हर तरफ बिछी थीं लाशें, नंगे पांव भागे लोग… प्रत्यक्षदर्शी ने बताया पहलगाम हमले के बाद का मंजर
जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले में कम से कम 26 लोगों की मौत हो गई थी। आतंकियों ने बैसरान घाटी की सैर करने आए पर्यटकों पर अचानक गोलियां बरसा दी थीं, जिससे लोगों को भागने का भी मौका नहीं मिला।
Pahalgam Terror Attack: जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद पीड़ितों की दिल दहला देने वाली कहानियां सामने आ रही हैं। हमले में जान बचाकर भागे लोग हमले के वक्त के खौफनाक मंजर को साझा कर रहे हैं। इस बीच उस वक्त पहलगाम में मौजूद पोनी ऑनर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष रईस अहमद भट्ट ने भी उन भयावह क्षणों को याद कर बताया है कि हमला कितना बर्बर था। बता दें कि रईस अहमद ने बैसरन घाटी में हुए हमले के दौरान पांच घायल पर्यटकों की जान बचाई थी। उनकी बहादुरी के लिए लोग उन्हें ‘पहलगाम के हीरो’ की उपाधि भी दे रहे हैं।
जानकारी के मुताबिक हमले की जानकारी मिलते ही अहमद भट्ट ने बिना घबराए लोगों की मदद करनी शुरू की। उन्होंने दूसरों की बचाने के लिए अपनी जान जोखिम में भी डाल दी। हमले के बाद वह अपने ऑफिस से अकेले निकले और बिना किसी हिचकिचाहट के वह घायलों की ओर भागे। भट्ट ने हमले के बाद के मंजर को याद कर बताया, "मैंने कहा कि अगर हमलावर अभी भी यहां हैं और हम भी मर जाएं, तो यही सही।" उन्होंने बताया, “जब यह हमला हुआ तब मैं अपने ऑफिस में बैठा था। दोपहर करीब 2:35 बजे, मुझे हमारे संघ के महासचिव का मैसेज मिला। जैसे ही मैंने मैसेज देखा, मैंने उन्हें फोन किया, लेकिन नेटवर्क नहीं था इसलिए आवाज नहीं आई। मैं अकेला ही चला गया। रास्ते में मुझे दो, तीन लोग मिले और मैंने उनसे मेरे साथ चलने को कहा। कुल मिलाकर हम पांच या छह लोग हो गए।"
'हर जगह लाशें... लोग नंगे पैर भाग रहे थे'
रईस अहमद ने बताया कि जब वे घटनास्थल के पास पहुंचे, तो उन्हें भयानक दृश्य दिखा। डरे हुए पर्यटक कीचड़ में सने हुए, नंगे पैर भाग रहे थे और पानी के लिए गुहार लगा रहे थे। उन्होंने बताया, "जब हम एक से दो किलोमीटर ऊपर चढ़े, तो हमने देखा कि डरे हुए लोग कीचड़ में सने, बहुत ही खराब हालत में नीचे भाग रहे थे। वे चिल्ला रहे थे, 'पानी! पानी!' हमने उनकी मदद करने की कोशिश की। हमने जंगल से आने वाली पानी के सोर्स को एक पाइप जोड़ा और उन्हें पानी दिया, उन्हें ढांढस बंधाया। हमारा पहला प्रयास डरे हुए लोगों को सुरक्षित स्थान पर पहुंचाना था।"
लोगों को मदद के लिए मनाया
रईस भट्ट ने बताया कि इसके बाद वे आगे बढ़े और अपने साथ और घोड़े वालों को भी बचाव कार्य में शामिल होने के लिए तैयार किया। उन्होंने बताया, “कई घोड़े वाले डर के मारे नीचे उतर रहे थे। मैंने उनमें से 5-10 को अपने साथ वापस आने के लिए राजी किया। रास्ते में कई लोग दिखे। हमने उनकी मदद की और उन्हें घोड़ों पर वापस भेजा।"
35 सालों में ऐसा कभी नहीं हुआ
आगे बढ़ने पर उन्होंने जो देखा वह और भयानक था। उन्होंने कहा, “मैंने देखा मेन गेट पर ही एक लाश पड़ी थी। यह वही प्रवेश द्वार है जहां से पर्यटक अंदर आते हैं। मैं चौंक गया। मैं 35 साल का हूं और पहलगाम में ऐसा पहले कभी नहीं हुआ। फिर, जब मैं अंदर गया तो हर तरफ लाशें बिछी थीं। वहां तीन या चार महिलाएं थीं, जो हमारी तरफ आईं और अपने पतियों को बचाने की गुहार लगा रही थीं। तब तक दोपहर के करीब 3:20 बज चुके थे।”
अहमद भट्ट ने बताया कि लगभग 10 मिनट बाद एसएचओ रियाज साहब मौके पर पहुंचे। पुलिस की प्रतिक्रिया के बारे में पूछे जाने पर भट्ट ने बताया कि पुलिस मौके पर देर से पहुंची थी। उन्होंने बताया, "वहां तक कोई मोटर गाड़ी नहीं पहुंच सकती। हमें पैदल ही भागना पड़ा। हम स्थानीय लोग जंगल के रास्ते शॉर्टकट जानते हैं, इसलिए हम सबसे छोटे रास्ते से जल्दी पहुंच गए। दूसरे लोगों को शॉर्टकट नहीं पता था, इसलिए वे 10 मिनट बाद वहां पहुंचे।"