गर्मियों में संजीवनी है शहतुत, इसका सेवन लु से बचाता है
सिमडेगा में शहतुत का पौधा न केवल रेशम उत्पादन में सहायक है, बल्कि इसके फल गर्मी से राहत देते हैं। शहतुत में एण्टी ऑक्सीडेंट, पोटैशियम, विटामिन ए और फॉस्फोरस प्रचुर मात्रा में होते हैं। यह कैंसर के...

सिमडेगा। प्रकृति की गोद में कई अनमोल पौधे और फल हैं, जो हमारे लिए किसी वरदान से कम नहीं होते हैं। इन्ही में से एक है शहतुत का पौधा। जो रेशम उत्पादन के साथ साथ एक ऐसा फल भी देता है जो हमें गर्मी के कहर से बचाती है। वनोपज के लिए प्रसिद्ध आदिवासी बहुल जिला शहतुत उत्पादन में भी अग्रणी है। यहां रेशम उत्पादन के दृष्टीकोण से शहतुत की खेती की जाती है। माना जाता है कि शहतुत में रेशम का अच्छा उत्पादन होता है। लेकिन यह शहतुत अपने एक और खासियत के लिए जाना जाता है। शहतुत के लंबे लंबे काले लाल हरे खट्टे मीठे फल गर्मी के दिनों में लू से भी बचाती है। साथ ही इस फल में एण्टी ऑक्सीडेंट प्रचुर मात्रा में होती है। शहतूत का फल खाने में जितना स्वादिष्ट होता है उतना सेहतमंद भी। आयुर्वेद में शहतूत के ढेरों फायदों के बारे में जानकारी दी गई है। शहतूत में पोटैशियम, विटामिन ए और फॉस्फोरस प्रचुर मात्रा में होती है। जो कई तरह से हमारे लिए फायदेमंद होती है। यही कारण है कि यहां के लोग शहतुत का सेवन काफी मात्रा में करते हैं। सिमडेगा के बीरू और फरसाबेड़ा में शहतूत की बड़ी मात्रा में फार्मिंग की जा रही है। जिससे यहां रेशम का उत्पादन किया जा सके और सिमडेगा को सिल्क हब के रूप में डेवलपमेंट किया जा सके। बताया गया कि शहतूत कैंसर के जोखिम को भी कम करने की क्षमता रखता है। शहतुत के फायदे को जान सिर्फ ग्रामीण ही नहीं चिकित्सा क्षेत्र से जुड़े लोग भी इसका रोजाना सेवन करते हैं।
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