PM मोदी-यूनुस की मुलाकात पर बांग्लादेश की ओछी राजनीति, बयान में की दुर्भावनापूर्ण हरकत
- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बांग्लादेशी अंतरिम सरकार के मुखिया यूनुस के बीच हुई बैठक से नया विवाद खड़ा हो गया है। बांग्लादेश की तरफ से इस बैठक को लेकर जारी बयान को ओछी राजनीति से प्रेरित और दुर्भावनापूर्ण बताया जा रहा है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के प्रमुख यूनुस की बैंकॉक में हुई बैठक के बाद बांग्लादेश की तरफ से एक बयान सामने आया है। हालांकि सूत्रों की तरफ से इस बयान को और खासतौर पर अल्पसंख्यकों पर हमलों और पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के प्रत्यर्पण के मामले पर दिए बयान को ओछी राजनीति और दुर्भावनापूर्ण रवैये से प्रेरित बताया गया है। दरअसल, पीएम मोदी से मुलाकात के बाद यूनुस के प्रेस सचिव शफीकुल आलम ने शनिवार को फेसबुक पर एक पोस्ट किया था इसी पोस्ट को लेकर पूरा विवाद छिड़ा हुआ है।
सोशल मीडिया पर जारी इस पोस्ट में आलम ने कहा कि मोहम्मद यूनुस ने पीएम मोदी के सामने शेख हसीना के प्रत्यर्पण का मुद्दा उठाया था। इस मौके पर पीएम मोदी की प्रतिक्रिया नकारात्मक नहीं थी। आलम ने दावा किया कि प्रधानमंत्री मोदी ने यूनुस से कहा,"हमने आपके (यूनुस) के प्रति उनका (शेख हसीना) का अपमानजनक व्यवहार देखा है।"
आलम के इस दावे को खारिज करते हुए सूत्रों ने कहा कि पीएम मोदी ने यूनुस द्वारा उठाए गए विभिन्न मुद्दों पर यह कहते हुए प्रतिक्रिया दी थी कि इन सभी मामलों पर हमारे विदेश मंत्रियों के बीच में बेहतर चर्चा हो सकती है। इसके अलावा पीएम मोदी ने 2014 से दोनों देशों के बीच के द्विपक्षीय संबंधों में प्रगति की बात की और इसे दोनों समाजों और लोगों के बीच में गहरी दोस्ती के रूप में दिखाया।
इसके अलावा पीएम मोदी ने किसी भी लोकतंत्र में चुनावों के महत्व का भी उल्लेख किया और कहा कि इस संबंध में लगातार टालमटोल करने से मुख्य सलाहकार की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचेगा।
सूत्रों की तरफ से कहा गया कि बांग्लादेश की तरफ से यह दावा किया जा रहा है कि अल्पसंख्यकों पर हमले सोशल मीडिया की देन हैं, यह जमीनी स्तरों के तथ्यों से एकदम विपरीत है। वहीं दूसरी तरफ शेख हसीना के प्रत्यर्पण को लेकर बांग्लादेश प्रेस सचिव की तरफ से जो टिप्पणी की गई है उसका कोई आधार नहीं है। इस तरह के प्रयास बांग्लादेशी अंतरिम सरकार की गंभीरता और सद्भावना दोनों पर ही सवाल उठाती है।
आपको बता दें कि बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने शेख हसीना के प्रत्यर्पण के लिए कई बार नई दिल्ली से अनुरोध किया है। हालांकि भारत की तरफ से इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी गई है। बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना पिछले साल अगस्त में तथाकथित छात्र आंदोलन के बाद ढाका छोड़कर दिल्ली आ गई थी। तब से लेकर अब तक वह दिल्ली में ही किसी सुरक्षित स्थान पर रह रही हैं।
वहीं शुक्रवार को बैंकॉक में हुई बैठक में मोदी ने यूनुस को बांग्लादेश के हिंदुओं और अन्य अल्पसंख्यकों की सुरक्षा के बारे में भारत की गहरी चिंताओं से अवगत कराया। बैठक के बारे में भारतीय बयान में कहा गया, "प्रधानमंत्री ने आग्रह किया कि माहौल को खराब करने वाली बयानबाजी से बचना चाहिए।" इसके साथ ही पीएम मोदी ने उम्मीद जताई कि बांग्लादेशी सरकार अल्पसंख्यकों के खिलाफ किए गए अत्याचारों के मामलों में गहन जांच सहित उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करेगी।