तमिलनाडु में राज्यपाल पर गरमाई सियासत; आर एन रवि को हटाने की मांग, क्या है कारण
- द्रमुक कार्यकर्ताओं ने पटाखे फोड़कर और मिठाइयां बांटकर फैसले का जश्न मनाया। सरकारी सूत्रों ने संकेत दिए कि एससी से स्वीकृत माने गए विधेयकों को राजपत्र में अधिसूचित करने की प्रक्रिया जल्द ही शुरू की जाएगी।

सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु के राज्यपाल आरएन रवि को राज्य विधानसभा में पारित 10 विधेयकों पर अपनी सहमति नहीं देने के लिए कड़ी फटकार लगाई है। अब राज्य में उन्हें हटाने और इस्तीफे की मांग तेज हो गई है। विभिन्न राजनीतिक दलों ने न्यायालय के फैसले को ऐतिहासिक बताया है। कांग्रेस, वीसीके, मरुमलार्ची द्रविड़ मुनेत्र कड़गम, वामपंथी दलों और अन्य सहयोगियों सहित सत्तारूढ़ द्रमुक के नेताओं ने राज्यपाल की कार्रवाई को माफ करने के एससी के फैसले की सराहना की। साथ ही, इस संबंध में तमिलनाडु के मुख्यमंत्री और द्रमुक अध्यक्ष एमके स्टालिन की ओर से उठाए गए कदमों की सराहना की।
राजनीतिक पार्टियों ने कहा कि राज्यपाल को अब पद पर बने नहीं रहना चाहिए, क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने फैसला दिया कि उनके समक्ष लंबित सभी विधेयकों को उनकी सहमति प्राप्त हो गई है। उन्होंने मांग की कि राज्यपाल को या तो वापस बुलाया जाए, पद से हटाया जाए या फिर उन्हें पद से इस्तीफा दे देना चाहिए। पीएमके और अभिनेता विजय की टीवीके के नेताओं ने भी उच्चतम न्यायालय के आदेश की सराहना की। साथ ही, इसे राज्य की स्वायत्तता और संघवाद के लिए ऐतिहासिक जीत बताया है।
मिठाइयां बांटकर फैसले का मनाया जश्न
द्रमुक कार्यकर्ताओं ने पटाखे फोड़कर और मिठाइयां बांटकर फैसले का जश्न मनाया। सरकारी सूत्रों ने संकेत दिए कि एससी से स्वीकृत माने गए विधेयकों को राजपत्र में अधिसूचित करने की प्रक्रिया जल्द ही शुरू की जाएगी। DMK नेता आरएस भारती ने कहा कि शीर्ष अदालत के फैसले के अनुसार राज्यपाल रवि अब सरकारी विश्वविद्यालयों के कुलाधिपति नहीं रह गए हैं। भारती ने राज्यपाल पर निशाना साधते हुए कहा कि अगर वह आज रात राज भवन से चले जाते हैं तो यह माना जा सकता है कि वह एक स्वाभिमानी व्यक्ति हैं, क्योंकि आजादी के बाद पिछले 7 दशक में अदालत ने किसी भी राज्यपाल के खिलाफ ऐसा फैसला नहीं सुनाया है। द्रमुक नेता ने आरोप लगाया कि रवि ने विधेयकों को मंजूरी न देकर विपक्षी दल से भी ज्यादा विरोधी भूमिका निभाई और दुश्मन की तरह व्यवहार किया।