SC ने गोधरा ट्रेन अग्निकांड के दोषियों की याचिका खारिज की, दो जजों की बेंच से जुड़ा है मामला
सुप्रीम कोर्ट ने कुछ दोषियों की इस दलील को खारिज कर दिया कि दो जजों की बेंच उनकी दोषसिद्धि के खिलाफ अपील पर सुनवाई नहीं कर सकती, क्योंकि यह मामला 2002 के गोधरा ट्रेन अग्निकांड में 11 आरोपियों को मौत की सजा सुनाए जाने से जुड़ा है।

सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को गोधरा ट्रेन अग्निकांड मामले में मौत की सजा पाए दो दोषियों की ओर से दायर याचिका खारिज कर एक और झटका दिया है। दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने दो दोषियों की इस दलील को खारिज कर दिया कि दो जजों की बेंच उनकी दोषसिद्धि के खिलाफ अपील पर सुनवाई नहीं कर सकती, क्योंकि यह मामला 2002 के गोधरा ट्रेन अग्निकांड में 11 आरोपियों को मौत की सजा सुनाए जाने से जुड़ा है।
जस्टिस जे.के. माहेश्वरी और जस्टिस अरविंद कुमार की बेंच इस याचिका पर सुनवाई कर रही थी। दोनों दोषियों की ओर से वरिष्ठ वकील संजय हेगड़े सुप्रीम कोर्ट में पेश हुए। वकील ने बेंच से कहा कि लाल किला आतंकी हमला मामले में, जिसमें मोहम्मद आरिफ उर्फ अशफाक को मौत की सजा सुनाई गई थी। यह माना गया है कि तीन जजों की बेंच को मृत्युदंड से संबंधित मामलों की सुनवाई करनी होगी।
वरिष्ठ वकील ने कहा, "मान लीजिए कि दो जजों की यह बेंच कुछ आरोपियों को मौत की सजा सुनाने का फैसला करती है, तो इस पर तीन जजों की दूसरी बेंच के समक्ष फिर से बहस करनी होगी।"
सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने सितंबर 2014 में अपने फैसले में निष्कर्ष निकाला था कि जिन मामलों में हाईकोर्ट द्वारा मृत्युदंड दिया गया है, ऐसे मामलों को तीन जजों की बेंच के समक्ष सूचीबद्ध किया जाना चाहिए।
बेंच ने इन दलीलों को खारिज करते हुए सुप्रीम कोर्ट के प्रासंगिक नियमों और फैसले का हवाला दिया। बेंच ने कहा कि तीन जजों की बेंच को उन मामलों में अपीलों पर सुनवाई करनी होगी, जिनमें हाईकोर्टों ने या तो मृत्युदंड की पुष्टि कर दी है या पक्षों की अपील सुनने के बाद इसे दिया है।
जस्टिस माहेश्वरी ने कहा, "गुजरात हाईकोर्ट ने वर्तमान मामले में 11 दोषियों के मृत्युदंड को उम्रकैद में बदल दिया और मृत्युदंड नहीं दिया था। इस मामले में निचली अदालत ने मृत्युदंड दिया था।" उन्होंने कहा कि नियम और सुप्रीम कोर्ट का फैसला वर्तमान मामले में दो जजोंं की बेंच द्वारा अपील की सुनवाई पर रोक नहीं लगाता है। बेंच ने कहा, “आपत्ति खारिज की जाती है।”
इसके बाद सुप्रीम कोर्ट मामले में अंतिम सुनवाई शुरू कर दी। बता दें कि, इससे पहले 24 अप्रैल को शीर्ष अदालत ने कहा था कि वह 2002 के गोधरा ट्रेन अग्निकांड मामले में गुजरात सरकार और कई अन्य दोषियों द्वारा दायर अपीलों पर 6 और 7 मई को अंतिम सुनवाई शुरू करेगी।
गौरतलब है कि, 27 फरवरी, 2002 को गुजरात के गोधरा में साबरमती एक्सप्रेस के एस-6 कोच में आग लगने से 59 लोग मारे गए थे, जिसके बाद राज्य में दंगे भड़क गए थे।
गुजरात हाईकोर्ट के अक्टूबर 2017 के फैसले को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में कई याचिकाएं दायर की गई हैं, जिसमें कई दोषियों की सजा को बरकरार रखा गया था और 11 लोगों की मौत की सजा को आजीवन कारावास में बदल दिया गया था।
वकील ने कहा था कि हाईकोर्ट ने इस मामले में 31 दोषियों को दोषी ठहराया था और 11 दोषियों की मौत की सजा को आजीवन कारावास में बदल दिया था।
जहां राज्य सरकार ने 11 दोषियों की मृत्युदंड की सजा को आजीवन कारावास में बदलने के खिलाफ अपील की है, वहीं कई दोषियों ने मामले में उनकी दोषसिद्धि को बरकरार रखने के हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती दी है।