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मजहब के नाम पर दंगे… पहलगाम हमले से आहत बंगाल के साबिर हुसैन ने छोड़ दिया इस्लाम धर्म

जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले को लेकर पूरा देश आक्रोशित है। प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक आतंकियों ने धर्म पूछ कर 26 लोगों को बेरहमी से मार दिया। हादसे के बाद बंगाल के एक स्कूल टीचर ने इस्लाम धर्म को छोड़ने का फैसला कर लिया है।

Jagriti Kumari लाइव हिन्दुस्तानFri, 25 April 2025 06:31 PM
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मजहब के नाम पर दंगे… पहलगाम हमले से आहत बंगाल के साबिर हुसैन ने छोड़ दिया इस्लाम धर्म

जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में मंगलवार 22 अप्रैल को हुए आतंकी हमले को देश कभी नहीं भुला पाएगा। आतंकियों ने बैसरन की खूबसूरत पहाड़ियों का लुत्फ उठा रहे बेकसूर लोगों पर बेरहमी से गोलियां चला दीं। इस हमले में 26 लोगों की मौत हो गई जिनमें से अधिकतर सैलानी थे। वहीं कई लोग घायल भी हुए हैं। जानकारी के मुताबिक आतंकियों ने लोगों को मारने से पहले यह भी सुनिश्चित किया कि वे किस धर्म के हैं। लोगों में इस बात को लेकर गुस्सा फूट पड़ा है। देश के अलग-अलग हिस्सों में हो रहे विरोध प्रदर्शनों के बीच पश्चिम बंगाल के एक स्कूल टीचर ने बड़ा कदम उठाया है। साबिर हुसैन नाम के इस शख्स ने इस्लाम धर्म को त्यागने का फैसला किया है।

पहलगाम आतंकी हमले से आहत बदुरिया के साबिर हुसैन ने इस्लाम छोड़ने के लिए कोर्ट का दरवाजा भी खटखटाया है। न्यूज 18 से बात करते हुए साबिर हुसैन ने कहा है कि हिंसा फैलाने के लिए बार-बार धर्म का इस्तेमाल किया जाता है जो सही नहीं है। उन्होंने अपने फैसले के बारे में बताते हुए कहा, "मैं किसी धर्म का अनादर नहीं कर रहा हूं। यह मेरा निजी फैसला है। मैंने देखा है कि किस तरह हिंसा फैलाने के लिए एक हथियार के रूप में धर्म का इस्तेमाल किया जाता है। कश्मीर में ऐसा कई बार हुआ है। मैं अब इसे बर्दाश्त नहीं कर सकता।”

उन्होंने आगे कहा, “मैं सिर्फ एक इंसान के रूप में जाना जाना चाहता हूं, किसी धार्मिक पहचान की वजह से नहीं। इसलिए मैं कोर्ट में आवेदन करने आया हूं।" साबिर ने आगे कहा, “पहलगाम जैसी हिंसक घटनाओं में महजब का गलत इस्तेमाल किया जाता है। उन्होंने कहा, “किसी को उसके धर्म की वजह से मारना कैसे ठीक है? ये मुझे बहुत आहत करता है।”

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मौजूदा माहौल पर टिप्पणी करते हुए हुसैन ने कहा कि वह ऐसी दुनिया में नहीं रहना चाहते हैं जहां सब कुछ मजहब के इर्द-गिर्द घूमता रहता है। उन्होंने कहा, "आजकल सब कुछ धर्म के इर्द-गिर्द घूमता हुआ लगता है। मैं ऐसी दुनिया में नहीं रहना चाहता।" साबिर हुसैन के मुताबिक उन्होंने यह फैसला स्वतंत्र रूप से लिया है और कहा है कि उनकी पत्नी और उनके बच्चे जो भी रास्ता चुने वह उन्हें पूरी आजादी देंगे।