशुनपुर जलापूर्ति योजना का संचालन पुन: शुरू कर जलापूर्ति सुनिश्चित किया जाए।
2. गांव में नाली और टोले की सड़कों की स्थिति ठीक करने की दिशा में पहल हो।
3. स्कूल की चहारदीवारी का निर्माण प्राथमिकता के आधार पर कराने की आवश्यकता है।
4. सिंचाई के लिए आम किसान को बिरसा कृषि कूप उपलब्ध कराने की जरूरत है।
5. रोजगार का अवसर उपलब्ध कराने के लिए युवाओं को ट्रेनिंग देने की व्यवस्था हो।
इनकी भी सुनिए
पेंटिंग का काम करते है मजदूरी हमेशा नहीं मिलती है। सप्ताह में दो से तीन दिन ही काम मिलता है। काम नहीं मिलने पर दिल्ली मुंबई जाना पड़ता है । सरकार को ग्रामीण क्षेत्रों के किसान, युवा आदि के लिए अवसर विकसित करना चाहिए ताकि गांव की स्थिति भी बेहतर हो सके और युवाओं का पलायन पर रोल लग सके।
-अभिषेक कुमार सिंह
सिंचाई की व्यवस्था के लिए बिरसा कूप आवेदन के आधार पर स्वीकृत किया जा रहा है। इससे किसानों को कृषि में मदद मिलेगी। स्कूल की चहारदीवारी व शौचालय की सुविधा शिक्षा विभाग की योजना से संभव है। इस दिशा में विचार किया जाएगा और जल्द ग्रामीणों की समस्याओं का निदान किया जाएगा।
-डॉ अमित कुमार झा, बीडीओ, पाटन
ग्रामीणों ने कहा- सिंचाई की मुकम्मल व्यवस्था हो
सिक्की कला गांव आज भी मूलभूत सुविधाओं से वंचित है । गांव में पेयजल की कमी है, सिंचाई के साधनों का अभाव है। जिसके कारण गांव के किसान दूसरे पेशा की ओर मुड़ने लगे है । -बूंदे कुमार सिंह
वर्तमान परिदृश्य के अनुसार किसानों को विभिन्न तकनीकों का प्रशिक्षण नहीं दिया जाता है जिसके कारण वे परम्परागत खेती से कम आय अर्जित कर पाते है। -नीतीश कुमार
गांव के किसानों को प्रशासन द्वारा खेती के लिए प्रेरित नहीं किया जाता है। जिससे उनका मनोबल टूट जाता है और वे यह पेशा को छोड़ते जा रहे है। सिंचाई की सुविधा की भी कमी है। -खीरोत सिंह
गांव के किसानों को खेती के लिए कोई भी अत्याधुनिक कृषि यंत्र नहीं दिया जाता है जिसके कारण स्थिति दयनीय होती जा रही है और खेती करने में परेशानी होती है। -सुनील कुमार सिंह
किसानों के उत्पाद को बेचने के बेहतर बाजार की कमी है जिसके कारण उत्पाद का वास्तविक मूल्य नहीं मिल पाता है। उत्पाद बेचने के लिए किसानों को काफी दूर जाना पड़ता है। -अकुफ अंसारी
सरकार द्वारा सिंचाई की व्यवस्था नहीं होने से फसल का उत्पादन कम होता है । सिंचाई की सुविधा का घोर अभाव है। साथ ही गांव में जरूरी सुविधाओं का भी घोर अभाव है। -फ़नेश्वर सिंह
जो काम मिलता है वहीं करते हैं। बाहर जाकर काम करना पड़ता है। यहां काम नहीं मिलता है। बाहर जाने के बाद मजदूरी भी नहीं मिलता है। ठिकेदार पैसा भी डूबा देता है। -विकाश कुमार सिंह
गांव में काम नहीं मिलता है। मेदिनीनगर जाते है लेकिन ज्यादा काम नहीं मिलता है। बाहर जाकर काम करना पड़ता है। स्थिति बेहद खराब है। काम नहीं मिलने से आर्थिक संकट होती है। -मंटू पासवान
दहाड़ी मजदूरी का काम करने के लिए रोजाना बाहर जाना पड़ता है। काम भी नहीं मिलता है। कई बार मजदूरी भी नहीं मिलती है। काम नहीं मिलने से परिवार के पोषण में दिक्कत होती है। -भोला सिंह
गांव आज भी पेयजल सहित बुनियादी सुविधाओं के अभाव में है। निश्चित रूप से स्थिति की बेहतर करने के लिए युवाओं को रोजगार से जोड़ना होगा तभी गांव का विकास संभव हे। -अविनाश सिंह
युवाओं को तकनीक प्रशिक्षण देकर स्वरोजगार के लिए प्रेरित करना चाहिए ताकि लोग रोजगार को तवज्जो दे। कौशल विकास से जोड़कर युवाओं को रोजगार दिया जाए। -रोहित सिंह
गांव में स्कूल तो है मगर शिक्षा का स्तर अबतक सुदृढ़ नहीं हुआ परिणामतः साक्षरता दर बेहद कम है। बेहतर शिक्षा की व्यवस्था नहीं होने से यहां के लोग उच्च शिक्षा से वंचित रह जाते हैं। -मुकेश कुमार
पांकी में बोले पलामू कार्यक्रम के दौरान हिन्दुस्तान से अपनी परेशानियां साझा करते सिक्की गांव के लोग।
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