बच्चों को जबरदस्ती तो पढ़ने नहीं बैठा देते आप? जान लें होने वाले 5 बड़े नुकसान
कई बार पैरेंट्स बच्चों पर पढ़ाई का दबाव बनाते हैं और उन्हें पढ़ने के लिए फोर्स करते हैं। इस एक आदत की वजह से बच्चे के स्टडी हैबिट पर बहुत ही ज्यादा नेगेटिव असर भी पड़ सकता है।

बच्चों का मन करे तो सारा दिन सिर्फ खेलने-कूदने में ही बिता दें। ये बात पैरेंट्स अच्छी तरह समझते हैं इसलिए समय-समय पर बच्चों को पढ़ाई करना भी याद दिलाते ही रहते हैं। बचपन में खेलना-कूदना स्वाभाविक है और बच्चों के विकास के लिए जरूरी भी। लेकिन पढ़ाई का महत्व भी उतना ही है और इसलिए शुरू से बच्चों में पढ़ाई की आदत डालना भी बेहद जरूरी है। लेकिन परेशानी तब बढ़ती है जब बच्चे पढ़ने का नाम ही नहीं लेते। इस स्थिति में ज्यादातर पैरेंट्स उन्हें डांट-डपटकर, जबरदस्ती पढ़ने बैठा देते हैं लेकिन क्या ये सही है? एक्सपर्ट्स के मुताबिक बच्चों को हमेशा प्यार से समझाकर, पढ़ाई का महत्व बताकर की पढ़ने बैठाना चाहिए वरना जबरदस्ती के तो उल्टा बड़े नुकसान भी उठाने पड़ सकते हैं। आइए जानते हैं क्यों बच्चों को धमकाकर पढ़ने नहीं बैठाना चाहिए।
पढ़ाई को बोझ समझने लगते हैं बच्चे
जब आप बच्चे को डरा धमकाकर पढ़ने बैठा देते हैं, तो पढ़ाई को ले कर उसके मन में बड़ी नेगेटिविटी सी बैठ जाती है। उसे पढ़ाई एक तरह का बोझ लगने लगती है और वो कभी भी मन से पढ़ना स्वीकार ही नहीं कर पाता। हो सकता है बच्चा जबरदस्ती आपके कहने से पढ़ने बैठ भी जाए लेकिन ज्यादा चांस हैं कि वो आपके सामने पढ़ने का नाटक भर करेगा। इसलिए बेहतर है कि उसे पढ़ाई का महत्व समझाएं ताकि वो मन से पढ़ने बैठे, ना की महज दिखावे के लिए।
पढ़ाई को ले कर नहीं जग पाता बच्चे का इंटरेस्ट
जब पढ़ाई को बच्चे पर जबरदस्ती फोर्स किया जाता है, तो बच्चे उसमें अपना इंटरेस्ट डेवलप नहीं कर पाते हैं। वो पढ़ते तो हैं लेकिन सिर्फ आपको दिखाने के लिए या सिर्फ अच्छे नंबर लाने के लिए। लेकिन इंटरेस्ट का अभाव होने के कारण ना ही वो नए-नए सब्जेक्ट्स को एक्सप्लोर करते हैं और ना ही कुछ नया सीखने की इच्छा ही उनमें रहती है।
बढ़ सकते हैं स्ट्रेस और एंग्जाइटी
जबरदस्ती पढ़ाई का बोझ बच्चों पर थोपना उनकी मेंटल हेल्थ के लिए बिल्कुल भी अच्छा नहीं। कई पैरेंट्स बच्चों पर उनकी क्षमता से भी ज्यादा पढ़ने के लिए दबाव बनाते हैं। यही स्टडी प्रेशर बच्चों में स्ट्रेस और एंग्जाइटी जैसे मेंटल इश्यूज का कारण बनता है। कई बार बच्चे बर्नआउट का भी शिकार बन सकते हैं, जो कम उम्र से ही उनमें मेंटल हेल्थ इश्यूज को जन्म दे सकता है।
बच्चों की क्रिएटिविटी पर पड़ सकता है नेगेटिव असर
जबरदस्ती डांट-फटकारकर बच्चे को पढ़ने बैठाकर आप उसकी क्रिएटिविटी को भी कम करते हैं। दरअसल जब बच्चा पढ़ाई को महज एक बोझिल काम की तरह देखता है तो वो जल्द से जल्द उसे केवल खत्म करने पर ध्यान देता है। ऐसे में वो पढ़ाई में इंटरेस्ट ले कर ना चीजों पर क्रिटिकल थिंक करता है और ना ही किसी चीजों को जानने की ज्यादा क्यूरियोसिटी की डेवलप कर पाता है। इससे बच्चे क्रिएटिविटी पर भी नेगेटिव असर पड़ता है।
बच्चे और पैरेंट्स के रिश्ते पर पड़ सकता है असर
बच्चों पर पढ़ाई का दबाव बनाना, लगातार उन्हें पढ़ने के लिए फोर्स करते रहना; आपके और आपके बच्चे के रिश्ते बिगाड़ सकता है। इससे बच्चों में आपके प्रति गुस्सा, नफरतौर शिकायत की भावना पैदा हो सकती है। ज्यादा दवाब के कारण कई बार बच्चे पैरेंट्स से दूरी भी बनाने लगते हैं और कम उम्र में तो अक्सर उन्हें अपने मां-बाप विलेन भी लगने लगते हैं। ऐसे में बच्चों पर पढ़ाई का ज्यादा दवाब बनाने से बचें बल्कि कैसे पढ़ाई को उनके लिए फन बनाया जा सकता है, इसपर ध्यान दें।
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