देशभर के किसानों को किस बात की चिंता, शिवराज सिंह चौहान ने मुलाकातों के बाद बताया
किसानों का कहना है कि बाजार में उपलब्ध कई कीटनाशक और बीज गुणवत्ता मानकों पर खरे नहीं उतरते, जिसके कारण उनकी फसलें नष्ट हो रही हैं और आर्थिक नुकसान हो रहा है।

केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान इन दिनों "विकसित कृषि संकल्प अभियान (VBSA)" के तहत 29 मई से 12 जून तक विभिन्न राज्यों का दौरा कर रहे हैं। इस अभियान का उद्देश्य भारत को विकसित राष्ट्र बनाने की दिशा में कृषि क्षेत्र को सशक्त करना है। उन्होंने बताया कि आखिर देशभर के किसानों को किस बात की चिंता है। उन्होंने कहा कि किसानों ने नकली और घटिया कीटनाशकों तथा बीजों की बिक्री पर गहरी चिंता व्यक्त की है।
चौहान ने तेलंगाना यात्रा के दौरान 'इंडियन एक्सप्रेस' से बातचीत में कृषि की वर्तमान स्थिति और किसानों की प्रमुख समस्याओं पर विस्तार से चर्चा की। उन्होंने कहा कि वह स्वयं किसान हैं और खेती से जुड़े रहते हैं, इसलिए समस्याओं से अनजान नहीं हैं। उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में 2014 के बाद खाद्यान्न उत्पादन में 40% से अधिक की वृद्धि हुई है। इसके बावजूद, उन्होंने स्वीकार किया कि कृषि क्षेत्र में अलग-अलग दिशा में काम हो रहा है, जिससे समन्वय की कमी महसूस होती है। इसी वजह से "वन नेशन, वन एग्रीकल्चर, वन टीम" का नारा दिया गया है।
कृषि के लिए "GST काउंसिल" जैसे ढांचे की जरूरत?
पूर्व में गठित एक समिति द्वारा कृषि के लिए GST परिषद जैसी एक स्थायी संस्था बनाने की सिफारिश की गई थी। इस पर चौहान ने कहा कि वह पहले ही कृषि मंत्रियों के साथ तीन बैठकें कर चुके हैं और हर फसल मौसम से पहले रबी और खरीफ पर विशेष सम्मेलन होता है। हालांकि उन्होंने माना कि इस बार के दौरे से जो अनुभव मिल रहे हैं, उनके आधार पर भविष्य में एक उपयुक्त ढांचा तैयार किया जा सकता है।
किसानों की प्रमुख समस्याएं: घटिया बीज और कीटनाशक एक बड़ी चिंता
तेलंगाना से लेकर महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश तक, किसानों ने चौहान को कई स्थानीय समस्याएं बताईं। कहीं जलवायु परिवर्तन के कारण आम की फसल को नुकसान हुआ, तो कहीं गन्ने की किस्मों में बीमारी की शिकायत मिली। अधिकांश किसानों ने बीज और कीटनाशकों की गुणवत्ता पर सवाल उठाया और इनके खिलाफ सख्त कानून की मांग की। कृषि मंत्री ने भी नकली और घटिया कीटनाशकों की बिक्री को रोकने के लिए कड़े कानून बनाने और संतुलित उर्वरक का इस्तेमाल सुनिश्चित करने के लिए मृदा स्वास्थ्य कार्ड के बेहतर कार्यान्वयन की बात भी कही।
कृषि भूमि में हो रही कमी, लेकिन तकनीक दे रही समाधान
शिवराज सिंह चौहान ने कृषि भूमि में कमी को एक चुनौती के रूप में स्वीकार किया, लेकिन इसके समाधान के रूप में सौर पैनलों के नीचे खेती, हाइड्रोपोनिक्स जैसी तकनीकों की बात की। उन्होंने कहा कि शहरीकरण और औद्योगिकीकरण के कारण भूमि घटेगी, लेकिन तकनीक से हम कम जमीन पर अधिक उत्पादन कर सकते हैं।
हाइवे और विकास परियोजनाओं से कृषि भूमि पर असर?
इस सवाल पर उन्होंने कहा कि देश के समग्र विकास के लिए एक संतुलित दृष्टिकोण जरूरी है। उन्होंने कहा, "हमें बंदरगाह, एयरपोर्ट, रेलवे और उद्योग भी चाहिए, लेकिन कृषि के बिना भारत नहीं चल सकता।"
अभियान का उद्देश्य: एकजुट होकर विकसित भारत के लिए विकसित कृषि
"विकसित कृषि संकल्प अभियान" के तहत लगभग 2,000 टीमें 700 से अधिक जिलों में भ्रमण कर रही हैं, जिनमें वैज्ञानिक, विशेषज्ञ, अधिकारी और प्रगतिशील किसान शामिल हैं। चौहान ने कहा कि यह अभियान 12 जून के बाद भी जारी रहेगा, और वह शेष राज्यों का भी दौरा करेंगे, चाहे वहां किसी भी दल की सरकार हो। इस पहल के माध्यम से केंद्र सरकार कृषि के क्षेत्र में एकीकृत दृष्टिकोण और साझा रणनीति को आगे बढ़ाना चाहती है, ताकि किसान समृद्ध हों और भारत विकसित राष्ट्र बनने की दिशा में तेजी से आगे बढ़े।