कसाब का हो गया हिसाब, अब तहव्वुर राणा की बारी; मुंबई हमले के कितने गनुहगार और क्या है उनका हाल?
- इस हमले का एकमात्र जिंदा पकड़ा गया आतंकी अजमल कसाब तो 21 नवंबर 2012 को फांसी के फंदे पर लटका दिया गया, लेकिन इसके पीछे के कई बड़े साजिशकर्ता आज भी चर्चा में हैं।

26 नवंबर 2008 की वह काली रात आज भी हर भारतीय के जेहन में ताजा है, जब मुंबई पर लश्कर-ए-तैयबा के 10 आतंकियों ने हमला कर 166 लोगों की जान ले ली और 300 से ज्यादा को घायल कर दिया। इस हमले ने न केवल भारत को हिलाकर रख दिया, बल्कि पूरी दुनिया में आतंकवाद के खिलाफ एकजुटता की मांग को मजबूत किया। इस हमले का एकमात्र जिंदा पकड़ा गया आतंकी अजमल कसाब तो 21 नवंबर 2012 को फांसी के फंदे पर लटका दिया गया, लेकिन इसके पीछे के कई बड़े साजिशकर्ता आज भी चर्चा में हैं। इनमें से एक नाम है तहव्वुर हुसैन राणा, जिसे अब भारत लाया जा रहा है। आइए, इस हमले के गुनहगारों की पूरी कहानी और उनके मौजूदा हाल पर नजर डालते हैं।
मुंबई हमले की साजिश और इसके गुनहगार
मुंबई हमले की साजिश लश्कर-ए-तैयबा और पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई ने मिलकर रची थी। इसमें शामिल आतंकियों को समुद्र के रास्ते कराची से मुंबई भेजा गया था। हमले के लिए 10 आतंकियों को चुना गया, जिन्होंने ताज होटल, ओबेरॉय ट्राइडेंट, छत्रपति शिवाजी टर्मिनस, लियोपोल्ड कैफे और नरीमन हाउस जैसे प्रमुख स्थानों को निशाना बनाया। इसके अलावा, कई बड़े नाम इस साजिश के मास्टरमाइंड और सहयोगी के रूप में सामने आए।
हमले में शामिल 10 आतंकी और उनकी मौत
मुंबई हमले को अंजाम देने वाले 10 आतंकियों में से 9 भारतीय सुरक्षा बलों के साथ मुठभेड़ में मारे गए, जबकि एक को जिंदा पकड़ा गया। मुंबई पुलिस ने भयावह आतंकवादी हमलों में शामिल सभी 10 आतंकवादियों की पहचान की पुष्टि की थी। एक आतंकवादी की तस्वीर जारी नहीं की गई, क्योंकि वह ताज होटल में मारा गया और उसका शव आग में बुरी तरह जल गया था। उसकी पहचान 'उमर' के रूप में की गई थी। हमले के अगले दिन यानी 27 नवंबर को नेशनल सिक्योरिटी गार्ड (NSG) कमांडोज से मुठभेड़ के बाद उसका शव होटल की ऊपरी मंजिल से नीचे फेंका गया था।
हमलों में पकड़ा गया एकमात्र जीवित आतंकवादी मोहम्मद अजमल आमिर कसाब था। उसे 21 नवंबर 2012 को पुणे की यरवदा जेल में फांसी दी गई। कसाब ने छत्रपति शिवाजी टर्मिनस पर हमला किया और कई लोगों को मौत के घाट उतारा। उसकी गवाही ने साजिश के कई बड़े नामों को उजागर किया, जिसमें जकी-उर-रहमान लखवी जैसे आतंकी शामिल थे। कसाब साथी, इस्माइल खान, 27 नवंबर की सुबह मुंबई के दक्षिणी इलाके चौपाटी के पास पुलिस मुठभेड़ में मारा गया। इस्माइल खान की गतिविधियां छत्रपति शिवाजी टर्मिनस (CST) में लगे सीसीटीवी कैमरों में कैद हुई थीं। वह अजमल आमिर के साथ वहां से कामा और अल्बलेस अस्पताल, मेट्रो सिनेमा हॉल होते हुए नरीमन पॉइंट और अंत में चौपाटी पहुंचा था।
ताज महल पैलेस और टॉवर होटल में हमला करने वाले तीन आतंकवादी- बड़ा अब्दुल रहमान, अबू अली और अबू सोहेब थे। ताज में सबसे लंबी और खून-खराबे वाली मुठभेड़ हुई थी, जो कुल 13 स्थानों पर हुए हमलों में सबसे भीषण थी।
नरीमन हाउस (कोलाबा) में यहूदी उपासना स्थल पर कब्जा जमाकर हमला करने वाले दो आतंकवादी नासिर उर्फ अबू उमर और बाबर इमरान उर्फ अबू अकाशा था। इन आतंकियों से निपटने के लिए कमांडो को हवाई मार्ग से नरीमन हाउस में उतारा गया था। ओबेरॉय ट्राइडेंट होटल (नरीमन पॉइंट) पर हमला करने वाले दो आतंकवादी फहाद उल्लाह और अब्दुल रहमान छोटा था।
कुल 10 आतंकवादी: जिनमें 9 मारे गए, 1 (मोहम्मद अजमल आमिर उर्फ कसाब) जिंदा पकड़ा गया।
सभी आतंकियों की सूची इस प्रकार है:
- बड़ा अब्दुल रहमान – ताज हमला
- अबू अली – ताज हमला
- अबू सोहेब – ताज हमला
- अब्दुल रहमान छोटा – ओबेरॉय हमला
- फहाद उल्लाह – ओबेरॉय हमला
- इस्माइल खान – CST हमला (मारा गया)
- मोहम्मद अजमल आमिर (कसाब) – CST हमला (जिंदा पकड़ा गया)
- नासिर उर्फ अबू उमर – नरीमन हाउस हमला
- बाबर इमरान उर्फ अबू अकाशा – नरीमन हाउस हमला
- उमर – ताज हमला (शव जल गया, तस्वीर जारी नहीं की गई)
ये 10 आतंकी सीधे तौर पर हमले में शामिल थे, लेकिन इसके पीछे कई बड़े साजिशकर्ताओं ने योजना को अंजाम दिया।
साजिश के बड़े गुनहगार और उनका हाल
हमले के पीछे कई मास्टरमाइंड्स थे, जिनमें से कुछ आज भी आजाद हैं, कुछ जेल में हैं, और कुछ की स्थिति अस्पष्ट है। इनमें से प्रमुख नाम इस प्रकार हैं:
तहव्वुर हुसैन राणा
हाल: अमेरिका से भारत प्रत्यर्पण किया जा रहा है। वह कई सालों से अमेरिका की कैद में था।
भूमिका: राणा ने अपने दोस्त डेविड हेडली को मुंबई में रेकी करने में मदद की। उसने हेडली को बिजनेस वीजा दिलवाया और हमले के लक्ष्यों की जानकारी रखी। अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने उसके प्रत्यर्पण को मंजूरी दे दी है, और अब वह भारत में मुकदमे का सामना करेगा।
डेविड कोलमैन हेडली (दाऊद गिलानी)
हाल: अमेरिका में 35 साल की सजा काट रहा है।
भूमिका: हमले का मुख्य मास्टरमाइंड। हेडली ने मुंबई में कई बार रेकी की और लश्कर को टारगेट्स की जानकारी दी। उसने अदालत में गवाही देकर सजा में छूट हासिल की, लेकिन भारत को प्रत्यर्पित नहीं किया गया।
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हाफिज सईद
हाल: पाकिस्तान में नजरबंदी और रिहाई का सिलसिला जारी। 2019 से आतंकवाद की फंडिंग के लिए 78 साल की सजा सुनाई गई, लेकिन वह आरामदायक जिंदगी जी रहा है।
भूमिका: लश्कर-ए-तैयबा का प्रमुख और हमले का मुख्य साजिशकर्ता। भारत ने उसके खिलाफ कई बार प्रत्यर्पण की मांग की, लेकिन पाकिस्तान ने इनकार किया।
जकी-उर-रहमान लखवी
हाल: पाकिस्तान में सक्रिय माना जाता है। 2015 में जमानत पर रिहा हुआ था।
भूमिका: लश्कर का ऑपरेशनल कमांडर। आतंकियों की भर्ती, ट्रेनिंग और हमले के दौरान कराची से संचालन में शामिल। कसाब ने उसे "जकी चाचा" के नाम से पहचाना।
साजिद मजीद (साजिद मीर)
हाल: पाकिस्तान में छिपा हुआ माना जाता है।
भूमिका: हेडली का मुख्य हैंडलर। आतंकियों को ट्रेनिंग और वित्तीय सहायता दी। हमले के दौरान कंट्रोल रूम में मौजूद था।
अबू काहफा
हाल: पाकिस्तान या पीओके में छिपा हुआ।
भूमिका: लश्कर का वरिष्ठ ट्रेनर। आतंकियों को हथियार और जीपीएस की ट्रेनिंग दी। हमले के दौरान कंट्रोल रूम में शामिल।
मुजम्मिल बट
हाल: स्थिति अस्पष्ट, संभवतः पाकिस्तान में।
भूमिका: साजिश में शामिल लश्कर का सदस्य।
अबू अनस
हाल: स्थिति अस्पष्ट।
भूमिका: साजिश में सहयोगी।
मेजर इकबाल
हाल: स्थिति अस्पष्ट, आईएसआई का अधिकारी माना जाता है।
भूमिका: पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी से जुड़ा। हेडली को निर्देश दिए।
तहव्वुर राणा: अब भारत की बारी
तहव्वुर राणा का नाम मुंबई हमले की साजिश में अहम है। पाकिस्तानी मूल का यह कनाडाई नागरिक लश्कर और आईएसआई के साथ मिलकर काम कर रहा था। उसने हेडली को मुंबई में "फर्स्ट वर्ल्ड इमिग्रेशन सर्विसेज" के नाम से ऑफिस खोलने की आड़ दी, जिसके जरिए हमले की रेकी हुई। राणा खुद 11 से 21 नवंबर 2008 तक मुंबई में था और हमले के ठीक पांच दिन बाद वहां से निकला। अमेरिका में उसे 14 साल की सजा सुनाई गई, लेकिन अब भारत में उस पर मुकदमा चलेगा। अब उसके प्रत्यर्पण की खबर ने उम्मीद जगाई है कि इस हमले के एक और गुनहगार को सजा मिलेगी।
क्या है आगे की राह?
मुंबई हमले के कई गुनहगार आज भी आजाद घूम रहे हैं। हाफिज सईद और जकी-उर-रहमान लखवी जैसे आतंकियों को पाकिस्तान में संरक्षण मिला हुआ है। भारत ने अंतरराष्ट्रीय मंचों पर इनके खिलाफ सबूत पेश किए, लेकिन कार्रवाई सीमित रही। तहव्वुर राणा का भारत आना एक बड़ी कामयाबी होगी, क्योंकि उससे पूछताछ में आईएसआई और लश्कर के नेटवर्क की और परतें खुल सकती हैं। यह हमले के शिकार हुए लोगों के लिए न्याय की दिशा में एक कदम होगा।
मुंबई हमले की यह कहानी अभी खत्म नहीं हुई है। कसाब का हिसाब हो चुका है, अब राणा की बारी है। लेकिन सवाल यह है कि बाकी गुनहगारों का क्या होगा? क्या भारत उन्हें सजा दिला पाएगा, या यह इंतजार लंबा खिंचता रहेगा? समय ही इसका जवाब देगा।