भारत के धैर्य की परीक्षा ना लो; अमेरिका में बैठकर शशि थरूर ने पाकिस्तान को चेताया
थरूर ने पाकिस्तान की भूमिका को लेकर तीन ठोस बिंदु प्रस्तुत किए। इतिहास और इनकार की नीति, जो कि पाकिस्तान की पुरानी रणनीति है। पहले हमला कराना और फिर मना करना। जैसे मुंबई हमला।

कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने अमेरिका में युवा पेशेवरों को संबोधित करते हुए पहलाम आतंकी हमले पर भारत की प्रतिक्रिया को संयमित लेकिन निर्णायक करार दिया। संसदीय प्रतिनिधिमंडल के नेतृत्व कर रहे थरूर अमेरिकी दौरे पर स्पष्ट शब्दों में पाकिस्तान को चेतावनी दी कि अगर पड़ोसी ने फिर उकसाया तो भारत जोरदार जवाब देगा। उन्होंने यह भी कहा कि भारत के पास जवाब देने के अलावा कोई विकल्प नहीं था
थरूर ने कहा, “हमने संयम बरता, लेकिन यह भी साफ कर दिया कि हमारी सहनशीलता की सीमा है। हमें जवाब देना पड़ा। यह कोई विकल्प नहीं, बल्कि जरूरत बन गई थी।” उन्होंने कहा कि भारत ने इस हमले के बाद अंतरराष्ट्रीय समुदाय से समझ और एकजुटता की मांग की।
थरूर ने पाकिस्तान को तीखा संदेश देते हुए कहा, “अगर पाकिस्तान ने दोबारा ऐसा होने दिया या इसे भड़काया तो इस बार हुआ हम उससे भी जोरदार तरीके से जवाब देंगे। हमारी सहनशीलता को हल्के में न लें।” उन्होंने कहा कि भारत का ध्यान विकास और गरीबी उन्मूलन पर है, लेकिन आतंकी हमलों को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।
कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने कहा कि भारत शांति चाहता है, लेकिन यदि निर्दोष नागरिकों को मारने की कोशिश की गई तो वह चुप नहीं बैठेगा। उन्होंने कहा, “हम यह नहीं चाहेंगे कि समय इन बातों पर खर्च हो, लेकिन जब हमारे लोगों को सीमा पार से मार दिया जाता है तो हम चुप नहीं रह सकते।”
थरूर ने पाकिस्तान की भूमिका को लेकर तीन ठोस बिंदु प्रस्तुत किए। इतिहास और इनकार की नीति, जो कि पाकिस्तान की पुरानी रणनीति है। पहले हमला कराना और फिर मना करना। जैसे मुंबई हमला। बाद में उससे इनकार करना। जैसे ओसामा बिन लादेन का एबटाबाद में छिपा होना। थरूर ने कहा, “वो हमेशा तब तक इनकार करते हैं, जब तक रंगे हाथों पकड़े न जाएं।”
पाकिस्तान में आतंकी नेताओं के जनाजों में सेना और पुलिस की मौजूदगी पर भी उन्होंने सवाल उठाया। थरूर ने कहा कि हमला होते ही जब जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा के आतंकियों के जनाजे निकले, तो पाकिस्तानी सैन्य अधिकारी और पुलिस वहां मौजूद थे। उन्होंने कहा, “ये तस्वीरें सोशल मीडिया पर सामने आईं और सबूत के तौर पर काफी हैं।”
थरूर ने साफ किया कि भारत बिना उचित सबूत के कोई सैन्य कार्रवाई नहीं करता। उन्होंने कहा, “पिछले साल पाकिस्तान से जुड़े 24 आतंकी हमले हुए, लेकिन किसी ने भी इतने बड़े जवाब की मांग नहीं की। पर इस बार स्थिति अलग थी।” उन्होंने यह भी बताया कि किसी भी देश ने भारतीय प्रतिनिधिमंडल से पाकिस्तान की संलिप्तता के सबूत नहीं मांगे। क्योंकि उनके पास पहले से विश्वास करने लायक तथ्य थे।