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संसद ही सुप्रीम, उससे ऊपर कोई नहीं; आलोचना के बीच फिर से खुलकर बोले उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़

  • उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने सुप्रीम कोर्ट को लेकर दिए अपने बयान की आलोचना के बीच फिर से खुलकर राय जाहिर की है। उन्होंने मंगलवार को कहा कि संसद में लोकतंत्र सुप्रीम है और उससे ऊपर कोई भी अथॉरिटी नहीं है।

Surya Prakash लाइव हिन्दुस्तान, नई दिल्लीTue, 22 April 2025 12:46 PM
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संसद ही सुप्रीम, उससे ऊपर कोई नहीं; आलोचना के बीच फिर से खुलकर बोले उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़

उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने सुप्रीम कोर्ट को लेकर दिए अपने बयान की आलोचना के बीच फिर से खुलकर राय जाहिर की है। उन्होंने मंगलवार को कहा कि संसद में लोकतंत्र सुप्रीम है और उससे ऊपर कोई भी अथॉरिटी नहीं है। उन्होंने कहा कि संविधान कैसा होगा और उसमें क्या संशोधन होने हैं, यह तय करने का पूरा अधिकार सांसदों को है। उनके ऊपर कोई भी नहीं है। उपराष्ट्रपति का यह दोटूक बयान तब आया है, जबकि उनकी सुप्रीम कोर्ट को लेकर की गई टिप्पणी की एक वर्ग में आलोचना भी हो रही है। उन्होंने तमिलनाडु विधानसभा से पारित कई विधेयकों के राज्यपाल के पास लंबित होने के मामले में सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले का जिक्र करते हुए सवाल उठाए थे।

उन्होंने कहा था कि कैसा समय देखना पड़ रहा है कि सुप्रीम कोर्ट अब राष्ट्रपति को आदेश दे रहा है। अब राष्ट्रपति को तय समयसीमा में काम करने के लिए सुप्रीम कोर्ट कह रहा है और बिलों पर फैसले की बात है। अदालत कह रही है कि यदि राष्ट्रपति ने फैसला नहीं लिया तो फिर विधेयकों को लागू माना जाएगा। ऐसी स्थिति है कि संसद को अदालत ही चलाना चाहती है। अदालत ने तमिलनाडु केस में फैसला देते हुए संविधान के आर्टिकल 142 की शक्तियों का इस्तेमाल किया था और कहा था कि इसके तहत उनके पास पावर है कि वे जनहित में कोई भी फैसला ले सकते हैं, जो पूरे देश पर लागू होता हो। इस पर भी उपराष्ट्रपति ने कहा था कि अदालत के हाथ आर्टिकल 142 के तौर पर एक परमाणु लग गया है।

उपराष्ट्रपति फिर से बोले- सुप्रीम तो संसद ही है, उससे ऊपर कोई नहीं

वहीं इस बयान को लेकर भी उपराष्ट्रपति महोदय ने टिप्पणी की। उन्होंने कहा कि मैंने जो बयान दिया था, वह देश हित में था। जगदीप धनखड़ ने कहा, ‘संवैधानिक पद पर बैठे हर व्यक्ति का बयान राष्ट्र के परम हित में होता है।’ उपराष्ट्रति ने अब फिर से कहा, 'लोकतंत्र में संसद सुप्रीम है। निर्वाचित प्रतिनिधि तय करते हैं कि संविधान कैसा होगा। उनके ऊपर कोई और अथॉरिटी नहीं हो सकती।' बता दें कि उपराष्ट्रपति के बयान की आलोचना राज्यसभा सांसद और सीनियर वकील कपिल सिब्बल ने की थी। उन्होंने कहा था कि राष्ट्रपति का बयान सुप्रीम कोर्ट नाम की संस्था को कमजोर करने वाला है।

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