मनरेगा मजदूरी हो 405 रुपये, पीएम आवास के लिए मिले दो लाख : दीपिका
केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान से झारखंड की मंत्री दीपिका पांडेय सिंह ने की मुलाकात, प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) में प्रति इका

रांची, हिन्दुस्तान ब्यूरो। झारखंड की ग्रामीम विकास मंत्री दीपिका पांडेय सिंह ने मंगलवार को केंद्रीय कृषि व ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान से मुलाकात की। उन्होंने झारखंड के ग्रामीण विकास व मनरेगा से जुड़े लंबित भुगतान, मनरेगा मजदूरी दर में वृद्धि, सीएफपी फंड और एसडीआर दरों की पुनर्समीक्षा की मांग की। उन्होंने कहा कि मनरेगा मजदूरी दर में अन्य राज्यों के समान बढ़ोतरी हो। झारखंड की मनरेगा मजदूरी दर वर्तमान में 255 प्रतिदिन है, जो अन्य राज्यों की तुलना में कम है। राज्य सरकार ने आग्रह किया कि इसे बढ़ाकर न्यूनतम 405 प्रतिदिन किया जाए।
वहीं, प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) में प्रति इकाई राशि 1.20 लाख से बढ़ाकर दो लाख की जाए। झारखंड सरकार की अबुआ आवास योजना में प्रति लाभार्थी दो लाख की राशि स्वीकृत की जाती है, जबकि केंद्र प्रायोजित प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) में यह राशि मात्र 1.20 लाख है। राज्य ने प्रस्ताव दिया कि केंद्र की योजना को भी अबुआ आवास के अनुरूप बनाते हुए प्रति यूनिट राशि दो लाख की जाए, ताकि ग्रामीण परिवारों को मजबूत, सुरक्षित और गरिमामयी आवास मिल सके।
दीपिका पांडेय सिंह ने कहा कि सामग्री मद में 747 करोड़ की लंबित राशि का भुगतान किया जाए। मनरेगा के अंतर्गत सामग्री मद में केंद्र सरकार के पास लंबित 747 करोड़ की राशि को जल्द से जल्द राज्य के स्टेट नोडल एकाउंट में जारी किया जाए। जिन कार्यों से संबंधित बिलों के फंड ट्रांसफर ऑर्डर पहले ही मनरेगा पोर्टल पर अपलोड किए जा चुके हैं, उनकी भुगतान प्रक्रिया में तेजी लाई जाए। इसके अलावा राज्य के लाखों श्रमिकों को समय पर मजदूरी भुगतान सुनिश्चित करने के लिए मनरेगा की मजदूरी मद में केंद्र सरकार से 150 करोड़ की लंबित राशि तत्काल उपलब्ध कराने का आग्रह किया गया। दीपिका पांडेय सिंह ने कहा कि प्रशासनिक मद में पिछले तीन महीनों से राशि प्राप्त नहीं हुई है। राज्य में मनरेगा प्रशासनिक मद के अंतर्गत कार्यरत लगभग 5400 से अधिक कर्मियों का वेतन और संचालनगत खर्च तीन माह से लंबित है। इस कारण योजना संचालन प्रभावित हो रही है। साथ ही, 25,000 अतिरिक्त राज मिस्त्रियों के प्रशिक्षण के लिए स्वीकृत राशि का भुगतान लंबित है। भारत सरकार की ओर से पूर्व में झारखंड राज्य को 25,000 अतिरिक्त राजमिस्त्रियों को प्रशिक्षित करने की स्वीकृति प्रदान की गई थी, लेकिन इससे संबंधित राशि अभी तक राज्य को प्राप्त नहीं हुई है।
राशि जल्द से जल्द केंद्र जारी करे
झारखंड के पठारी और कठोर मिट्टी वाले भूभाग में कुएं की खुदाई जैसे कार्य अत्यंत कठिन होते हैं। वर्तमान एसडीआर दरें इस कार्यभार के अनुरूप नहीं हैं। राज्य सरकार ने एसडीआर दरों के अन्य पठारी राज्यों की तर्ज पर पुनरीक्षण की अनुमति देने की मांग की। साथ ही, एक वर्ष से अधिक समय से सामग्री और श्रम से संबंधित कई एफटीओ लंबित हैं, जिससे श्रमिकों व आपूर्तिकर्ताओं को कठिनाई हो रही है। लंबित भुगतान में 7.06 करोड़ मजदूरी मद में और 43 लाख सामग्री मद में हैं। मनरेगा के सीएफटी में कार्यरत श्रमिकों का 2.86 करोड़ का मानदेय पिछले तीन महीनों से लंबित है। यह राशि जल्द से जल्द केंद्र जारी करे।
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