कैसे चुना जाता है बीजेपी अध्यक्ष, कितनी होती है ताकत? जानिए पूरी प्रक्रिया
- बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव को लेकर प्रक्रिया तेज हो गई है। अब तक 14 राज्यों में अध्यक्ष तय किए जा चुके हैं, लेकिन पार्टी संविधान के मुताबिक राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव तब तक नहीं हो सकता जब तक 19 राज्यों में संगठनात्मक चुनाव न हो जाएं।

भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने अपने नए राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव की प्रक्रिया तेज कर दी है और इसी कड़ी में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, मौजूदा अध्यक्ष जेपी नड्डा समेत शीर्ष नेताओं की बैठक हुई, जिसमें उत्तर प्रदेश, गुजरात, मध्य प्रदेश, कर्नाटक और ओडिशा जैसे प्रमुख राज्यों में नए प्रदेश अध्यक्षों की नियुक्ति पर मंथन किया गया। अब तक 14 राज्यों में अध्यक्ष तय किए जा चुके हैं, लेकिन पार्टी संविधान के मुताबिक राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव तब तक नहीं हो सकता जब तक 19 राज्यों में संगठनात्मक चुनाव न हो जाएं।
बताया जा रहा है कि बाकी राज्यों के नाम जल्द तय कर लिए जाएंगे और इसके बाद राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव की तारीख का ऐलान प्रेस कॉन्फ्रेंस के जरिए किया जाएगा। संभावना है कि यह चुनाव इसी महीने के अंत या अगले महीने की शुरुआत में कराया जा सकता है। ऐसे में आइए जानते हैं बीजेपी अध्यक्ष कैसे चुना जाता है और इस पद की ताकत कितनी होती है?
कैसे होता है बीजेपी अध्यक्ष का चुनाव?
बीजेपी अध्यक्ष का चुनाव पार्टी की राष्ट्रीय और राज्य कार्यकारिणियों के सदस्यों से बने एक चुनावी कॉलेज के जरिए होता है, मगर असल में ये फैसला आम सहमति और वरिष्ठ नेताओं की राय से तय किया जाता है। कोई भी व्यक्ति इस पद के लिए तभी योग्य होता है जब वह कम से कम 15 सालों से पार्टी का सक्रिय सदस्य रहा हो। साथ ही चुनाव तब तक नहीं कराए जा सकते जब तक पार्टी के कम से कम आधे राज्यों में संगठनात्मक चुनाव पूरे न हो जाएं।
बीजेपी राष्ट्रीय अध्यक्ष का कार्यकाल तीन साल का होता है और एक व्यक्ति लगातार दो बार से ज्यादा इस पद पर नहीं रह सकता। हालांकि, अब तक जितने भी अध्यक्ष बने हैं, वे सभी निर्विरोध चुने गए हैं। इसके साथ ही आरएसएस की सहमति इस चुनाव में अहम भूमिका निभाती है।
क्या होती हैं जिम्मेदारियां?
इस पद की ताकत की बात करें तो बीजेपी अध्यक्ष जिम्मेदारी बेहद व्यापक होती है। पार्टी की रणनीति बनाना, चुनावी उम्मीदवारों का चयन करना और संगठन को एकजुट रखना, ये सभी जिम्मेदारियां अध्यक्ष के ही कंधों पर होती हैं। पार्टी के संविधान की धारा 20 के अनुसार, अध्यक्ष को 120 सदस्यों वाली राष्ट्रीय कार्यकारिणी का गठन करने का अधिकार है, जिसमें महिला, अनुसूचित जाति और जनजाति वर्गों को तय अनुपात में प्रतिनिधित्व देना जरूरी है।
अध्यक्ष ही पार्टी के पूर्ण अधिवेशन की अध्यक्षता करता है और जरूरत पड़ने पर संगठन महामंत्री की मदद से क्षेत्रीय और राज्य स्तर पर संगठन मंत्रियों की नियुक्ति भी करता है। यही नहीं, प्रत्याशियों के चयन से लेकर प्रदेश अध्यक्षों की नियुक्तियों में भी उनका अंतिम फैसला चलता है।