पर्यटकों के सिर में मारी गोली, अधिकारियों ने बताया- बैसरन में क्यों नहीं थी सुरक्षा
हिन्दुस्तान टाइम्स के हमारे संवाददाता ने वहां की तस्वीरें देखी हैं, जिससे पता चलता है कि आतंकवादी हमले में मारे गए 26 लोगों में से अधिकांश को सिर में गोली लगी थी।
एक तरफ कश्मीर घाटी में पर्यटन चरम पर है, दूसरी ओर आतंकवाद की बर्बर साजिश ने बैसरन की हरी-भरी वादियों को खून से रंग दिया। मंगलवार को बैसरन के घास के मैदान में चार से पांच आतंकियों ने अंधाधुंध फायरिंग कर 26 पर्यटकों की जान ले ली, जबकि दर्जनों घायल हैं। हमला इस कदर क्रूर था कि अधिकतर मृतकों को सिर में गोली मारी गई। यह साफ संकेत है कि यह सोची-समझी ‘एक्सीक्यूशन स्टाइल’ टार्गेटेड किलिंग थी।
बैसरन को स्थानीय लोग "मिनी–स्विट्जरलैंड" भी कहते हैं। यह एक दिन का पिकनिक स्पॉट है जो घोड़ों या पैदल ही पहुंचा जा सकता है। हमले के वक्त वहां 1,000 से अधिक पर्यटक मौजूद थे। इस खूबसूरत मैदान में लोग आराम कर रहे थे। बच्चे खेल रहे थे। तभी गोलियों की आवाजों ने सब कुछ बदल दिया। एक चश्मदीद गाइड ने बताया, "आतंकियों ने तीन दिशाओं से घुसपैठ की और लोगों से नाम पूछ-पूछकर गोली मारी।"
हिन्दुस्तान टाइम्स के हमारे संवाददाता ने वहां की तस्वीरें देखी हैं, जिससे पता चलता है कि आतंकवादी हमले में मारे गए 26 लोगों में से अधिकांश को सिर में गोली लगी थी। इस तरह की हत्याएं पर्यटकों को कश्मीर घाटी से डराने के उद्देश्य से की गई थीं। यह हमला ऐसे समय में हुआ जब कश्मीर घाटी में पर्यटन फलफूल रहा था और स्थानीय लोग इसका लाभ उठा रहे थे।
सुरक्षा बल आतंकवादियों की तलाश कर रहे हैं, लेकिन अभी तक कोई सफलता नहीं मिली है। नाम न बताने की शर्त पर एक अधिकारी ने कहा, "जंगलों के ऊपर बर्फ से ढकी किश्तवाड़ की पहाड़ी है, जिसके आगे वारवान घाटी है। यह संभावना नहीं है कि आतंकवादी ऊपर की ओर बढ़े होंगे।"
अधिकारियों ने माना कि हमलावर कोकरनाग और डक्सम के घने जंगलों से होते हुए सिंथन टॉप को पार करके किश्तवाड़ पहुंच सकते थे। हालांकि, उन सभी इलाकों में तलाशी अभियान शुरू किया गया है, जिनके बारे में अधिकारियों का मानना है कि वे भागने के संभावित रास्ते हो सकते हैं। मंगलवार को पर्यटकों की गतिविधियों से भरा हुआ यह मैदान अब किले में बदल गया है।
बैसरन में क्यों नहीं थी सुरक्षा?
घटनास्थल का दौरा करने वाले एक दूसरे अधिकारी ने कहा, "बैसरन और उसके आस-पास के जंगलों में केवल सुरक्षा बल हैं। यह इलाका पारंपरिक रूप से शांतिपूर्ण रहा है, यही वजह है कि सुरक्षा बल वहां स्थायी रूप से तैनात नहीं हैं। हालांकि, पास में ही केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल की एक बटालियन तैनात है।'' शीर्ष अधिकारियों ने कहा कि हर जगह को सुरक्षित करना संभव नहीं था, खासकर जहां कोई खतरा न हो। तीसरे अधिकारी ने कहा, "दशकों में पर्यटकों को इस तरह से कभी निशाना नहीं बनाया गया। आतंकवादियों ने इस स्थान को इसलिए चुना क्योंकि घाटी के मध्य भाग में हमला करने से अधिकतम लाभ मिलता है।"
कैसे घुसे आतंकी?
चौथे अधिकारी ने कहा, "आतंकवादी तीन अलग-अलग जगहों से बाड़ वाले पार्क में घुसे और पर्यटकों के नाम पूछने लगे और उन्हें मारना शुरू कर दिया। ऐसा लगता है कि उनका मकसद ज्यादा से ज्यादा पर्यटकों को मारना था।"
यह घास का मैदान एक लोकप्रिय पर्यटन स्थल के रूप में उभरा है और यहां कभी भी आतंकवादी हमला नहीं हुआ है। यह पहलगाम में सबसे ज्यादा देखी जाने वाली जगहों में से एक था और पर्यटक यहां पहुंचने के लिए ज्यादातर ट्रेकिंग या टट्टू का इस्तेमाल करते थे।
एक स्थानीय पर्यटक गाइड ने बताया, जो दोपहर 2 बजे गोलीबारी शुरू होने के समय मौके पर मौजूद था। उन्होंने कहा, "जब लोगों ने गोलीबारी सुनी तो वे पेड़ों के पीछे छिप गए। कई पर्यटकों को आतंकवादियों ने बहुत नज़दीक से गोली मारी। हर कोई मैदान से बाहर निकलने की कोशिश में घबराया हुआ था।" उन्होंने कहा कि पुलिस और सुरक्षा बलों को मौके पर पहुंचने में आधे घंटे का समय लगा।
सुरक्षा बलों की जवाबी कार्रवाई जारी
आतंकियों के संभावित भागने के रास्तों कोकरनाग, डक्सुम और किश्तवाड़ को सील कर दिया गया है। चिनार कॉर्प्स द्वारा बड़े पैमाने पर सर्च ऑपरेशन चलाया जा रहा है। स्थानीय गाइड, घोड़ेवालों और घायल पर्यटकों से आतंकियों के स्केच जारी किए गए हैं।