रेलवे की रफ्तार को मिलेंगे नए पंख; जमशेदपुर में इस साल बनेंगे 1800 हाई- स्पीड इंजन
2025-26 में रेलवे ने 1800 हाई स्पीड इंजन तैयार करने का लक्ष्य निर्धारित किया है। जल्द ही दक्षिण पूर्व जोन के मंडलों में भी इंजनों की कमी दूर होगी।

रेलवे नई ट्रेनों के संचालन और मालगाड़ियों की लोडिंग क्षमता बढ़ाने के उद्देश्य से इंजन निर्माण की प्रक्रिया तेज कर रहा है। 2025-26 में रेलवे ने 1800 हाई स्पीड इंजन तैयार करने का लक्ष्य निर्धारित किया है। जल्द ही दक्षिण पूर्व जोन के मंडलों में भी इंजनों की कमी दूर होगी।
2024-25 में चार अलग-अलग कंपनियों ने विभिन्न मॉडल के कुल 1681 इंजन बनाकर नया रिकॉर्ड स्थापित किया था। यह संख्या वर्ष 2026 के अंत तक और भी अधिक होने की संभावना है, क्योंकि 2023-24 में 1472 इंजन बनाए गए थे। वर्ष 2014 से 2024 तक के एक दशक में कुल 9168 इंजन बनाए जा चुके हैं। रेलवे के अनुसार, इंजन निर्माण के मामले में भारत ने अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, यूरोप और अन्य कई देशों को पीछे छोड़ दिया है।
इन इंजनों में डब्ल्यूएजी-9 एच, डब्ल्यूएजी-9 एचएच, डब्ल्यूएजी-9 ट्विन, डब्ल्यूएपी-5, डब्ल्यूएपी-12 बी, डब्ल्यूडीजी-4 और डब्ल्यूडीजी-6 जी जैसे हाई स्पीड मॉडल शामिल हैं। ये सभी इंजन चितरंजन, बनारस, पटियाला, मधेपुरा और मरहौरा स्थित रेल कारखानों में निर्मित किए गए हैं।
जानकारी के अनुसार, मालगाड़ियों से ढुलाई क्षमता बढ़ाने में इंजन की कमी सामने आ रही है। इसके समाधान के लिए रेलवे उत्पादन क्षमता में वृद्धि कर रहा है, ताकि भविष्य में 3000 मीट्रिक टन तक की ढुलाई संभव हो सके। दक्षिण पूर्व रेलवे जोन के अंतर्गत चक्रधरपुर, रांची, आद्रा और खड़गपुर मंडलों में वर्तमान में 1400 से अधिक इंजन कार्यरत हैं, जिनमें अकेले टाटानगर में 250 से अधिक इंजन यात्री और मालगाड़ियों के संचालन में उपयोग किए जा रहे हैं।
वंदे भारत ट्रेनों के लिए आधुनिक तकनीक से युक्त इंजन और अमृत भारत ट्रेनों के लिए नए इंजन के निर्माण के साथ-साथ संतरागाछी और चितरंजन सहित अन्य रेल कारखानों में पुराने इंजनों को हाई मॉडल में अपग्रेड करने का कार्य भी जारी है।