Ranchi Bar Association Advocates Demand Basic Facilities and Stipend Restoration बोले रांची: सिविल कोर्ट में डिस्प्ले बोर्ड लगाया जाए और बैठने की व्यवस्था हो, Ranchi Hindi News - Hindustan
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बोले रांची: सिविल कोर्ट में डिस्प्ले बोर्ड लगाया जाए और बैठने की व्यवस्था हो

रांची जिला बार एसोसिएशन में पांच हजार से अधिक अधिवक्ता हैं, लेकिन उन्हें बुनियादी सुविधाएं नहीं मिलतीं। अधिवक्ताओं ने नए वकीलों के स्टाइपेंड की बहाली, जल संयंत्र, सुरक्षा उपायों और महिला वकीलों के लिए...

Newswrap हिन्दुस्तान, रांचीMon, 28 April 2025 05:10 AM
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बोले रांची: सिविल कोर्ट में डिस्प्ले बोर्ड लगाया जाए और बैठने की व्यवस्था हो

रांची, संवाददाता। रांची जिला बार एसोसिएशन में पांच हजार से अधिक अधिवक्ता हैं। प्रतिदिन 2500 से अधिक अधिवक्ता कार्यों में संलग्न रहते हैं। लेकिन, इन्हें बुनियादी सुविधाएं भी नहीं मिलतीं। हिन्दुस्तान के बोले रांची कार्यक्रम में अधिवक्ताओं ने कहा कि नए वकीलों का स्टाइपेंड सालों से बंद है। इसे अभी तक शुरू नहीं किया गया। उन्होंने कहा कि यहां बैठने की सुविधा का अभाव है। पीने के लिए पानी की व्यवस्था नहीं है। सुरक्षा की कमी है। महिला वकीलों के लिए पर्याप्त व्यवस्था नहीं है। उन्होंने कहा कि हाईकोर्ट की तर्ज पर सिविल कोर्ट में डिस्प्ले बोर्ड लगाया जाए। एक विकसित, सुरक्षित और सुविधा संपन्न रांची बार एसोसिएशन का सपना अब आवश्यकता बन चुका है। बैठने की समुचित व्यवस्था, जल संयंत्र, आधुनिक पार्किंग, वकीलों के लिए स्वास्थ्य सुविधाएं और महिला वकीलों के लिए सुरक्षित विश्राम स्थल, ये सब न्यूनतम अपेक्षाएं हैं। एक सुव्यवस्थित बार एसोसिएशन न केवल वकीलों के जीवन को बेहतर बनाएगा, बल्कि न्याय वितरण प्रणाली में आम जनता का विश्वास भी प्रबल करेगा।

नए वकीलों के स्टाइपेंड दोबारा शुरू हो: हिन्दुस्तान के बोले रांची कार्यक्रम में अधिवक्ताओं ने कहा कि नवोदित वकीलों को शुरुआती वर्षों में आर्थिक सहारा अत्यंत आवश्यक होता है। रांची बार संघ पूर्व में नए वकीलों को एक हजार का स्टाइपेंड तीन वर्षों तक देता था, जो वर्तमान में कई महीनों से बंद है। अधिवक्ताओं ने बताया कि राज्य सरकार ने स्टाइपेंड की राशि को बढ़ाकर पांच हजार करने की बात कही। इसमें 2500 रुपए राज्य सरकार और इतनी ही राशि बार एसोसिएशन को देनी थी। लेकिन, ये योजना धरातल पर नहीं उतर सकी। वहीं, कुछ युवा वकील ने पूर्व में चलाई गई स्टाइपेंड योजना को दोबारा शुरू करने की बात कही। उनका कहना था कि इससे युवा वकीलों को आत्मनिर्भर बनने का अवसर मिलेगा। इसके लिए सरकार एवं बार एसोसिएशन को इस दिशा में शीघ्र पहल करनी चाहिए।

सिविल कोर्ट में लगे डिस्प्ले बोर्ड

सिविल कोर्ट के अधिवक्ताओं ने हाई कोर्ट की तर्ज पर सिविल कोर्ट में डिस्प्ले बोर्ड लगाने की मांग की। उनका कहना था कि इससे कोर्ट में जिस केस की सुनवाई चलते रहेगी, उसकी सूचना उन्हें मिल सकेगी। उसके अनुसार उन्हें काम करने में सुविधा होगी।

अधिवक्ताओं के लिए मेडिकल सुविधा का अभाव

अधिवक्ताओं ने कहा कि बार एसोसिएशन के सदस्यों को चिकित्सा सुविधा से जोड़ना अत्यंत आवश्यक है। अदालत में कार्य करते समय चोट लगने, बीमार पड़ने या अन्य आपात स्थितियों के समय त्वरित मेडिकल सहायता आवश्यक है। अधिवक्ताओं के लिए अस्पताल से अनुबंध कर तत्काल उपचार सुविधा उपलब्ध कराई जानी चाहिए। साथ ही उन्हें और उनके परिवार के लिए स्वास्थ्य बीमा दी जानी चाहिए, जिससे बीमारी के समय किसी भी तरह का आर्थिक बोझ उनपर नहीं पड़े।

अधिवक्ता सुरक्षा अधिनियम की मांग

अधिवक्ताओं ने कहा कि वकीलों के साथ कार्य स्थल पर आए दिन अभद्र व्यवहार, हमला एवं सुरक्षा संबंधी घटनाएं सामने आती रहती हैं। इसलिए, अधिवक्ताओं की सुरक्षा हेतु विशेष कानून की आवश्यकता है। अधिवक्ताओं के लिए राज्य सरकार अधिवक्ता सुरक्षा अधिनियम लागू करे। साथ ही कोर्ट परिसर को सेफ जोन घोषित किया जाए। परिसर में पुलिस सहायता केंद्र की स्थापना की जानी चाहिए। अधिवक्ताओं ने कहा कि जिला के बार परिसर में पार्किंग व्यवस्था अत्यंत अव्यवस्थित है। आए दिन वकीलों और मुवक्किलों की गाड़ियां चोरी हो रही हैं। पार्किंग एरिया में उचित निगरानी नहीं है। आम लोग बिना किसी काम के बार परिसर में गाड़ी खड़ा कर चले जाते हैं। सीसीटीवी की भी पर्याप्त व्यवस्था नहीं है। यहां सुरक्षा व्यवस्था के साथ व्यवस्थित पार्किंग होनी चाहिए।

बार संघ परिसर में वाटर फिल्टर और कूलर का प्रबंध किया जाए

अधिवक्ताओं ने कहा कि पीने के स्वच्छ जल की अनुपलब्धता वकीलों और मुवक्किलों के स्वास्थ्य पर सीधा असर डालती है। अत्यधिक गर्मी में जलसंकट से कार्यक्षमता में गिरावट आती है। रांची बार एसोसिएशन में वाटर फिल्टर और कूलर की कमी है। हर परिसर में वाटर फिल्टर और कूलर स्थापित कर जलसंकट को समाप्त किया जाना चाहिए, ताकि सभी को राहत मिले।

कोर्ट और बार संघ परिसर में सुरक्षा का स्तर बढ़ाया जाए

जिला बार संघ के वकीलों ने कहा कि बार और कोर्ट परिसर में सुरक्षा का स्तर बढ़ाना आवश्यक है। सीसीटीवी कैमरों की व्यापक व्यवस्था, प्रशिक्षित गार्ड्स और पार्किंग में अनुशासित प्रवेश-निकासी व्यवस्था लागू करनी होगी। सुरक्षा उपाय केवल संपत्ति की रक्षा नहीं करते, बल्कि वकीलों का आत्मविश्वास भी बढ़ाते हैं। वर्तमान में आए दिन पार्किंग से वाहनों की चोरी हो जाती है।

महिला वकीलों के लिए विश्राम गृह की व्यवस्था तुरंत की जाए

महिला अधिवक्ताओं ने कहा कि महिला अधिवक्ताओं के लिए एक समर्पित और सुरक्षित रेस्ट रूम की तत्काल आवश्यकता है। विश्राम गृह में साफ-सफाई, बैठने की सुविधा, स्वास्थ्य सुविधा और निजता का पूरा ध्यान रखा जाए। इससे कार्यस्थल पर महिलाओं का आत्म-सम्मान बढ़ेगा और उनकी भागीदारी भी सशक्त होगी। साथ ही महिला मुवक्किलों के लिए भी एक रूम की व्यवस्था होनी चाहिए।

समस्याएं

1. वर्तमान समय में रांची बार परिसर में बैठने की पर्याप्त व्यवस्था नहीं है।

2. गर्मियों के मौसम में पीने के पानी की भारी किल्लत का सामना करना पड़ता है।

3. पार्किंग स्थल पूरी तरह अव्यवस्थित और गाड़ियों की चोरी की घटनाएं आम हैं।

4. सिविल कोर्ट परिसर में डिस्प्ले बोर्ड नहीं लगा है, जिससे केस की जानकारी लेने में परेशानी।

5. नए वकीलों के लिए स्टाइपेंड योजना बंद, नए वकीलों को आर्थिक सुविधा नहीं।

सुझाव

1. रांची बार संघ को आवंटित अतिरिक्त भूमि पर उन्हें कब्जा दिया जाए।

2. गर्मियों के मौसम में पीने के पानी की व्यवस्था सिविल कोर्ट परिसर में की जाए।

3. पार्किंग स्थल को व्यवस्थित किया जाए, जिससे गाड़ियों की चोरी रुक सके।

4. सिविल कोर्ट परिसर में डिस्प्ले बोर्ड लगाया जाए, जिससे केस की जानकारी मिल सके।

5. नए वकीलों के लिए स्टाइपेंड योजना दोबारा शुरू हो, जिससे वकीलों को आर्थिक सुविधा मिले।

:: बोले लोग ::

गर्मी के मौसम में तापमान काफी बढ़ जाता है। इसके लिए अप्रैल से जून तक कोर्ट का समय मॉर्निंग शिफ्ट किया जाना चाहिए। इससे वकीलों के साथ मुवक्किलों की भी परेशानी कम होगी। रांची बार भवन में कैंटीन की व्यवस्था होनी चाहिए, जिससे अधिवक्ताओं को सुविधा हो सके। आने वाले मुवक्किल भी इसका लाभ उठा सकें।

- शंभु अग्रवाल

हाईकोर्ट की तर्ज पर सिविल कोर्ट का कैलेंडर जारी करना चाहिए। सरकार ने वकीलों को बीमा देने की घोषणा की है, वो धरातल पर नहीं उतरा है। राज्य में 35 हजार वकील हैं और बीमा 15 हजार वकीलों को देने की बात कही गई है। इसमें किन वकीलों को इन योजनाओं का लाभ मिलेगा, ये अभी पारदर्शी नहीं है। वकीलों की डेथ क्लेम राशि को भी बढ़ाया जाना चाहिए।

- संजय विद्रोही

वकीलों को किसी बुनियादी सुविधा का लाभ नहीं मिलता है। पहले एक हजार रुपए स्टाइपेंड मिलता था, वो भी काफी समय से बंद है।

-मनीष कुमार

बार एसोसिएशन के सामने जो सीलिंग की गई है, उसे पूरे परिसर में लगाने की जरूरत है। पानी की व्यवस्या हो, जिससे राहत मिले।

-ओम प्रकाश कच्छप

बार एसोसिएशन में अधिवक्ताओं के बैठने के लिए समुचित व्यवस्था नहीं है। इससे नए प्रैक्टिस करने वाले वकीलों को जगह नहीं मिलती।

-प्रदीप चौरसिया

बार परिसर में जगह समुचित नहीं है। कई वकीलों के बैठने की भी व्यवस्था नहीं हो पाती है। परिसर में सुरक्षा पर कड़ाई होनी चाहिए।

-रोहित रंजन प्रसाद

रांची बार परिसर में पार्किंग की बहुत बड़ी समस्या है। यहां वाहनों को देखने वाला कोई नहीं है। आए दिन गाड़ियों की चोरी होती है।

-अजय कुमार महतो

सभी अधिवक्ताओं को बार एसोसिएशन के द्वारा सामूहिक स्वास्थ्य बीमा से जोड़ना चाहिए। आयुष्मान योजना का लाभ भी नहीं मिलता है।

-मुकेश कुमार केशरी

सिविल कोर्ट में स्टांप की अक्सर कमी रहती है। इससे काम प्रभावित होता है। गर्मी बढ़ गई है, कोर्ट को मॉर्निंग कर देना चाहिए।

-अखौरी अंजनी कुमार

महिला मुवक्किलों के लिए एक रूम की व्यवस्था होनी चाहिए। जिसमें वे बच्चों को फिडिंग करा सकें। यह बहुत जरूरी है।

-आरती ललन गुप्ता

महिला अधिवक्ताओं के लिए एक समर्पित और सुरक्षित रेस्ट रूम की तत्काल आवश्यकता है। इससे निजता का पूरा ध्यान रखा जाए।

-विजया लक्ष्मी श्रीवास्तव

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