India ends trans shipment facility for Bangladesh but Nepal Bhutan exempted भारत ने निकाली बांग्लादेश की हेकड़ी, ट्रांसशिपमेंट सुविधा खत्म; इन 2 पड़ोसी देशों को जारी रहेगी छूट, India Hindi News - Hindustan
Hindi Newsदेश न्यूज़India ends trans shipment facility for Bangladesh but Nepal Bhutan exempted

भारत ने निकाली बांग्लादेश की हेकड़ी, ट्रांसशिपमेंट सुविधा खत्म; इन 2 पड़ोसी देशों को जारी रहेगी छूट

  • ‘ट्रांसशिपमेंट’ का मतलब एक देश से माल दूसरे देश ले जाने के लिए किसी तीसरे देश के बंदरगाह, हवाई अड्डे या परिवहन मार्ग का अस्थायी उपयोग करना होता है।

Amit Kumar लाइव हिन्दुस्तान, नई दिल्लीThu, 10 April 2025 06:37 AM
share Share
Follow Us on
भारत ने निकाली बांग्लादेश की हेकड़ी, ट्रांसशिपमेंट सुविधा खत्म; इन 2 पड़ोसी देशों को जारी रहेगी छूट

भारत ने एक बड़ा कदम उठाते हुए अपने बंदरगाहों और हवाई अड्डों के माध्यम से पश्चिम एशिया, यूरोप और अन्य देशों को निर्यात के लिए बांग्लादेश को दी गई पारगमन यानी ट्रांसशिपमेंट सुविधा वापस ले ली है। केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीआईसी) ने मंगलवार को एक अधिसूचना जारी कर 2020 में शुरू की गई इस सुविधा को तत्काल प्रभाव से रद्द कर दिया। यह निर्णय बांग्लादेश के अंतरिम सरकार के प्रमुख मुहम्मद यूनुस के उस बयान के बाद आया है, जिसमें उन्होंने चीन के साथ आर्थिक संबंधों को बढ़ाने और भारत के पूर्वोत्तर क्षेत्र को "भूमिबद्ध" बताने की बात कही थी। हालांकि, भारत ने स्पष्ट किया है कि यह कदम नेपाल और भूटान को बांग्लादेश से होने वाले निर्यात पर लागू नहीं होगा। यानी भारत के बंदरगाहों और हवाई अड्डों का इस्तेमाल कर बांग्लादेश अभी भी नेपाल और भूटान को माल निर्यात कर सकता है। ‘ट्रांसशिपमेंट’ का मतलब एक देश से माल दूसरे देश ले जाने के लिए किसी तीसरे देश के बंदरगाह, हवाई अड्डे या परिवहन मार्ग का अस्थायी उपयोग करना होता है।

नेपाल और भूटान को बांग्लादेशी निर्यात से छूट दी

यह कदम बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के प्रमुख मोहम्मद यूनुस द्वारा चीन में दिए गए विवादास्पद बयान के कुछ दिनों बाद उठाया गया है, जिसमें उन्होंने कहा था कि भारत के पूर्वोत्तर राज्य, जिनकी बांग्लादेश के साथ लगभग 1,600 किलोमीटर की सीमा लगती है, चारों ओर से जमीन से घिरे हुए हैं तथा इनके पास उनके देश के अलावा महासागर तक पहुंचने का कोई रास्ता नहीं है। भारत ने नेपाल और भूटान को बांग्लादेशी निर्यात से छूट दी है, क्योंकि विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) के प्रावधानों के तहत चारों ओर से जमीन से घिरे देशों के लिए व्यापार सुविधा अनिवार्य है।

भारत और बांग्लादेश ने 2020 में पारगमन व्यवस्था को लेकर एक समझौता किया था और 2022 में बांग्लादेशी निर्यात के लिए इस सुविधा को औपचारिक रूप से बढ़ा दिया गया था। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा, ‘‘बांग्लादेश को दी गई पारगमन सुविधा के कारण पिछले कुछ समय से हमारे हवाई अड्डों और बंदरगाहों पर काफी भीड़भाड़ हो रही है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘साजोसामान संबंधी देरी और ऊंची लागत से हमारे अपने निर्यात में बाधा उत्पन्न हो रही है।’’ जायसवाल ने कहा कि आठ अप्रैल से पारगमन सुविधा वापस ले ली गई है।

कई भारतीय बंदरगाहों और हवाई अड्डों का उपयोग

बांग्लादेश पश्चिम एशिया, यूरोप और कई अन्य देशों को अपना निर्यात भेजने के लिए कई भारतीय बंदरगाहों और हवाई अड्डों का उपयोग करता रहा है। जायसवाल ने अपनी साप्ताहिक प्रेस वार्ता में कहा, ‘‘स्पष्ट करने के लिए बता दूं कि इन उपायों से भारतीय क्षेत्र से होकर नेपाल या भूटान को बांग्लादेश से होने वाले निर्यात पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा।’’

यूनुस ने हाल में चीन में एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा था कि भारत के सात पूर्वोत्तर राज्य चारों ओर से जमीन से घिरे हुए हैं और बांग्लादेश के अलावा उनके पास समुद्र तक पहुंचने का कोई रास्ता नहीं है। एक अधिसूचना में, केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर एवं सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीआईसी) ने बांग्लादेश को दी गई पारगमन सुविधा वापस ले ली। यूनुस और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने चार अप्रैल को बैंकॉक में बिम्सटेक शिखर सम्मेलन के दौरान बातचीत की थी।

संबंधों में खटास

भारतीय पक्ष हालांकि यूनुस और मोदी के बीच बैठक के बारे में ढाका की ओर से जारी बयान, विशेषकर अल्पसंख्यकों पर हमलों और हसीना के प्रत्यर्पण के लिए अनुरोध से नाराज था। इस मामले से जुड़े लोगों ने बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस और प्रधानमंत्री मोदी के बीच बैंकॉक में हुई बैठक के संबंध में बांग्लादेश की ओर से जारी बयान को ‘‘शरारतपूर्ण और राजनीति से प्रेरित’’ बताया था।

यूनुस के प्रेस सचिव शफीकुल आलम ने शनिवार को एक ‘फेसबुक’ पोस्ट में कहा था कि बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने बैंकॉक में हुई बैठक में मोदी के समक्ष हसीना के प्रत्यर्पण के लिए बांग्लादेश के अनुरोध को उठाया और ‘‘प्रतिक्रिया नकारात्मक नहीं थी।’’ सूत्रों ने बैठक पर बांग्लादेश के आधिकारिक बयान और आलम के ‘फेसबुक’ पोस्ट को लेकर कहा था कि यूनुस और पिछली बांग्लादेश सरकार के साथ संबंधों के बारे में भारतीय प्रधानमंत्री की टिप्पणियों का वर्णन ‘‘गलत’’ था।

ये भी पढ़ें:चीन की गोद में बैठे बांग्लादेश को भारत ने दिखाई औकात, यूनुस की अकड़ का दिया जवाब
ये भी पढ़ें:KFC से लेकर बाटा शोरूम तक, इजरायली माल समझकर बांग्लादेशी भीड़ ने मचाया तांडव

हिंदुओं पर हमलों को रोकने में विफल

भारत ने पिछले साल बांग्लादेश की अंतरिम सरकार द्वारा हसीना के प्रत्यर्पण के लिए किए गए अनुरोध पर अब तक कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है। यूनुस की अध्यक्षता में अंतरिम सरकार के बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों, विशेष रूप से हिंदुओं पर हमलों को रोकने में विफल रहने के बाद दोनों देशों के बीच संबंधों में तल्खी आई है। पिछले साल अगस्त में बड़े पैमाने पर सरकार विरोधी प्रदर्शन के कारण हसीना बांग्लादेश से भारत आ गई थीं और तब से यहीं रह रही हैं।

बैंकॉक में शुक्रवार को हुई बैठक में मोदी ने यूनुस को बांग्लादेश में हिंदुओं और अन्य अल्पसंख्यकों की सुरक्षा के बारे में भारत की गहरी चिंताओं से अवगत कराया था। प्रधानमंत्री मोदी ने बांग्लादेश में हिंदुओं समेत अल्पसंख्यकों की सुरक्षा से संबंधित भारत की चिंताओं को रेखांकित किया था और उम्मीद जताई थी कि बांग्लादेश सरकार उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करेगी।

तीस्ता नदी परियोजना में चीन की भागीदारी के संबंध में ढाका द्वारा स्वागत किये जाने पर जायसवाल ने कहा कि भारत और बांग्लादेश 54 नदियों को साझा करते हैं, जिनमें गंगा और तीस्ता नदियां भी शामिल हैं। उन्होंने कहा, ‘‘प्रासंगिक मुद्दों पर चर्चा करने के लिए ‘संयुक्त नदी आयोग’ नामक एक संस्थागत संवाद तंत्र मौजूद है। आपसी सहमति से तय मामलों पर बातचीत हो सकती है, बशर्ते समग्र वातावरण अनुकूल हो।’’

(इनपुट एजेंसी)