नकल पर उतारू पाकिस्तान, भारत की तरह अपने सांसदों को भेजेगा विदेश
7 मई को भारत ने 9 ठिकानों पर आतंकवादियों के खिलाफ प्रिसिशन स्ट्राइक की। इसके बाद चार दिन तक दोनों देशों के बीच युद्ध जैसी स्थिति बन गई। 10 मई को दोनों देशों के बीच एक अनौपचारिक युद्धविराम की स्थिति बनी।

भारत द्वारा सीमा पार आतंकवाद के खिलाफ अपनी लड़ाई को वैश्विक मंचों पर उजागर करने के लिए सात सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल भेजने की घोषणा के कुछ घंटों बाद ही पाकिस्तान ने भी पूर्व विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो-जरदारी के नेतृत्व में एक अंतरराष्ट्रीय टीम भेजने की योजना का खुलासा किया है। इससे पहले भारत सरकार ने कहा है कि वह उत्तर अमेरिका, यूरोप और पश्चिम एशिया की प्रमुख राजधानियों में प्रतिनिधिमंडल भेजेगा, जिसमें विभिन्न दलों के सांसद, पूर्व राजनयिक और वरिष्ठ नेता शामिल होंगे। प्रतिनिधिमंडल में शशि थरूर (कांग्रेस), रविशंकर प्रसाद (भाजपा), गुलाम नबी आजाद (डीपीएपी) और असदुद्दीन ओवैसी (एआईएमआईएम) जैसे नाम शामिल हैं।
प्रतिनिधिमंडल का उद्देश्य पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद को वैश्विक स्तर पर उजागर करना है। इसके अलावा, भारत की सैन्य कार्रवाई की वैधता को स्पष्ट करना और वैश्विक समुदाय से ठोस समर्थन प्राप्त करना शामिल है।
पाकिस्तान ने की नकल
पाकिस्तान के पूर्व विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो-जरदारी ने सोशल मीडिया पर जानकारी दी कि प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने उनसे एक प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व करने का अनुरोध किया है। उन्होंने कहा, “मैंने प्रधानमंत्री का अनुरोध स्वीकार किया है और इन कठिन समय में पाकिस्तान की सेवा करने के लिए प्रतिबद्ध हूं।'' पाकिस्तानी मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, इस प्रतिनिधिमंडल में हिना रब्बानी खार (पूर्व उप विदेश मंत्री), खुर्रम दस्तगीर खान (पूर्व रक्षा मंत्री), जलील अब्बास जिलानी (पूर्व विदेश सचिव), तारीक फतेमी (संभावित रूस दौरे के लिए) जैसे नाम शामिल हैं। पाकिस्तान का प्रतिनिधिमंडल अमेरिका, ब्रिटेन, बेल्जियम, फ्रांस और रूस का दौरा करेगा।
पाकिस्तान ने हाल ही में कश्मीर, सिंधु जल संधि और आतंकवाद जैसे विषयों पर भारत से वार्ता की इच्छा जताई थी। हालांकि, भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने स्पष्ट किया है कि आतंकवाद के मुद्दे को छोड़कर किसी विषय पर बात नहीं होगी। सिंधु जल संधि पर चर्चा तब तक स्थगित रहेगी, जब तक पाकिस्तान आतंकवाद का समर्थन बंद नहीं करता है। जम्मू-कश्मीर पर चर्चा का एकमात्र मुद्दा यह है कि पाकिस्तान के कब्जे वाले क्षेत्र को भारत को सौंपना।
'ऑपरेशन सिंदूर' के बाद क्या बदला?
7 मई को भारत ने 9 ठिकानों पर आतंकवादियों के खिलाफ प्रिसिशन स्ट्राइक की। इसके बाद चार दिन तक दोनों देशों के बीच युद्ध जैसी स्थिति बन गई। 10 मई को दोनों देशों के बीच एक अनौपचारिक युद्धविराम की स्थिति बनी।