ऑपरेशन सिंदूर में आपका साथ दिया, अब संसद में बहस हो; विपक्ष का PM मोदी को पत्र
इंडिया ब्लॉक ने पीएम मोदी को पत्र लिखकर कहा है कि हमने ऑपरेशन सिंदूर में आपका साथ दिया, अब आपको विशेष सत्र बुलाना चाहिए। विपक्ष सीजफायर पर ट्रंप के दावों और सीडीएस अनिल रावत के बयान को लेकर हमलावर है।

विपक्षी INDIA गठबंधन में शामिल 16 पार्टियों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक संयुक्त पत्र भेजकर संसद का विशेष सत्र बुलाने की मांग की है। यह मांग ‘ऑपरेशन सिंदूर’, पहलगाम आतंकी हमले, सीमा पर नागरिकों की मौत, अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के ‘सीजफायर’ दावे और विदेश नीति से जुड़े कई गंभीर मुद्दों को लेकर की गई है।
पत्र में क्या कहा गया?
विपक्षी नेताओं ने पत्र में लिखा, “हमने पहलगाम हमले के बाद और ऑपरेशन सिंदूर के दौरान सरकार का साथ दिया। अब सरकार को चाहिए कि वह संसद का विशेष सत्र बुलाकर इन गंभीर मुद्दों पर चर्चा कराए। पूरी दुनिया को ब्रीफ किया गया, लेकिन देश की संसद को अंधेरे में रखा गया।”
इस पत्र पर राहुल गांधी, मल्लिकार्जुन खड़गे, अखिलेश यादव, अभिषेक बनर्जी, टी.आर. बालू (डीएमके), संजय राउत , मनोज झा (आरजेडी), डी. हुड्डा (कांग्रेस), डेरेक ओ’ब्रायन (टीएमसी), रामगोपाल यादव (सपा) और अरविंद सावंत (शिवसेना) समेत कई दलों के नेताओं ने हस्ताक्षर किए हैं।
किन मुद्दों पर चर्चा की मांग?
विपक्षी गठबंधन ने सरकार ने कई मुद्दों पर चर्चा की मांग की है। इसमें पहलगाम आतंकी हमला और ऑपरेशन सिंदूर, पूंछ, उरी और राजौरी में नागरिकों की मौत, अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप द्वारा किए गए ‘सीजफायर’ और व्यापार दबाव के दावे, चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान के सिंगापुर में दिए गए बयान और चीन-पाकिस्तान के बढ़ते गठजोड़ के बीच भारत की विदेश नीति की स्थिति जैसे मुद्दे शामिल हैं।
कांग्रेस का हमला और टीएमसी की क्या राय
सरकार पर कांग्रेस और टीएमसी ने हमला भी बोला है। कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा, “CDS ने सिंगापुर में जो बताया, वह संसद या ऑल पार्टी मीटिंग में बताया जाना चाहिए था। वहीं ट्रंप लगातार दावा कर रहे हैं कि उन्होंने भारत को ऑपरेशन सिंदूर रोकने पर मजबूर किया। प्रधानमंत्री चुप्पी साधे हुए हैं।” टीएमसी ने सुझाव दिया कि विशेष सत्र जून में बुलाया जाए, जब तक सभी बहुपक्षीय प्रतिनिधिमंडल विदेश से लौट आएं।
गौरतलब है कि ट्रंप ने दावा किया था कि उन्होंने भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध को रोकने के लिए व्यापार को हथियार बनाया। विपक्ष ने कहा कि इस पर संसद में खुली बहस होनी चाहिए ताकि यह स्पष्ट हो सके कि भारत ने विदेशी दबाव में कोई सैन्य फैसला नहीं लिया।