सिर्फ सेना के जवाब से नहीं बनेगी बात, पाक में उच्चायुक्त रह चुके राघवन की नसीहत
पाकिस्तान में दो साल भारत के उच्चायुक्त रह चुके टीसीए राघवन ने भारत-पाक रिश्तों को लेकर बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि सिर्फ सैन्य ताकत से बात नहीं बनेगी। भारत को अपनी पूरी ताकत का इस्तेमाल करना चाहिए।

भारत और पाकिस्तान के बीच लगातार बढ़ते तनाव और सुरक्षा आधारित रिश्तों के बीच भारत के पूर्व उच्चायुक्त टीसीए राघवन ने दो टूक कहा है कि इस मसले का कोई सैन्य समाधान नहीं है। उन्होंने जोर देकर कहा कि भारत को अपनी पूरी ताकत का इस्तेमाल करना चाहिए, जिसमें कूटनीति, समाज, राजनीति और संस्कृति शामिल है। राघवन दो साल पाकिस्तान में भारत के उच्चायुक्त रहे हैं।
मंगलवार को दिल्ली स्थित इंडिया हैबिटेट सेंटर में 'ऑपरेशन सिंदूर की रोशनी में भारत-पाक रिश्ते' विषय पर बोलते हुए राघवन ने कहा कि भारत की असली ताकत उसकी अर्थव्यवस्था, संस्थागत मजबूती और सामाजिक विविधता में है, न कि केवल सैन्य ताकत में।
पाक में रह चुके उच्चायुक्त
राघवन 2013 से 2015 तक पाकिस्तान में भारत के उच्चायुक्त रहे हैं। उन्होंने कहा, “पाकिस्तानी फौज भारत की सैन्य शक्ति से डरती नहीं है, बल्कि उसके सामने खड़े होने की मानसिकता रखती है। पाकिस्तान को डर भारत की बढ़ती आर्थिक ताकत, सामाजिक प्रगति और मजबूत संस्थाओं से है।” उन्होंने यह भी कहा कि अगर भारत-पाकिस्तान के रिश्ते को सिर्फ सुरक्षा तक सीमित कर दिया जाए, तो भारत अपनी असली ताकत को नजरअंदाज कर देगा।
राघवन की क्या नसीहत
पूर्व राजनयिक ने यह भी बताया कि मौजूदा हालात में दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय रिश्ते लगभग ठप हो चुके हैं। उन्होंने 2021 में हुए नियंत्रण रेखा पर संघर्षविराम के उदाहरण का हवाला देते हुए कहा कि पाकिस्तान ने उस वक्त कुछ हद तक सकारात्मक रुख दिखाया था, लेकिन भारत ने उसे तवज्जो नहीं दी। राघवन ने आगाह किया कि पाकिस्तान को "एक ही रंग में देखना" खतरनाक है और उसके भीतर के अलग-अलग व्यवहार और संकेतों को समझना जरूरी है।
उन्होंने यह भी कहा कि भारत की नीति "बातचीत और आतंक एक साथ नहीं चल सकते" मौलिक रूप से सही है, लेकिन इसकी सख्त व्याख्या करने से कूटनीतिक लचीलापन कम हो जाता है। आयोजन में भारत की पूर्व राजनयिक रुचि घनश्याम भी मौजूद थीं, जो पाकिस्तान में तैनात होने वाली पहली भारतीय महिला राजदूत रही हैं। उन्होंने भी रिश्तों में संतुलन और दीर्घकालिक रणनीति की आवश्यकता पर जोर दिया।