who was tribal king raja bhabhut singh in the honour of which mp government kept cabinet meeting in Pachmarhi कौन थे राजा भभूत सिंह? जिनके सम्मान में मोहन सरकार ने पचमढ़ी में रखी कैबिनेट मीटिंग, Madhya-pradesh Hindi News - Hindustan
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कौन थे राजा भभूत सिंह? जिनके सम्मान में मोहन सरकार ने पचमढ़ी में रखी कैबिनेट मीटिंग

मीटिंग से जुड़े अधिकारियों ने राजा भभूत सिंह पर और प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि राजा भभूत सिंह ने बाहरी हमलावरों और ब्रिटिश सेना दोनों से जल,जंगल,जमीन और क्षेत्र की रक्षा के लिए आदिवासी समुदाय को एकजुट करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।

Utkarsh Gaharwar लाइव हिन्दुस्तान, पचमढ़ीTue, 3 June 2025 04:19 PM
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कौन थे राजा भभूत सिंह? जिनके सम्मान में मोहन सरकार ने पचमढ़ी में रखी कैबिनेट मीटिंग

मध्य प्रदेश की बीजेपी सरकार ने आज अपनी कैबिनेट मीटिंग के लिए पचमढ़ी को चुना था। यह मीटिंग आज पचमढ़ी के राजभवन में रखी गई थी। कैबिनेट मीटिंग के लिए पचमढ़ी को चुनने के पीछे का कारण आदिवासी समुदाय की बहादुरी और वीरता के प्रतीक राजा भभूत सिंह को सम्मान देना था। बैठक के दौरान उनकी ऐतिहासिक भूमिका को एक बार फिर याद किया गया। ऐसे में यह जानना जरूरी हो जाता है कि आखिर यह गोंड़ राजा भभूत सिंह क्या शख्सियत थे।

भाजपा नेता दिलीप जायसवाल ने पचमढ़ी में आयोजित कैबिनेट बैठक के पीछे की वजह बताते हुए कहा कि आज हमारे मुख्यमंत्री ने पचमढ़ी में कैबिनेट बैठक की। शायद बहुत से लोग इस क्षेत्र के राजा भभूत सिंह और भारत की स्वतंत्रता में उनके योगदान के बारे में नहीं जानते थे। इस बैठक के माध्यम से हमारी विरासत को संरक्षित और सम्मानित किया जा रहा है। उन्होंने आगे कहा,"यह ऐसे गुमनाम नायकों को श्रद्धांजलि देने और आज के युवाओं को उनके आदर्शों से प्रेरणा लेने के लिए प्रोत्साहित करने की दिशा में एक कदम है। मैं इस महत्वपूर्ण बैठक को यहां आयोजित करने के लिए मुख्यमंत्री को बधाई और धन्यवाद देता हूं।"

मीटिंग से जुड़े अधिकारियों ने राजा भभूत सिंह पर और प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि राजा भभूत सिंह ने बाहरी हमलावरों और ब्रिटिश सेना दोनों से जल,जंगल,जमीन और क्षेत्र की रक्षा के लिए आदिवासी समुदाय को एकजुट करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। उन्होंने ब्रिटिश शासन का सक्रिय रूप से विरोध किया और भारत के स्वतंत्रता संग्राम के दौरान महान स्वतंत्रता सेनानी तात्या टोपे को भी समर्थन दिया।

तात्या टोपे के आह्वान पर राजा भभूत सिंह स्वतंत्रता आंदोलन में शामिल हो गए और सुरम्य सतपुड़ा घाटियों की ओर बढ़ गए। ऐसा कहा जाता है कि तात्या टोपे और उनकी सेना ने पचमढ़ी में आठ दिनों तक डेरा डाला था,जहां उन्होंने भभूत सिंह के साथ मिलकर नर्मदांचल क्षेत्र में क्रांतिकारी गतिविधियों की योजना बनाई। एक अधिकारी ने बताया कि हर्राकोट के जागीरदार होने के नाते,भभूत सिंह का आदिवासी समुदाय पर काफी प्रभाव था और उन्होंने उन्हें स्वतंत्रता संग्राम में भाग लेने के लिए प्रेरित किया था।

अधिकारियों ने बताया कि सतपुड़ा के दुर्गम पहाड़ों पर राजा भभूत सिंह की पकड़ इतनी मजबूत थी कि वे अंग्रेजों के खिलाफ प्रभावी गुरिल्ला युद्ध करने में माहिर थे। ब्रिटिश सेना,जो पहाड़ी रास्तों से अनजान थी,बार-बार उनके अचानक हमलों से हैरान और परेशान होती थी। ऐतिहासिक संदर्भ बताते हैं कि भभूत सिंह की सैन्य क्षमता शिवाजी महाराज के बराबर थी।

शिवाजी महाराज की तरह, वे भी हर पहाड़ी दर्रे से भली-भांति परिचित थे और युद्धों के दौरान इस ज्ञान का लाभ उठाते थे। इसी तरह का एक महत्वपूर्ण टकराव देनवा घाटी में हुआ,जहां ब्रिटिश मद्रास इन्फैंट्री को हार का सामना करना पड़ा। ब्रिटिश इतिहासकार इलियट ने उल्लेख किया है कि राजा भभूत सिंह को पकड़ने के लिए मद्रास इन्फैंट्री को विशेष रूप से तैनात करना पड़ा था। इसके बावजूद,सिंह और उनकी सेना ने 1860 तक सशस्त्र संघर्ष के माध्यम से ब्रिटिश नियंत्रण का विरोध जारी रखा। उन्होंने 1857 के विद्रोह में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

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