बच्चों के लिए वरदान बन सकती है बोरियत, एक्सपर्ट से जानिए कैसे Know from expert How Boredom can be beneficial for children As per expert, पेरेंटिंग टिप्स - Hindustan
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बच्चों के लिए वरदान बन सकती है बोरियत, एक्सपर्ट से जानिए कैसे

घंटी बजी और हो गई छुट्टी... इन मस्ती भरी गर्मी की छुट्टियों के साथ एक और शब्द आता है, वह है बोरियत। पर, हर बार बच्चे की इस बोरियत को दूर करने का प्रयास करना जरूरी नहीं क्योंकि बोरियत भी बच्चों के लिए वरदान बन सकती है। कैसे? बात रही दिव्यानी त्रिपाठी

Avantika Jain हिन्दुस्तानSat, 31 May 2025 06:10 AM
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बच्चों के लिए वरदान बन सकती है बोरियत, एक्सपर्ट से जानिए कैसे

गर्मी की छुट्टियां शुरू हो चुकी हैं। एक-दो दिन की मौज-मस्ती के बाद अब बच्चों के मुंह से यहीं सुनाई दे रहा है- मम्मा बोर हो रहा हूं। तो बोर होने दीजिए। अपने लाडले की बोरियत पर परेशान होने की जरूरत नहीं है, बल्कि खुश हो जाइये। कहिए कि कुछ नया सोचो, क्योंकि उनकी बोरियत, वह समय है जिस वक्त वह बिल्कुल खाली होते हैं। यह वक्त है, बहुत कुछ नया करने और सीखने का। यह वह वक्त है, जिसमें वह खुद से देखने, सोचने, समझने और निर्णय लेने का हुनर सीख सकते हैं। कुछ नया गढ़ सकते हैं। जिंदगी से जुड़ सकते हैं। बस जरूरत है, मौके का फायदा उठाने और अपनी बोरियत को सही वक्त पर दूर भगाने की ताकि समय बिताने के साथ वह अपना भविष्य भी संवर सके।

आती है आत्मनिर्भरता

बोरियत से आत्मनिर्भरता आ सकती है? जी, सही पढ़ा आपने। जब बच्चे अकेले होते हैं और बोर हो रहे होते हैं तो वो खुद से अपने लिए रास्ता खोजने की कोशिश करते हैं ताकि वह अच्छा महसूस कर सकें। यानी इस दौरान वह खुद को प्रशिक्षित कर रहे होते हैं कि कैसे वह अपने वक्त को प्रबंधित करें और बोरियत के उस वक्त में कैसे मनोरंजन को भरें। इससे वह खुद के लिए छोटे-छोटे निर्णय लेना सीख पाते हैं और यही छोटे-छोटे निर्णय उन्हें भविष्य के बड़े निर्णयों की नींव रखने में मददगार होते हैं। हर वक्त किसी के दिशा-निर्देश की उनकी जरूरत धीरे-धीरे खत्म होने लगती है। सीधे शब्दों में कहें तो वह काफी हद तक आत्मनिर्भर बन पाते हैं।

उपजती है जिज्ञासा

बोर होना यानी जेहन में सवाल का आना कि अब क्या करूं? जानकारों की मानेंं तो यही से शुरू होता है, किताबी दुनिया से अलग कुछ सीखने का सिलसिला। और यह कुछ अलग सीखकर कुछ बच्चे जहां मिट्टी से जुड़ते हैं तो कुछ समय से रेस लगाते हैं।

कुछ यूं दें प्रतिक्रिया

बच्चा जब यह कहता है कि मैं बोर हो रहा हूं, तो आप क्या करती हैं? आप या तो बोरियत को दूर भगाने के इंतजाम में जुट जाती हैं या फिर उसकी बात का अनदेखा कर देती हैं। ऐसे में एक तीसरा तरीका भी है। बकौल डॉ. उन्नति ऐसे में माता-पिता को दो चीजें करने की जरूरत होती है। पहली, बोरियत को लेकर उत्साहित होना और दूसरा बोरियत को लेकर सक्रिय होना। उत्साहित होने का मतलब है, जब आपका बच्चा बोर होने की शिकायत करता है तो उसे सीखने के मौके के तौर पर देखें। बच्चे से कहें कि बहुत बढ़िया, मैं यह देखने के लिए इंतजार नहीं कर सकती कि अब तुम इस बोरियत को दूर करने के लिए क्या करोगे? यह उसे कुछ नया सीखने और करने के लिए प्रेरित करेगा। बोरियत के बारे सक्रिय होने की बात करें तो उन्हें स्क्रीन से दूर रखें। बोरियत का मौका आने के पहले ही बच्चे के साथ समय बिताएं और स्क्रीन मुक्त गतिविधियों के बारे में सोचें, जो वह ऊब महसूस होने पर करना पसंद करेगा। इसके लिए आप एक सूची बना सकती हैं और उसे ऐसी जगह रखें जहां बच्चा उसे देख सके। गतिविधि में प्रयोग होने वाला सामान भी जुटा लीजिए ताकि उसके पास स्क्रीन देखने का किसी भी तरह का बहाना न हो।

समझाएं छुट्टी का असली मतलब

यह गर्मी की छुट्टियां क्या है? बच्चों के जवाब अलग-अलग हो सकते हैं। पर, उन्हें सही मायनों में इसका मतलब सिखाना जरूरी है। यह वह वक्त है, जिसमें बच्चा अपनी रफ्तार से जी सकता है। लिहाजा, उसे बताएं कि यह बहुत कुछ सीखने का वक्त है। खेलना-कूदना, दादी-नानी से कहानियां सुनना आदि भी सीखना ही है। टीवी-मोबाइल के दौर से गुजर रही जमात को बताएं कि एकांत में रहने के बाद सिर्फ स्क्रीन ही मनोरंजन का तरीका नहीं है। वह कई और तरीकों से भी समय बिता सकता है, जैसे दीवार पर कुछ बनाकर या फिर नई-नई कहानियां गढ़कर भी।

क्या करें आप

बच्चों की छुट्टियों में जहां उनके हिस्से आता है, खाली वक्त। वहीं, माता-पिता या उनके अभिभावकों के हिस्से आती हैं कुछ जिम्मेदारियां, जिनको निभाकर आप उनके भविष्य को बेहतर बना सकती हैं:

बनें रोल मॉडल: मानसिक स्वास्थ्य सलाहकार डॉ. उन्नति कुमार कहते हैं कि बच्चे माता-पिता को जैसा करते देखते हैं, वैसा करना वह आसानी से सीख जाते हैं। लिहाजा, आप जब भी खाली बैठे किताब पढ़ें, गाने सुनें या कोई भी ऐसा काम करें...जो न सिर्फ आपको पसंद हो बल्कि उसमें उत्पादकता भी हो। ऐसा करने से आप बच्चे को अनुशासित जिंदगी जीने की सीख देने के साथ ही बोरियत से बचने का तरीका भी सिखा पाएंगी।

दें समय: माना प्लानिंग करने से हर चीजें आसान हो जाती है। बच्चों के मामले में हर वक्त प्लानिंग आपके काम नहीं आने वाली। उन्हें कुछ वक्त ऐसा दें, जिसके बारे मेें वे तय करें कि उस वक्त क्या करना चाहते हैं।

स्क्रीन से रखें दूर: बात-बात पर स्क्रीन के सामने बैठ जाने वाली जमात को समझाएं कि मोबाइल या टीवी के बिना भी दुनिया है।

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