भारत में होने वाली समिट की तैयारियां तेज, बैठक करने जा रहे क्वाड देशों के मंत्री; रूस का खुला विरोध
भारत इसी साल क्वाड नेताओं के शिखर सम्मेलन की मेजबानी करेगा, जिसमें अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप, जापानी प्रधानमंत्री शिगेरु इशिबा, और ऑस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री एंथनी अल्बनीज हिस्सा लेंगे।

क्वाड (क्वाड्रिलेटरल सिक्योरिटी डायलॉग) के विदेश मंत्रियों की बैठक जल्द ही वाशिंगटन में होने वाली है। यह बैठक भारत में इस साल के अंत में आयोजित होने वाले क्वाड शिखर सम्मेलन की रूपरेखा तैयार करेगी। क्वाड में भारत, अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया शामिल हैं। यह हिंद-प्रशांत क्षेत्र में स्थिरता, सुरक्षा और समृद्धि को बढ़ावा देने के लिए एक महत्वपूर्ण मंच है।
वाशिंगटन में होगी मंत्रियों की बैठक
टाइम्स ऑफ इंडिया ने सूत्रों के हवाले से लिखा है कि क्वाड देशों के विदेश मंत्रियों की बैठक जून के अंत या जुलाई की शुरुआत में वाशिंगटन में आयोजित होने की संभावना है। यह बैठक भारत में होने वाले क्वाड शिखर सम्मेलन के लिए एजेंडा तय करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। बैठक में समुद्री सुरक्षा, आपदा प्रबंधन, और हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन के बढ़ते प्रभाव जैसे मुद्दों पर चर्चा होने की उम्मीद है।
भारत में शिखर सम्मेलन की मेजबानी
भारत 2025 में क्वाड नेताओं के शिखर सम्मेलन की मेजबानी करेगा, जिसमें अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप, जापानी प्रधानमंत्री शिगेरु इशिबा, और ऑस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री एंथनी अल्बनीज हिस्सा लेंगे। यह शिखर सम्मेलन मूल रूप से 2024 में नई दिल्ली में आयोजित होने वाला था, लेकिन नेताओं के कार्यक्रम में टकराव के कारण इसे न्यूयॉर्क में शिफ्ट कर दिया गया था। भारत ने इस अनुरोध को स्वीकार करते हुए 2025 में मेजबानी की जिम्मेदारी ली।
क्वाड का महत्व और एजेंडा
क्वाड का गठन 2004 के हिंद महासागर में आए सुनामी के बाद आपदा राहत के लिए हुआ था, जिसे बाद में 2007 में तत्कालीन जापानी प्रधानमंत्री शिंजो आबे ने औपचारिक रूप दिया। यह समूह हिंद-प्रशांत क्षेत्र में एक स्वतंत्र, खुला और समावेशी माहौल सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है। विदेश मंत्रियों की बैठक में समुद्री सुरक्षा, आपदा प्रबंधन, स्वास्थ्य सुरक्षा, जलवायु परिवर्तन, आतंकवाद विरोधी उपाय, और बुनियादी ढांचे के विकास जैसे मुद्दों पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा।
चीन के साथ तनाव और क्वाड की रणनीति
हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन की बढ़ती सैन्य सक्रियता के बीच क्वाड देशों ने क्षेत्रीय स्थिरता को बनाए रखने के लिए अपने प्रयासों को तेज करने का संकल्प लिया है। हाल ही में अमेरिकी रक्षा सचिव पीट हेगसेथ की चीन के खिलाफ टिप्पणियों ने बीजिंग की ओर से तीखी प्रतिक्रिया को जन्म दिया, जिसके बाद यह बैठक और भी महत्वपूर्ण हो गई है। क्वाड का कहना है कि उसका एजेंडा रचनात्मक है और यह बुनियादी ढांचे, स्वास्थ्य, और प्रौद्योगिकी जैसे क्षेत्रों में सहयोग पर केंद्रित है, न कि किसी देश को रोकने पर।
भारत की भूमिका और नेतृत्व
भारत क्वाड में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है और इसकी रणनीति 'सागर' (सिक्योरिटी एंड ग्रोथ फॉर ऑल इन द रीजन) दृष्टिकोण के अनुरूप है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने क्वाड को एक मानव-केंद्रित मंच के रूप में बताया है, जो क्षेत्र के लोगों के कल्याण के लिए काम करता है। भारत ने कोविड-19 महामारी के दौरान वैक्सीन उत्पादन और वितरण में महत्वपूर्ण योगदान दिया और अब क्वाड कैंसर मूनशॉट पहल के तहत कैंसर स्क्रीनिंग और डायग्नोस्टिक्स के लिए 7.5 मिलियन अमेरिकी डॉलर का अनुदान देने की घोषणा की है।
आगामी योजनाएं और सहयोग
2025 में भारत मुंबई में पहला क्षेत्रीय बंदरगाह और परिवहन सम्मेलन आयोजित करेगा, जिसका उद्देश्य हिंद-प्रशांत क्षेत्र में टिकाऊ और लचीले बंदरगाह बुनियादी ढांचे का विकास करना है। इसके अलावा, क्वाड देश 2025 में पहला 'क्वाड-एट-सी शिप ऑब्जर्वर मिशन' शुरू करेंगे, जिसमें चारों देशों के तटरक्षक बल एक अमेरिकी तटरक्षक पोत पर एक साथ काम करेंगे ताकि समुद्री सुरक्षा और अंतरसंचालनीयता को बढ़ाया जा सके।
भारत-अमेरिका संबंधों पर भी चर्चा
बैठक के दौरान भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर अपने अमेरिकी समकक्ष मार्को रुबियो के साथ द्विपक्षीय बैठक करेंगे, जिसमें भारत-अमेरिका सहयोग और द्विपक्षीय व्यापार समझौते पर चर्चा होगी। यह बैठक क्वाड के व्यापक एजेंडे को और मजबूत करने में मदद करेगी।
क्वाड और रूस का विरोध
अमेरिका के नेतृत्व में एक सैन्य गठबंधन के रूप में देखते हुए, रूस ने हाल के दिनों में क्वाड के प्रति अपनी चिंताओं को स्पष्ट रूप से व्यक्त किया है। रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने हाल ही में क्वाड पर निशाना साधते हुए दावा किया है कि यह समूह हिंद-प्रशांत क्षेत्र में सैन्यीकरण को बढ़ावा दे रहा है और भारत को इसमें शामिल होने के लिए दबाव डाला जा रहा है।
रूस की चिंताएं और क्वाड पर आरोप
लावरोव ने मई में कहा कि भारत ने क्वाड में मुख्य रूप से व्यापार और शांतिपूर्ण आर्थिक सहयोग के उद्देश्य से भाग लिया था, लेकिन अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया इसे एक सैन्य गठबंधन में बदलने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने क्वाड के तहत होने वाले नौसैनिक और सैन्य अभ्यासों को उकसावे वाला करार दिया और भारत से इस "सैन्यीकरण की साजिश" को पहचानने की अपील की। रूस का मानना है कि क्वाड का असल मकसद चीन के प्रभाव को रोकना और क्षेत्र में अमेरिकी वर्चस्व को मजबूत करना है, जो रूस के हितों के लिए भी चुनौतीपूर्ण हो सकता है।
रूस ने यह भी सुझाव दिया है कि भारत, रूस और चीन के बीच त्रिपक्षीय मंच (RIC) को दोबारा खड़ा करने का समय आ गया है, ताकि एशिया में एक संतुलित और स्वतंत्र नीति को बढ़ावा दिया जा सके। लावरोव ने कहा कि भारत और चीन के बीच हाल के सीमा समझौतों ने इस मंच को पुनर्जनन के लिए अनुकूल माहौल बनाया है। यह मंच अमेरिका के प्रभाव को संतुलित करने और क्षेत्रीय हितों को प्राथमिकता देने का एक माध्यम हो सकता है।
क्वाड का रुख और भारत की स्थिति
क्वाड देशों ने बार-बार स्पष्ट किया है कि यह समूह किसी सैन्य गठबंधन का हिस्सा नहीं है, बल्कि यह हिंद-प्रशांत क्षेत्र में समुद्री सुरक्षा, जलवायु परिवर्तन, स्वास्थ्य, और बुनियादी ढांचे जैसे क्षेत्रों में सहयोग पर केंद्रित है। भारत ने भी इस बात पर जोर दिया है कि उसका क्वाड में शामिल होना क्षेत्रीय स्थिरता और समावेशी विकास के लिए है, न कि किसी देश के खिलाफ। विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा है कि क्वाड का एजेंडा रचनात्मक है और यह क्षेत्र के देशों के लिए एक मानव-केंद्रित दृष्टिकोण को बढ़ावा देता है।