क्या है ‘एक राज्य, एक RRB’ योजना? एक मई से बनने जा रही हकीकत; बैंकों पर क्या होगा असर
इससे पहले के तीन चरणों के जरिए वर्ष 2020-21 तक क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों की संख्या 196 से घटाकर 43 की जा चुकी है, जिसे अब चौथे चरण में घटाकर 28 किया जा रहा है।

एक राज्य-एक क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक (RRB) योजना 1 मई से लागू होने जा रही है। केंद्रीय वित्त मंत्रालय ने पिछले दिनों 15 क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों के एकीकरण को मंजूरी दे दी है। इसके तहत 11 राज्यों में 15 क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों के एकीकरण के लिए अधिसूचना जारी की जा चुकी है। इस तरह क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों के एकीकरण के इस चौथे दौर के साथ अब मौजूदा 43 RRB की संख्या घटकर 28 हो जाएगी। वर्तमान में 26 राज्यों और 2 केंद्र शासित प्रदेशों में 43 RRB कार्यरत हैं।
क्या है एक राज्य, एक RRB योजना?
दरअसल, यह केंद्रीय वित्त मंत्रालय के वित्तीय सेवा विभाग की एक सुधार योजना है, जिसका उद्देश्य राज्यों के भीतर क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों को एक इकाई के रूप में स्थापित और समेकित करना है। यह प्रक्रिया वर्ष 2005 में डॉ. व्यास समिति की सिफारिशों के आधार पर शुरू की गई थी। इसका उद्देश्य RRBs की परिचालन क्षमता और बैंकिंग शासन को दुरुस्त करना और बैंकिंग संचालन लागतों को तर्कसंगत बनाना है। साथ ही बैंकों में मानव और तकनीकी संसाधनों का समुचित इस्तेमाल करना है। व्यास समिति का मानना था कि ऐसा करने से एक राज्य के अंदर अवस्थित RRBs के बीच प्रतिस्पर्धा खत्म होगी और वे सभी एक इकाई के रूप में काम कर पाएंगे। क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक अधिनियम, 1976 की धारा 23ए(1) के तहत प्रदत्त शक्तियों के अनुरूप, इन RRBs का सार्वजनिक हित में विलय किया जा रहा है।
6 मई को एकीकरण प्रगति की समीक्षा
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 6 मई को ‘एक राज्य-एक आरआरबी’ के कार्यान्वयन और प्रगति की समीक्षा करेंगी। सूत्रों के अनुसार, इस दौरान वित्त मंत्री क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों के साथ बैठक करेंगी और एकीकरण सहित विभिन्न मुद्दों की समीक्षा करेंगी। ‘एक राज्य-एक आरआरबी’ के लक्ष्य को पूरा करने के लिए 11 राज्यों - आंध्र प्रदेश, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, बिहार, गुजरात, जम्मू और कश्मीर, कर्नाटक, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, ओडिशा और राजस्थान के क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों का विलय करके हरेक के लिए एक RRB इकाई बनाई जाएगी।
कहां-कहां, किन-किन बैंकों का एकीकरण
आंध्र प्रदेश में चैतन्य गोदावरी ग्रामीण बैंक, आंध्र प्रगति ग्रामीण बैंक, सप्तगिरि ग्रामीण बैंक और यूनियन बैंक ऑफ इंडिया, केनरा बैंक, इंडियन बैंक और भारतीय स्टेट बैंक द्वारा प्रायोजित आंध्र प्रदेश ग्रामीण विकास बैंक को ‘आंध्र प्रदेश ग्रामीण बैंक’ नामक एकल क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक में समाहित किया जाना है। इसी तरह उत्तर प्रदेश में बैंक ऑफ बड़ौदा, बैंक ऑफ इंडिया और पंजाब नेशनल बैंक द्वारा प्रायोजित बड़ौदा यूपी बैंक, आर्यावर्त बैंक और प्रथमा यूपी ग्रामीण बैंक को बैंक ऑफ बड़ौदा के प्रायोजन के अंतर्गत लखनऊ में प्रधान कार्यालय वाले ‘उत्तर प्रदेश ग्रामीण बैंक’ में समाहित किया जाएगा।
पश्चिम बंगाल के मामले में, पंजाब नेशनल बैंक द्वारा प्रायोजित बंगीय ग्रामीण विकास, पश्चिम बंग ग्रामीण बैंक और उत्तर बंग क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक, यूको बैंक और सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया को पंजाब नेशनल बैंक के प्रायोजन के अंतर्गत कोलकाता में प्रधान कार्यालय वाले ‘पश्चिम बंगाल ग्रामीण बैंक’ में समाहित किया जाएगा। बिहार, गुजरात, जम्मू-कश्मीर, कर्नाटक, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, ओडिशा और राजस्थान में दो-दो आरआरबी को एक में विलय कर दिया जाएगा।
बिहार-गुजरात में किन बैंकों का एकीकरण
बिहार में दो RRBs दक्षिण बिहार ग्रामीण बैंक और उत्तर बिहार ग्रामीण बैंक को पंजाब नेशनल बैंक के प्रायोजन के तहत पटना में प्रधान कार्यालय के साथ बिहार ग्रामीण बैंक नामक इकाई में विलय कर दिया जाएगा। इसी तरह, गुजरात में, बड़ौदा गुजरात ग्रामीण बैंक और सौराष्ट्र ग्रामीण बैंक को एक क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक में समाहित कर दिया गया है, जिसे गुजरात ग्रामीण बैंक कहा जाएगा और इसका मुख्यालय बैंक ऑफ बड़ौदा के अधीन वडोदरा में होगा।
केंद्र शासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर के लिए, जम्मू और कश्मीर बैंक और भारतीय स्टेट बैंक द्वारा प्रायोजित जेएंडके ग्रामीण बैंक और एलाक्वाई देहाती बैंक को जम्मू और कश्मीर ग्रामीण बैंक नामक एक एकल आरआरबी में विलय कर दिया जाएगा, जिसका मुख्यालय जम्मू में जेएंडके बैंक के प्रायोजन के तहत होगा। इसी महीने जारी अधिसूचना में कहा गया है कि सभी संस्थाओं के पास 2,000 करोड़ रुपये की अधिकृत पूंजी होगी। (भाषा इनपुट्स के साथ)