मां का अंतिम संस्कार कर दिल्ली लौटे, 11 मामलों में आज सुनाएंगे फैसला; कौन हैं जस्टिस ओका
शुक्रवार को जस्टिस ओका ने जिन 11 मामलों पर निर्णय सुनाएंगे, उनमें एक स्वतः संज्ञान ली गई याचिका भी शामिल है। किशोरों की गोपनीयता के अधिकार पर फैसला सुनाया जाएगा।

Supreme Court News: सुप्रीम कोर्ट के तीसरे सबसे वरिष्ठ जज न्यायमूर्ति अभय श्रीनिवास ओका ने अपनी कर्तव्यपरायणता और न्यायिक प्रतिबद्धता की मिसाल पेश करने जा रहे हैं। अपनी मां के अंतिम संस्कार में भाग लेने के कुछ ही घंटे बाद वह दिल्ली लौटे और शुक्रवार को 11 महत्वपूर्ण फैसले सुनाएंगे। आपको बता दें कि वह 25 मई को रिटायर होने जा रहे हैं।
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट एडवोकेट्स ऑन रिकॉर्ड एसोसिएशन (SCOARA) द्वारा आयोजित एक सम्मान समारोह में अपने अंतिम कार्य दिवस से पहले बोलते हुए जस्टिस ओका ने कहा था, "मुझे रिटायर शब्द से नफरत है। सुप्रीम कोर्ट में एक परंपरा है कि रिटायर होने वाला न्यायाधीश अपने अंतिम दिन कोई काम न करे। मैं इस परंपरा से सहमत नहीं हूं। कम से कम मुझे संतोष है कि मैं अंतिम दिन एक नियमित पीठ में बैठकर निर्णय सुनाऊंगा।"
21 मई को SCOARA के कार्यक्रम के बाद उन्हें अपनी मां वसंती ओका के निधन की सूचना मिली। उनके अंतिम संस्कार का आयोजन गुरुवार सुबह ठाणे स्थित उनके पुश्तैनी घर पर हुआ, जिसमें जस्टिस ओका भी उपस्थित थे। अपनी मां को अंतिम विदाई देने के कुछ ही घंटे बाद वे दिल्ली लौट आए ताकि देश की न्याय प्रणाली के प्रति अपना अंतिम योगदान दे सकें। आपको बता दें कि न्यायमूर्ति अभय ओका दो भाई हैं। उनके भाई का नाम डॉ. अजीत ओका है।
शुक्रवार को जस्टिस ओका ने जिन 11 मामलों पर निर्णय सुनाएंगे, उनमें एक स्वतः संज्ञान ली गई याचिका भी शामिल है। किशोरों की गोपनीयता के अधिकार पर फैसला सुनाया गया। यह मामला कोलकाता हाईकोर्ट की पिछली विवादास्पद टिप्पणी के संदर्भ में सर्वोच्च न्यायालय द्वारा स्वतः उठाया गया था।
जस्टिस ओका की गिनती उन न्यायाधीशों में होती है जो व्यक्तिगत स्वतंत्रता, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और संवैधानिक मूल्यों के प्रबल रक्षक रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट में रहते हुए उन्होंने उस एफआईआर को रद्द किया था, जिसमें एक महाराष्ट्र के प्रोफेसर को केवल व्हाट्सएप स्टेटस में अनुच्छेद 370 के हटाए जाने की आलोचना करने और पाकिस्तान को स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनाएं देने पर आरोपी बनाया गया था। उन्होंने अपने निर्णय में स्पष्ट कहा, "भारत के हर नागरिक को सरकार के फैसलों की आलोचना करने का अधिकार है।"
शुक्रवार को कोर्ट नंबर 3 में फैसलों की घोषणा के बाद जस्टिस ओका ने भारत के चीफ जस्टिस और न्यायमूर्ति ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह के साथ एक पीठ में अंतिम बार शिरकत करेंगे। यह पल न केवल उनके लिए भावुक होगा, बल्कि न्यायपालिका और अधिवक्ता समुदाय के लिए भी एक प्रेरणास्पद क्षण बनेगा।
आपको बता दें कि वह बॉम्बे हाईकोर्ट में 2003 में न्यायाधीश नियुक्त हुए। कर्नाटक हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के रूप में मई 2019 से अगस्त 2021 तक कार्य किया। अगस्त 2021 में सर्वोच्च न्यायालय में प्रमोट हुए। कर्नाटक हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रहते हुए उन्होंने नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) के खिलाफ प्रदर्शन रोकने के लिए बेंगलुरु पुलिस द्वारा लगाए गए निषेधाज्ञा आदेश को अवैध घोषित किया था।