मुझे मंत्री बनने का अधिकार है, अदालत दंडित नहीं कर सकती; स्टालिन के मिनिस्टर का SC को जवाब
- एक हलफनामे के जरिए बालाजी ने कहा कि वह अदालत द्वारा निर्धारित सभी जमानती शर्तों का पूरी तरह से पालन कर रहे हैं और जमानत रद्द करने का कोई औचित्य नहीं है।

तमिलनाडु सरकार में मंत्री पद पर पुनः नियुक्त किए गए वि. सेंथिल बालाजी ने सुप्रीम कोर्ट में कहा है कि उन्हें जनता का जनादेश प्राप्त है, इसलिए उन्हें राजनीतिक पद ग्रहण करने से रोका नहीं जा सकता। भ्रष्टाचार के गंभीर आरोपों का सामना कर रहे बालाजी ने अपनी जमानत के तुरंत बाद दोबारा मंत्री पद संभालने को लेकर कोर्ट की आपत्ति पर ये जवाब दिया। उन्होंने कहा कि संविधान में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है जो उन्हें मंत्री बनने से अयोग्य ठहराता हो।
अगर किसी मंत्री का प्रभाव इतना अधिक होता, तो...
एक हलफनामे के जरिए बालाजी ने कहा कि वह अदालत द्वारा निर्धारित सभी जमानती शर्तों का पूरी तरह से पालन कर रहे हैं और जमानत रद्द करने का कोई औचित्य नहीं है। उन्होंने गवाहों को प्रभावित करने की आशंका को खारिज करते हुए कहा, “अगर किसी मंत्री का प्रभाव इतना अधिक होता, तो उनके खिलाफ ईडी और राज्य द्वारा आपराधिक कार्यवाही की शुरुआत ही नहीं होती और न ही वो जारी रहती।” इस मामले की गंभीरता इसलिए भी बढ़ जाती है क्योंकि हाल ही में कई अन्य नेताओं- जैसे दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल - ने जेल में रहते हुए भी अपने पदों को नहीं छोड़ा।
बालाजी ने अपने हलफनामे में कहा, “सुप्रीम कोर्ट स्वयं यह जानता है कि इस मामले में सुनवाई में वर्षों लग सकते हैं — कम से कम तीन से चार साल या उससे अधिक। ऐसे में अगर मेरी जमानत की शर्तों में कोई बदलाव किया जाता है, तो यह न केवल जनादेश का अपमान होगा बल्कि मेरे संविधान प्रदत्त अनुच्छेद 21 के तहत सार्वजनिक जीवन में भागीदारी के अधिकार का उल्लंघन भी होगा।” उन्होंने यह भी कहा कि जमानत मिलने के बाद से उन्होंने कभी भी ट्रायल कोर्ट की कोई पेशी नहीं छोड़ी है, न ही प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की जांच में कोई बाधा डाली है और न ही किसी गवाह को प्रभावित करने की कोशिश की है।
विस्तार से सुनवाई, फिर दी जमानत
बालाजी ने सुप्रीम कोर्ट को याद दिलाया कि जमानत देते समय अदालत ने गवाहों को प्रभावित करने के मुद्दे पर विस्तार से सुनवाई की थी और उसके बाद ही उन्हें नियमित जमानत दी गई थी। उन्होंने कहा कि अब ऐसी कोई नई परिस्थिति नहीं बनी है जिससे जमानत को रद्द करने या शर्तों को बदलने की जरूरत पड़े।
जमानत के बाद फिर बने थे मंत्री
तमिलनाडु के ऊर्जा मंत्री रहे वि. सेंथिल बालाजी को ईडी ने मनी लॉन्ड्रिंग के एक पुराने मामले में गिरफ्तार किया था। जेल में कुछ समय बिताने के बाद सेंथिल बालाजी को पिछले साल 26 सितंबर 2024 को सुप्रीम कोर्ट ने मनी लॉन्ड्रिंग मामले में जमानत दी थी। जमानत मिलने के तुरंत बाद, तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम. के. स्टालिन ने उन्हें फिर से मंत्री पद पर नियुक्त कर दिया, जिसके बाद इस कदम पर सवाल उठे। अब यह मामला सुप्रीम कोर्ट के सामने है, जहां यह तय किया जाना है कि क्या गंभीर आपराधिक मामलों का सामना कर रहे किसी नेता को मंत्री बने रहने की अनुमति दी जा सकती है, या जनहित और निष्पक्ष न्याय के लिए ऐसी नियुक्तियों को सीमित किया जाना चाहिए।
बता दें कि यह मामला 2014 का है, जब सेंथिल बालाजी तत्कालीन अन्नाद्रमुक सरकार में परिवहन मंत्री थे। उन पर आरोप है कि उन्होंने नौकरी देने के बदले कैश लिया था, जिसके बाद प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने जून 2023 में उन्हें गिरफ्तार किया था। लंबी कानूनी लड़ाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें जमानत दी, लेकिन उनकी मंत्री के रूप में वापसी ने विवाद को जन्म दिया।