आबादी 4.22 करोड़, जिला अस्पतालों में बेड 3710; झारखंड की लचर स्वास्थ्य व्यवस्था से हाल बेहाल
राज्यभर में आवश्यकता के मुकाबले महज 40 प्रतिशत बेड ही उपलब्ध है। यानी, राज्य के जिला अस्पतालों में आबादी में दशकीय वृद्धि दर के अनुसार लगभग 60 प्रतिशत बेड कम हैं।

देश में स्वास्थ्य सेवा की गुणवत्ता में सुधार के लिए मानक के रूप में भारतीय सार्वजनिक स्वास्थ्य मानक (आईपीएचएस) का उपयोग किया जाता है। आईपीएचएस निर्धारित करता है कि जिला अस्पताल में बेड की आवश्यकता उस जिले की जनसंख्या पर आधारित होनी चाहिए। उस लिहाज से देखें तो राज्यभर में आवश्यकता के मुकाबले महज 40 प्रतिशत बेड ही उपलब्ध है। यानी, राज्य के जिला अस्पतालों में आबादी में दशकीय वृद्धि दर के अनुसार लगभग 60 प्रतिशत बेड कम हैं।
दशकी वृद्धि दर के अनुसार मार्च 2022 तक राज्य की जनसंख्या लगभग 4,22,28,108 मानी गयी है। अंकेक्षण में पाया गया कि उक्त जनसंख्या के अनुसार राज्य के जिला अस्पतालों में ‘भारतीय सार्वजनिक स्वास्थ्य मानक’ के अनुसार कुल 9256 बेड की आवश्यकता है। जबकि, राज्यभर के जिला अस्पतालों में महज 3710 बेड ही उपलब्ध हैं।
यही नहीं, प्रसव के दौरान की जटिलताओं एवं नवजात की देखभाल की बात करें तो राज्यभर के सभी जिला अस्पतालों में महज 1066 बेड उपलब्ध हैं। इसमें छह जिला अस्पताल ऐसे हैं, जहां मातृत्व एवं शिशु देखभाल के लिए बेड की संख्या 30 या 30 से कम है। मातृत्व एवं शिशु देखभाल के लिए तीन साल में बढ़े 37 बेड: प्रसव के दौरान उचित देखभाल मृत जन्म, नवजात मृत्यु और अन्य जटिलताओं को रोकती है। कोई भी गर्भावस्था किसी भी स्तर पर जटिलता विकसित कर सकती है।
ऐसे मामलों के प्रबंधन के लिए प्रसूती देखभाल अति महत्वपूर्ण है। लेकिन अंकेक्षण में मातृत्व एवं शिशु देखभाल की सेवाओं के संसाधन, प्रबंधन एवं नैदानिक दक्षता में भी कमियां पाई गयीं। अंकेक्षण में पाया गया कि राज्यभर के जिला अस्पतालों में मातृत्व एवं शिशु देखभाल के लिए कुल 1066 बेड उपलब्ध हैं। तीन सालों की बात करें तो 2019-20 से 2021-22 तक में महज 37 बेड का इजाफा हुआ है। राज्य के कुल 1966 बेड में 200 बेड रांची में हैं, जबकि लातेहार में महज 21 बेड उपलब्ध हैं।
50 की जनसंख्या पर एक एडमिशन के आधार पर बेड का निर्धारण: ‘भारतीय सार्वजनिक स्वास्थ्य मानक’ निर्धारित करता है कि जिला अस्प्ताल की कुल बेड की आवश्यकता जिले की कुल जनसंख्या पर आधारित होनी चाहिए। इसके लिए बेड की आवश्यकता का आकलन जिला अस्पताल में एडमिशन की वार्षिक दर, जो कि प्रति 50 की जनसंख्या पर एक और पांच दिनों के लिए अस्पताल में रहने की औसत अवधि के आधार पर किया जाता है।