क्या वाकई में चीन रोक सकता है ब्रह्मपुत्र का पानी, पाकिस्तान की हवाबाजी में कितना है दम?
चीन किसी भी कीमत पर ब्रह्मपुत्र के बहाव को भारत में रोक नहीं सकता है। ब्रह्मपुत्र में चीन के पानी का योगदान 21 फीसदी ही है। बाकी का पानी भारत के जल स्रोतों से ही आता है।

चीन के दम पर भारत को आंख दिखाने वाले पाकिस्तान को ऑपरेशन सिंदूर के बाद अपनी खीझ छिपाने की भी तरकीब ढूंढनी पड़ रही है। पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत ने बड़ा रणनीतिक कदम उठाते हुए सिंधु जल संधि को सस्पेंड करने का ऐलान कर दिया था। इसके बाद से ही पाकिस्तान बौखला गया और उलटी-सीधी बयानबाजी करने लगे। पाकिस्तानी पीएम शहबाज शरीफ के सलाहकार राणा एहसान अफजल ने यहां तक कह दिया कि अगर भारत पाकिस्तान के साथ सिंधु जल संधि को खत्म करता है तो चीन भी ब्रह्मपुत्र का पानी भारत आने से रोक सकता है। राणा की यह हवाबाजी इतना तो साबित करती है कि उनके पास भूगोल की भी ठीक से जानकारी नहीं है। असम से सीएम हिमंता शर्मा ने कहा कि ब्रह्मपुत्र का बहाव भारत की ओर बढ़ता है, घटता नहीं है। ऐसे में चीन भला नदी का सारा जल कैसे रोक सकता है।
जियो न्यूज पर एहसान अफजल राणा ने कहा, कि अगर भारत सिंधु जल संधि को खत्म कर सकता है तो चीन भी ब्रह्मपुत्र का पानी रोक सकता है। हालांकि अगर ऐसा होता है तो पूरी दुनिया में ही युद्ध छिड़ जाएगा। अब सवाल उठता है कि पाकिस्तान की इस हवाबाजी में कोई दम है भी या नीं। तकनीकी और भूगोल के स्तर पर देखें तो चीन पूरी तरह से ब्रह्मपुत्र के बहाव को रोक ही नहीं सकता है।
ब्रह्मपुत्र में चीन के बराबर भूटान का भी पानी
जानकारों के मुताबिक ब्रह्मपुत्र रिवर बेसिन का 22 से 30 फीसदी हिस्सा चीन में है। वहीं 21 फीसदी जल चीन से आता है। तिब्बती जल स्रोतों, बारिश और पहाड़ों की बर्फ से यह पानी नदी में आता है। भूटान एक छोटा देश हो सकता है लेकिन ब्रह्मपुत्र नदी में उसका पानी का योगदान चीन के ही बराबर लगभग 21 फीसदी है। नदी का केवल 7 फीसदी हिस्सा ही भूटान में पड़ता है। वहीं भारत में यह 34 फीसदी के करीब है। वहीं ब्रह्मपुत्र में सबसे ज्यादा जल भारत का ही है। भारत का योगदान करीब 39 फीसदी है।
भारत में प्रवेश करने से पहले ब्रह्मपुत्र में केवल 14 फीसदी पानी ही रहता है। बाकी का पानी भारत के मॉनसून और बारिश की वजह से बढ़ जाता है। ऐसे में ब्रह्मपुत्र नदी में चीन का पानी पहले से ही बहुत कम है। असम के मुख्यमंत्री ने भी तथ्य रखते हुए यही बात कही थी। उन्होंने बताया कि मॉनसून के वक्त भारत चीन सीमा पर पानी भारत की तुलना में सात गुना तक कम रहता है।
चीन तिब्बत में दुनिया के सबसे बड़ा हाइड्रोइलेक्ट्रिक डैम भी बनाना चाहता है। ऐसे में वह नदी का पानी सुरंग की ओर डाइवर्ट करेगा। मॉनसून से इतर समय में यह भारत के लिए चिंता की बात जरूर है। क्योंकि ब्रह्मपुत्र नदी का बहाव कम होगा। चीन के इस कदम से भूटान में भी पानी की कमी होगी। चीन जहां यह डैम बनाना चाहता है वह भूकंप संभावित क्षेत्र से है। इस लिहाज से भी यह खतरनाक है। इससे चीन को ही ज्यादा खतरा होने वाला है। वहीं अगर यहां तेज भूकंप आता है और डैम को नुकसान पहुंचता है तो मिनटों में पूर्वोत्तर के राज्य भी प्रभावित होंगे।
चीन के इन मनसूबों को नाकाम करने के लिए ही भारत अरुणाचल प्रदेश में हाइड्रो प्रोजेक्ट पर काम कर रहा है। अगर चीन ब्रह्मपुत्र के बहाव को बाधित करता है तो इससे उसके बांग्लादेश के साथ भी संबंध खराब हो जाएंगे। कुल मिलाकर यह बात एकदम बेबुनियाद है कि चीन चाहे तो भारत में ब्रह्मपुत्र को सुखा सकता है। चीन किसी भी कीमत पर ब्रह्मपुत्र का बहाव नहीं रोक सकता क्योंकि जल का बड़ा हिस्सा भारत का ही है। भारत में कई नदियां ब्रह्मपुत्र में मिलती हैं जो कि बड़ी जलराशि को जन्म देती हैं।