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दुनिया के लिए अंग्रेजी चाहिए और मातृभाषा तमिल है, हमें नहीं चाहिए हिंदी भाषा; कांग्रेस भी DMK के साथ

  • डीएमके का कहना है कि त्रि-भाषा फॉर्मूले के जरिए हिंदी को तमिलनाडु में थोपने का प्रयास किया जा रहा है, जो गलत है। इसे हम स्वीकार नहीं करेंगे। इस बीच कांग्रेस ने भी डीएमके की ही भाषा बोलना शुरू कर दिया है। कांग्रेस का कहना है कि तमिलनाडु में दो ही भाषाएं पर्याप्त हैं।

Surya Prakash लाइव हिन्दुस्तान, नई दिल्लीTue, 11 March 2025 11:52 AM
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दुनिया के लिए अंग्रेजी चाहिए और मातृभाषा तमिल है, हमें नहीं चाहिए हिंदी भाषा; कांग्रेस भी DMK के साथ

भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय की ओर से लागू त्रि-भाषा फॉर्मूले का तमिलनाडु में शुरू हुआ विरोध लगातार बढ़चा जा रहा है। इस मामले को लेकर डीएमके के सांसदों ने सोमवार को लोकसभा और राज्यसभा में विरोध जताया तो वहीं शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान को अपने एक बयान के लिए माफी तक मांगनी पड़ गई। डीएमके का कहना है कि त्रि-भाषा फॉर्मूले के जरिए हिंदी को तमिलनाडु में थोपने का प्रयास किया जा रहा है, जो गलत है। इसे हम स्वीकार नहीं करेंगे। इस बीच कांग्रेस ने भी डीएमके की ही भाषा बोलना शुरू कर दिया है। कांग्रेस का कहना है कि तमिलनाडु में दो ही भाषाएं पर्याप्त हैं। वहां तीसरी भाषा को स्वीकार नहीं किया जा सकता।

तमिलनाडु कांग्रेस के नेता और सांसद कार्ति चिदंबरम ने कहा, 'तमिलनाडु का रुख स्पष्ट है कि दो भाषा का फॉर्मूला पर्याप्त है। तमिल भाषा हमारी पहचान है और मातृभाषा है। इंग्लिश इसलिए जरूरी है क्योंकि दुनिया से संपर्क उसके माध्यम से हो सकता है। साइंस और कॉमर्स को समझने के लिए इंग्लिश की जरूरत है। लेकिन हमें तीसरी अनिवार्य भाषा की जरूरत नहीं है। मंत्री को इसके लिए माफी मांगनी चाहिए। उन्होंने अपना बयान वापस ले लिया है, लेकिन माफी भी मांगनी होगी।' कार्ति चिदंबरम के इस रुख से साफ है कि कांग्रेस भी भाषा विवाद में डीएमके का ही रुख अपनाएगी। तमिलनाडु में हिंदी बनाम तमिल का मसला खड़ा हो गया है और डीएमके को लगता है कि इसके जरिए वह आसानी से अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव को जीत सकती है।

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भाषा का मसला तमिलनाडु में संवेदनशील विषय है। ऐसे में यह मसला भाजपा के लिए भी चिंता का सबब बन गया है। दरअसल शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान का कहना है कि त्रिभाषा फॉर्मूले को लेकर पहले तमिलनाडु की ओर से सहमति जताई गई थी। इसी के कारण राष्ट्रीय शिक्षा नीति में इसे शामिल किया गया था, लेकिन बाद में तमिलनाडु सरकार का रुख पलट गया। वहीं डीएमके का कहना है कि उसकी ओर से ऐसा कोई भरोसा नहीं दिया गया था।

एमके स्टालिन ने परिसीमन को भी बना लिया है मुद्दा

बता दें कि तमिलनाडु के सीएम एमके स्टालिन ने परिसीमन को भी मुद्दा बना दिया है। उनका कहना है कि यदि जनगणना के नए आंकड़ों को आधार बाते हुए परिसीमन किया गया तो फिर तमिलनाडु की सीटें कम हो सकती हैं। उन्होंने इस मामले में केरल, कर्नाटक जैसे दूसरे दक्षिणी राज्यों को भी शामिल कर लिया है। आंध्र के सीएम चंद्रबाबू नायडू भी जनता से आबादी बढ़ाने की अपील कर रहे हैं।