पुणे पोर्श दुर्घटना मामले में नाबालिग आरोपी की मां को जमानत, सबूतों के साथ छेड़छाड़ के आरोप
- पुणे पोर्श हादसा सुबह करीब 2:30 बजे हुआ, जब दोनों इंजीनियर दोस्तों के साथ डिनर के बाद लौट रहे थे। अश्विनी कोष्टा मोटरसाइकिल पर पीछे बैठी थी, जिसकी मौके पर ही मौत हो गई। अनीश ने अस्पताल में दम तोड़ दिया था।

सुप्रीम कोर्ट ने पुणे पोर्श दुर्घटना मामले में नाबालिग आरोपी की मां को अंतरिम जमानत दे दी है। इस घटना में तेज रफ्तार कार के मोटरबाइक को टक्कर मारने से 2 सॉफ्टवेयर इंजीनियरों की मौत हो गई थी। आरोपी की मां पर अपने बेटे को बचाने के लिए सबूतों के साथ छेड़छाड़ करने का आरोप है। इसके बाद उसे गिरफ्तार कर लिया गया था। पुणे में यह हादसा 19 मई 2024 को कल्याणी नगर में हुआ था। 17 वर्षीय वेदांत अग्रवाल तेज रफ्तार से अनरजिस्टर्ड पोर्श टायकन कार ड्राइव कर रहा था, जिसने मोटरसाइकिल सवार दो सॉफ्टवेयर इंजीनियरों (अनीश अवधिया और अश्विनी कोष्टा) को टक्कर मार दी।
रिपोर्ट के मुताबिक, पुणे पोर्श हादसा सुबह करीब 2:30 बजे हुआ, जब दोनों इंजीनियर दोस्तों के साथ डिनर के बाद लौट रहे थे। अश्विनी कोष्टा मोटरसाइकिल पर पीछे बैठी थी, जिसकी मौके पर ही मौत हो गई। अनीश ने अस्पताल में दम तोड़ दिया था। दोनों मध्य प्रदेश के रहने वाले थे और पुणे में आईटी पेशेवर के रूप में काम कर रहे थे। पुलिस ने बताया कि नाबालिग आरोपी ने हादसे से पहले दो बार में शराब पी थी और कार 200 किमी/घंटा की रफ्तार से चला रहा था। हादसे के बाद, भीड़ ने आरोपी को कार से निकाला और पुलिस को सौंप दिया।
जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड के फैसले से मचा था हंगामा
जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड ने कुछ घंटों में ही आरोपी को जमानत दे दी, जिसके लिए उसे 300 शब्दों का निबंध लिखने और यातायात पुलिस के साथ 15 दिन काम करने की शर्त रखी गई। इस फैसले ने देश भर में विवाद खड़ा कर दिया, क्योंकि इसे बहुत नरम माना गया। आरोपी के पिता विशाल अग्रवाल और दादा को भी गिरफ्तार किया गया, क्योंकि उन्होंने भी सबूतों के साथ छेड़छाड़ की थी। इतना ही नहीं, ड्राइवर को हादसे की जिम्मेदारी लेने के लिए धमकाया गया था। इस मामले से न्याय की मांग को लेकर बड़े पैमाने पर जनआक्रोश पैदा हुआ था।