पाकिस्तान को फिर 'ग्रे लिस्ट' में डालने की तैयारी! FATF ने पहलगाम आतंकी हमले पर लताड़ा
एफएटीफ ने बयान में कहा कि पहलगाम जैसे आतंकी हमले बिना धन और नेटवर्क के संभव नहीं। यह बयान तब आया है जब भारत ने पाकिस्तान की ओर से लगातार आतंकवाद को समर्थन और धन की आपूर्ति करने के सबूत उजागर किए हैं।

पहलगाम आतंकी हमले के बाद से दुनियाभर में पाकिस्तान का आतंकी चेहरा बेनकाब हो गया है। एक बार फिर से पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट में डालने की मांग की जा रही है। इस बीच वैश्विक आतंकी फंडिंग पर निगरानी रखने वाली संस्था FATF (फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स) ने 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए भीषण आतंकी हमले की कड़ी निंदा की है। इस हमले में पाकिस्तान समर्थित आतंकियों ने 26 निर्दोष लोगों की हत्या कर दी थी। सोमवार को जारी बयान में FATF ने कहा, "ऐसे हमले बिना धन और नेटवर्क के संभव नहीं हो सकते।" एफएटीएफ का यह बयान सीधे तौर पर पाकिस्तान पर निशाना है।
FATF ने यह भी स्पष्ट किया कि अब वह सदस्य देशों द्वारा आतंकवाद के वित्तपोषण को रोकने के लिए उठाए गए ठोस और प्रभावी कदमों पर ज़्यादा ध्यान दे रहा है। यह बयान उस समय आया है जब भारत ने पाकिस्तान की ओर से लगातार आतंकवाद को समर्थन और धन की आपूर्ति करने के सबूत उजागर किए हैं।
पाक को ग्रे लिस्ट डालने की तैयारी!
सूत्रों के मुताबिक, भारत अब पाकिस्तान को फिर से FATF की 'ग्रे लिस्ट' में डालने की प्रक्रिया शुरू करने वाला है। भारत अगस्त 25 को होने वाली एशिया पैसिफिक ग्रुप की बैठक और 20 अक्टूबर को होने वाली FATF की पूर्ण बैठक से पहले पाकिस्तान के खिलाफ एक विस्तृत डोज़ियर तैयार कर रहा है।
पाकिस्तान का 'ग्रे लिस्ट' से पुराना नाता
पाकिस्तान को पहली बार 2008 में FATF की ग्रे लिस्ट में डाला गया था। 2010 में हटाया गया, लेकिन 2012 में फिर शामिल किया गया। 2015 में उसे बाहर किया, फिर 2018 में दोबारा 'ग्रे लिस्ट' में डाला गया। अक्टूबर 2022 में FATF ने बाहर किया, लेकिन सुधार जारी रखने के निर्देश दिए।
FATF के मुताबिक, दुनिया के 200 से ज्यादा देश और क्षेत्र इसके नेटवर्क से जुड़े हैं और मिलकर आतंकी फंडिंग रोकने के लिए काम कर रहे हैं। FATF ने हाल ही में यह भी बताया कि वह सोशल मीडिया, क्राउड फंडिंग और वर्चुअल एसेट्स जैसे नए खतरे को लेकर चेतावनी जारी करेगा और जल्द ही एक विस्तृत विश्लेषण प्रकाशित करेगा।
FATF प्रमुख एलिसा दे आंडा मद्राजो ने जर्मनी के म्यूनिख में हुए 'नो मनी फॉर टेरर' सम्मेलन में कहा था "आतंकियों को सिर्फ एक बार सफल होना होता है, लेकिन हमें हर बार उन्हें रोकना होता है। यह लड़ाई किसी एक देश, संस्था या कंपनी की नहीं है – यह पूरी दुनिया की साझा जिम्मेदारी है।"