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बिहार चुनाव का गेम पलट सकते हैं 2 करोड़ प्रवासी, अमित शाह का क्या है मास्टरप्लान

  • पूरे देश में बिहार के करीब 2 करोड़ लोग रोजगार के लिए बसे हुए हैं। इनमें से 1.3 करोड़ लोग ऐसे हैं, जिनका वोट बिहार में हैं। अब भी वे मतदाता हैं और कई बार वोट करने ही नहीं जाते। भाजपा की कोशिश है कि इन लोगों को मतदान के लिए प्रेरित किया जाए। इससे नतीजों पर असर दिख सकता है।

Surya Prakash लाइव हिन्दुस्तान, नई दिल्लीThu, 20 March 2025 10:21 AM
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बिहार चुनाव का गेम पलट सकते हैं 2 करोड़ प्रवासी, अमित शाह का क्या है मास्टरप्लान

बिहार विधानसभा चुनाव में करीब 6 महीने का ही वक्त बचा है। पीएम नरेंद्र मोदी खुद बिहार के कई दौरे कर चुके हैं और राज्य की यूनिट भी सक्रिय है। लेकिन भाजपा इस चुनाव में कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती। इसलिए ऐसे 2 करोड़ प्रवासी बिहारियों पर भी भाजपा की नजर है, जो दिल्ली, गुजरात, महाराष्ट्र, यूपी जैसे राज्यों में बसे हुए हैं। पार्टी को लगता है कि इन लोगों को यदि लुभा लिया गया तो नतीजा पलट जा सकता है। 2020 के विधानसभा चुनाव में एनडीए और महागठबंधन के बीच करीबी मुकाबला ही था। अब 5 साल की ऐंटी-इनकम्बैंसी और जुड़ गई है। ऐसे में यदि टाइट फाइट के आसार बने तो भाजपा इन प्रवासी बिहारियों की मदद से बढ़त लेना चाहती है।

एक अनुमान के मुताबिक पूरे देश में बिहार के करीब 2 करोड़ लोग रोजगार के लिए बसे हुए हैं। इनमें से 1.3 करोड़ लोग ऐसे हैं, जिनका वोट बिहार में हैं। अब भी वे मतदाता हैं और कई बार वोट करने ही नहीं जाते। भाजपा की कोशिश है कि इन लोगों को मतदान के लिए प्रेरित किया जाए। आमतौर पर राज्य से बाहर बसे बिहार के लोगों को भाजपा अपना समर्थक मानती है। ऐसे में उसे लगता है कि उनके विचार का कुछ असर राज्य में भी हो सकता है। उनके माध्यम से परिजनों को लुभाया जाए तो फर्क पड़ सकता है। इसके अलावा यदि ये लोग खुद बिहार जाकर वोट डाल दें तो नतीजे पर असर दिखेगा। इस सिलसिले में भाजपा अभी से ही संपर्क अभियान शुरू करने की तैयारी में है।

पार्टी सूत्रों का कहना है कि 2020 के विधानसभा में एनडीए को कुल 1 करोड़ 57 लाख वोट मिले थे। प्रवासी बिहारी मतदाताओं को संख्या ही 1.3 करोड़ है। इसलिए यह नंबर बड़ा अंतर डालने का दम रखता है। भाजपा ने गठबंधन में इस बार लोजपा रामविलास और उपेंद्र कुशवाहा के राष्ट्रीय लोक मोर्चा को भी शामिल किया है। गठबंधन को मजबूत करने के बाद भाजपा अब वोटर बेस बढ़ाने में जुटी है। इसी रणनीति के तहत 23 मार्च को बिहार दिवस के मौके पर देश भर के 65 स्थानों पर आयोजन की तैयारी है। ऐसे आयोजन करीब एक सप्ताह चलेंगे। ऐसे ही एक आयोजन में अमित शाह जाएंगे तो वहीं जेपी नड्डा भी एक प्रोग्राम में रहेंगे। कई अन्य केंद्रीय मंत्रियों को भी बिहार दिवस के आयोजनों में शामिल होने को कहा गया है।

इसके पीछे यह रणनीति है कि प्रभावशाली प्रवासी बिहारियों को साधा जाए। ऐसे लोग आज भी अपने राज्य में गहरा असर रखते हैं। ऐसे लाखों बिहारी हैं, जो भले ही दूसरे राज्यों में हैं। लेकिन उनका अपने गांव और समाज पर गहरा असर है। भाजपा को लगता है कि यदि इन लोगों के माध्यम से बिहार में कुछ मदद मिले तो फायदा रहेगा। इसी रणनीति के तहत छोटी-छोटी बैठकें भी करने की तैयारी है। इन मीटिंगों में बिहार भाजपा के नेताओं को भी आमंत्रित किया जाएगा। दिल्ली, मुंबई, सूरत, लखनऊ, गाजियाबाद, गुरुग्राम और नोएडा जैसे शहरों पर पार्टी का खास फोकस है। इन शहरों में बड़ी संख्या में बिहार के लोग बसे हुए हैं।