कच्ची उम्र में ही प्यार-मोहब्बत में ना पड़ जाए बच्चा, मां-बाप रखें इन 5 बातों का ध्यान
Parenting Tips: प्यार करना कोई गलत नहीं है लेकिन जो उम्र पढ़ाई-लिखाई या खेल-कूद की होनी चाहिए, उसमें ये सब ठीक नहीं। आइए जानते हैं ऐसी स्थिति से पैरेंट्स को कैसे निपटना चाहिए।

पेरेंटिंग कोई आसान काम नहीं है। ये एक ऐसी जिम्मेदारी है, जहाँ हर मोड़ पर नए चैलेंज आते हैं। बच्चे कब बड़े हो जाते हैं, इसका पता भी नहीं चलता और उनके मन में कौन-कौन से सवाल या इमोशन चल रहे हैं, इसे समझ पाना भी कई बार पेरेंट्स के लिए मुश्किल हो जाता है। आज के दौर में, जब बच्चे बहुत जल्दी बड़े हो रहे हैं, उनका मन छोटी उम्र में ही प्यार जैसे इमोशंस को समझने लगा है। ऐसे में पेरेंट्स की जिम्मेदारी बच्चों के प्रति और भी बढ़ जाती है, जिससे वो बच्चों को गलत राह पर जाने से रोक सकें। अब प्यार करना कोई गलत नहीं है लेकिन जो उम्र पढ़ाई-लिखाई या खेल-कूद की होनी चाहिए, उसमें ये सब ठीक नहीं। आइए जानते हैं ऐसी स्थिति से पैरेंट्स को कैसे निपटना चाहिए।
बच्चे की इमोशन का मजाक ना उड़ाएं
कई पेरेंट्स की आदत होती है कि जब उनका बच्चा उनसे अपनी पसंद या प्यार के बारे में जिक्र करता है, तो पेरेंट्स को हंसी आ जाती है और वे बच्चे की इस बात को हल्के में टाल देते है। लेकिन ऐसा करना कहीं से भी सही नहीं। पैरेंट्स की ये हरकत बच्चे के इमोशन पर गहरी चोट लग सकती है, वहीं वो आपको एक विलेन की तरह भी देख सकता है। यह भी हो सकता है कि आगे चलकर वह अपनी किसी भी बात को आपसे शेयर करने से कतराए। ऐसे में जब भी बच्चा आपसे इस तरह की कोई बात शेयर करे तो शांत मन से उसकी बात को समझें और उसके इमोशंस को समझने की कोशिश करें।
बच्चों को खुलकर बात करने का मौका दें
अच्छी पेरेंटिंग का सबसे बड़ा रूल है कि आप बच्चे के साथ ऐसी बॉन्डिंग बनाएं कि आपका बच्चा खुलकर हर टॉपिक पर आपसे बात कर सके। बच्चों को इतना कंफर्टेबल रखें कि वो अपने हर इमोशन, हर बात को आपके साथ शेयर कर सकें। अगर वो अपने दिल की किसी बात को आपके साथ शेयर करें तो शांत मन से उसकी बात को सुनें, समझें और उन्हें सही-गलत का फर्क समझाएं। जब बच्चा आपसे खुलकर बात करेगा तब आपको उसके दिल का हर हाल पता होगा। ऐसे में आप बच्चों के कदम को बहकने से बचा पाएंगे।
‘प्यार’ और ‘दोस्ती’ का फर्क समझाएं
बचपन में कई बार बच्चे यह नहीं समझ पाते कि दोस्ती और प्यार में फर्क क्या होता है। ऐसे में पेरेंट्स की यह जिम्मेदारी होती है कि वो बच्चे को प्यार और दोस्ती का फर्क समझाएं। कम उम्र में जब बच्चा आपसे कहे कि उसे किसी से प्यार हो गया है, तो आपको उसे समझाना चाहिए कि जब आपको कोई अच्छा लगता है और आप उसके साथ टाइम स्पेंड करना चाहते हैं, तो यह दोस्ती का रिश्ता होता है। धीरे-धीरे बच्चे की उम्र बढ़ने के साथ उसे प्यार का मतलब भी समझाएं।
स्क्रीन टाइम और सोशल इंफ्लुएंस पर रखें नजर
आजकल टीवी, मोबाइल और इंटरनेट के जरिए बच्चे बहुत जल्दी ऐसे कॉन्टेंट के संपर्क में आ जाते हैं, जिस वजह से वो उम्र से पहले ही प्यार-मोहब्बत जैसी चीजों को समझने लगते हैं। कार्टून से लेकर वेब सीरीज तक में रोमांस बहुत आम बात हो गई है। ऐसे में बतौर पेरेंट्स आपकी जिम्मेदारी है कि आपका बच्चा क्या देख रहा है और उससे क्या सीख रहा है उस पर नजर रखें।
अपने व्यवहार पर भी रखे कंट्रोल
बच्चे अपने पेरेंट्स को देखकर सबसे ज्यादा सीखते हैं। यदि आप आपसी रिश्तों में मर्यादा बनाए रखते हैं, तो बच्चा भी हर इमोशंस को सही तरीके से समझना सीखता है। पेरेंट्स अपने व्यवहार से बच्चों को बताएं कि सच्चा रिश्ता समझदारी, सम्मान और समय के साथ ही डेवलप होता है। ये सिर्फ एक अट्रैक्शन और किसी के साथ रहने की इच्छा होने से कहीं ज्यादा गहरी और मैच्योर फीलिंग है।
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